गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

लालू प्रसाद : 5 साल की जेल, 25 लाख रुपये जुर्माना


प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव अब कैदी नंबर 3312 बन चुके हैं। लालू यादव को रांची की बिरसा मुंडा जेल में यही नंबर मिला है। कैदियों की जिंदगी, कैदियों का रहन सहन और कैदियों का खाना। ठाठ-बाट के साथ बिंदास जिंदगी बिताने के आदी लालू के लिए जेल की जिंदगी का एक एक पल भारी है। चारा घोटाले में आरजेडी अध्यक्ष और देश के पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को 3 अक्टूबर 2013 को पांच साल की सजा सुनाई गई है। रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद लालू ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये विशेष सीबीआई अदालत का फैसला सुना। लालू के अलावा घोटाले के दोषी जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा और जगन्नाथ मिश्रा को चार साल की सजा सुनाई गई है। बीएन शर्मा और केएम प्रसाद को पांच साल जेल और डेढ़ करोड़ रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई गई है। वर्तमान समय में जबकि लालू 15वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे उन्हें बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला काण्ड में सजा भुगतने के लिये बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार रांची में रखा गया है।
जज बदलने की लालू यादव की अर्ज़ी---
इस मामले में जज बदलने की लालू यादव की अर्ज़ी सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को ख़ारिज कर दी थी। लालू यादव ने अपनी याचिका में ट्रायल कोर्ट के जज पीके सिंह पर भेदभाव बरतने का आरोप लगाया था।
लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र, जगदीश शर्मा को सजा---
चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को पांच साल कैद और 25 लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई। रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने उनके साथ नरमी बरतने की तमाम अपीलों को ठुकरा दिया। आरजेडी ने आरोप लगाया है कि लालू यादव के खिलाफ राजनीतिक साजिश हुई है। इसी के साथ अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी चार साल की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा को भी चार साल की कैद और पांच लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई। सजा सुनने के लिए लालू अदालत में मौजूद नहीं थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दोषियों को ये सजा सुनाई गई जैसा कि तय हुआ था। लेकिन लालू की पार्टी यानी राष्ट्रीय जनता दल का मानना है कि वे पूरी तरह निर्दोष हैं,  फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्हें बीजेपी और जेडीयू के षड़यंत्र का शिकार होना पड़ा है।
1. लालू यादव--- 5 साल, 25 लाख रुपए जुर्माना
2. जगन्नाथ मिश्रा--- 4 साल, 2 लाख रुपए जुर्माना
3. जगदीश शर्मा--- 4 साल, 5 लाख रुपए जुर्माना
4. आरके राणा--- 5 साल, 30 लाख रुपए जुर्माना
5. बैक जुलियस--- 4 साल, 2 लाख रुपए जुर्माना
6. फूलचंद्र सिंह--- 4 साल, 2 लाख रुपए जुर्माना
7. महेश प्रसाद--- 4 साल, 2 लाख रुपए जुर्माना
8. अधिकारी चंद्र--- 4 साल, 2 लाख रुपए जुर्माना
राजनीतिक भविष्य पर बड़ा ग्रहण---
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और कभी सामाजिक न्याय आंदोलन के नायक बनकर उभरे लालू यादव के राजनीतिक भविष्य पर गुरुवार को बड़ा ग्रहण लग गया। चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जा चुके लालू यादव को रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने पांच साल की कैद और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इसके साथ ही, रशीद मसूद के बाद लालू की संसद सदस्यता भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक खत्म हो जाएगी। अगर ऊंची अदालत से भी लालू को राहत नहीं मिलती तो आगामी 6 सालों तक वह चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
अदालत में दोनों पक्षों की दलीलें---
सजा सुनाए जाने से पहले अदालत में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें दीं। सीबीआई ने लालू के लिए सात साल की अधिकतम सजा की मांग की। सीबीआई ने कहा कि ये सामान्य मामला नहीं है। लालू यादव तमाम प्रतिष्ठित पदों पर रहे हैं। ऐसे व्यक्ति से उम्मीद नहीं की जाती कि वो ऐसे मामले में शामिल होगा। इस केस में असामान्य देरी हुई। जनता का व्यवस्था पर भरोसा बढ़े, इसके लिए सख्त सजा जरूरी है। लालू के वकील ने इसका सख्त विरोध किया। वकील ने दलील दी कि लालू यादव की उम्र 67 साल है और वे कई गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में हैं। रेल मंत्री के रूप में उन्होंने शानदार काम किया और रेलवे को फायदे में लाए। जांच में उन्होंने सहयोग किया। 41 एफआईआर उनके आदेश पर ही दर्ज हुई थीं। लालू यादव ने जांच के दौरान सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराए इसलिए उनके साथ नरमी बरती जानी चाहिए। अदालत पर बचाव पक्ष की अपील का कोई असर नहीं पड़ा।
मैंने कोई अपराध नहीं किया : लालू 
चारा घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत द्वारा पांच साल की सजा सुनाए जाने के बाद लालू प्रसाद की तात्कालिक प्रतिक्रिया थी-- जब मैंने कोई अपराध नहीं किया है तो मुझे कैसे दंडित किया गया है? सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा 25 लाख रुपये का जुर्माना और सजा सुनाए जाने के बाद बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में परेशान दिख रहे लालू प्रसाद ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से यह सवाल पूछा। न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने जवाब दिया कि आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। लालू प्रसाद के वकील चितरंजन प्रसाद ने उनसे जेल में भेंट की और बाद में कहा कि हम 17 अक्टूबर को हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
रामविलास पासवान ने कहा---
दूसरी ओर, जेल में लालू प्रसाद यादव से मिलकर लौटे लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी आरजेडी के साथ गठबंधन में पूरी तरह बनी हुई रहेगी।
क्या है मामला---
इस मामले में शिवानंद तिवारी, सरयू रॉय, राजीव रंजन सिंह और रविशंकर प्रसाद ने पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। पटना हाईकोर्ट ने 11 मार्च 1996 को 950 करोड़ रुपए के कथित चारा घोटाले के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। लालू यादव को चारा घोटाले के एक मामले में सहयोगी होने का दोषी पाया गया। इस मामले में लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा औऱ जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 38 लोग दोषी हैं। चारा घोटाले का ये मामला चाईबासा ट्रेजरी से जुड़ा है। इसमें कागजों पर पशुओं के लिए फर्जी चारा दिखाकर 37 करोड़ 68 लाख रुपए अवैध रुप से निकाले गए थे। इसमें पशुपालन विभाग के अधिकारी, सप्लायर, आईएएस अफसर समेत कई राजनेताओं के नाम भी सामने आए। लालू यादव पर अन्य धाराओं सहित पूरे षडयंत्र में शामिल होने, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ है।
वकील ने दी थी बतौर रेल मंत्री अच्छे काम की दलील--- 
अदालत में लालू के वकील ने यह दलील देते हुए रहम की अपील की थी कि रेल मंत्री रहते हुए लालू ने अच्छा काम किया और देश के लिए काफी मुनाफा कमाया। वकील ने अदालत से यह भी कहा कि लालू 17 साल से मानसिक तनाव में रहे. उनकी उम्र भी काफी हो गई है और तबीयत भी ठीक नहीं रहती। कोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए लालू के वकील ने कहा, 'अपराधी को जेल में रखने का मकसद उसमें सुधार लाना होता है लेकिन लालू के साथ अब वैसी कोई बात नहीं हैं। इसलिए उन्हें जेल में रखने का फायदा नहीं है।' इसी मामले में आरोपी नेता जगन्नाथ मिश्रा के वकील ने भी उनकी उम्र और सेहत का हवाला देते हुए कम सजा मांगी थी लेकिन सीबीआई के वकील बीएमपी सिंह ने दोषियों के लिए कड़ी सजा की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसी सजा हो जिससे दोषियों को सबक मिले और समाज में कड़ा संदेश जाए। उन्होंने कोर्ट के सामने दलील दी कि यह सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, व्यापक षडयंत्र का मामला है।
30 सितंबर को दोषी करार---
30 सितंबर को विशेष सीबीआई अदालत ने लालू प्रसाद समेत 44 अभियुक्तों को दोषी ठहराया था। इस मामले में 44 अन्य अभियुक्त भी थे और सभी को अदालत ने दोषी ठहराया था। 17 साल तक मुकदमे के बाद अदालत ने 30 सितंबर को लालू यादव को धारा 120-बी यानी आपराधिक साजिश रचने, धारा 420 यानी धोखाधड़ी करने, धारा 467 यानी पैसों का फर्जीवाड़ा करने, धारा 468 यानी धोखाधड़ी के इरादे से फर्जीवाड़ा करने, धारा 477 ए यानी फर्जीवाड़े का सबूत मिटाने और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1डी) और 13(2) के तहत दोषी ठहराया गया। 17 साल पुराने चारा घोटाले में कुल 950 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई थी। इसमें लालू पर चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने का मामला था, जिसमें कोर्ट ने उन्हें 30 सितंबर को ही दोषी ठहरा दिया था। तभी साफ हो गया था कि लालू को कम-से-कम तीन और ज्यादा से ज्यादा सात साल कैद की सजा सुनाई जा सकती है। दोषी करार दिए जाने के बाद से ही लालू रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं।
दशहरे की छुट्टियों से बढ़ेगी मुश्किल---
लालू जाहिर तौर पर फैसले के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में जाएंगे लेकिन उनकी मुश्किल यह है कि दशहरे के चलते कोर्ट में 5 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक छुट्टी है। इसलिए कोर्ट में अपील करने के लिए दशहरे की छुट्टियों से पहले उन्हें सिर्फ एक दिन का ही समय मिलेगा। सजा सुनाए जाने के बाद भी लालू के वकीलों की ओर से एक दिन के समय के भीतर ही अपील दाखिल किए जाने की संभावना बहुत कम है और अगर अपील दाखिल भी की गई तो उस पर सुनवाई दशहरे की छुट्टियों से पहले संभव नहीं हो पाएगी।


इस मामले से जुड़ा घटनाक्रम---
जनवरी, 1996: उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारा और ऐसे दस्तावेज जब्त किए जिनसे पता चला कि चारा आपूर्ति के नाम पर अस्तित्वहीन कंपनियों द्वारा धन की हेराफेरी की गई। उसके बाद यह चारा घोटाला सामने आया।
11 मार्च, 1996: पटना उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया। उच्चतम न्यायालय ने इस आदेश पर मुहर लगाई।
27 मार्च, 1996: सीबीआई ने चाईबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की।
23 जून, 1997: सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया और लालू प्रसाद को आरोपी बनाया।
30 जुलाई, 1997: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद ने सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया। अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा।
5 अप्रैल, 2000: विशेष सीबीआई अदालत में आरोप तय किया।
5 अक्टूबर, 2001: उच्चतम न्यायालय ने नया राज्य झारखंड बनने के बाद यह मामला वहां स्थानांतरित कर दिया।
फरवरी, 2002: रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई।
13 अगस्त, 2013: उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश के स्थानांतरण की लालू प्रसाद की मांग खारिज की।
 17 सितंबर, 2013: विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
30 सितंबर, 2013: बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र तथा 45 अन्य को सीबीआई न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दोषी ठहराया।
3 अक्टूबर 2013: लालू प्रसाद को विशेष सीबीआई अदालत ने पांच वर्ष के कठोर कारावास और 25 लाख रुपये के जुर्माने तथा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को चार वर्ष की कैद और दो लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

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