शनिवार, 28 दिसंबर 2013

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने हैं 12 चुनौतियाँ




गाजियाबाद के ‘कौशाम्बी’ स्थित आम आदमी पार्टी के मुख्यालय से अपने समर्थकों के साथ मैट्रो ट्रेन द्वारा रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद का शपथ लेने पहुँचे अरविन्द केजरीवाल। मैट्रो स्टेशन से बाहर आने का दृश्य।

-शीतांशु कुमार सहाय
केजरीवाल शनिवार को सुबह 10.45 बजे शपथ ग्रहण के लिए अपने गाजियाबाद के कौशांबी स्थित आवास से बाहर निकले। वह यहां से रामलीला मैदान पहुंचने के लिए मेट्रो स्टेशन की ओर बढ़े। उनके आवास के बाहर मीडियाकर्मियों का हुजूम उमड़ा था। इससे बचने के लिए वह पिछले दरवाजे से अपनी वैगनआर कार से कौशांबी मेट्रो स्टेशन पहुंचे। वहां कार्यकर्ताओं का भारी हुजूम उनके स्वागत में मौजूदा था। केजरीवाल ने अपने स्मार्टकार्ड का उपयोग कर स्टेशन में प्रवेश किया। केजरीवाल की पत्नी सुनीता अपने बच्चों हर्षिता और पुलकित और 'आप' नेता मनीष सिसोदिया के परिजनों के साथ अन्य कोच में सवार थीं। कौशांबी से बाराखंबा रोड मेट्रो स्टेशन तक के 11 स्टेशनों पर भीड़ की वजह से कई यात्री इस मेट्रो में सवार होने से वंचित रह गए। केजरीवाल ने इस आधे घंटे के सफर में किसी से कोई खास बातचीत नहीं की। बाराखंबा पहुंचने पर लोगों ने मानव श्रृंखला बनाई जिससे केजरीवाल को बाहर निकलने में मदद मिल सके। इसके बाद वह कार से रामलीला मैदान के लिए रवाना हो गए।
अरविंद केजरीवाल---
रामलीला मैदान में शनिवार 28 दिसम्बर 2013 को शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजघाट जाकर बापू की समाधि के आगे नमन किया। राजघाट पर उनके साथ सभी मंत्री और भारी तादाद में आम लोग मौजूद रहे। इससे ठीक बाद दिल्ली सचिवालय पहुंचे और मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला। पैंट के साथ बाहर करके पहनी गई आधी बाजू की ढीली ढाली शर्ट, काली मूंछों वाला एक नाटे कद का साधारण सा दिखने वाला आदमी। जो कभी ट्रेन का इंतजार करता प्लेटफॉर्म पर जमीन पर सोते नजर आता, तो कभी ऑटो के लिए सड़क पर इंतजार करता। लोग 45 साल के इस शख्स को अरविंद केजरीवाल के नाम से जानते हैं। जो कभी इनकम टैक्स विभाग में अधिकारी हुआ करता था लेकिन साधारण सी कद काठी वाला यह शख्स कब दिल्ली की सबसे ताकतवर कुर्सी का दावेदार बन गया, यह बाकी पार्टियों को पता भी नहीं चला। हरियाणा के भिवानी जिले के सीवानी मंडी में 16 अगस्त 1968 को गोविंद राम केजरीवाल और गीता देवी के घर जन्माष्टमी के दिन अरविंद का जन्म हुआ, इसीलिए घरवाले प्यार से उन्हें किशन भी बुलाते हैं। हिसार से ही अरविंद ने अपनी हाईस्कूल तक की पढ़ाई पूरी की। देश के नामी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद केजरीवाल ने कुछ समय टाटा स्टील में नौकरी की। वह वर्ष 1989 में टाटा स्टील से जुड़े और वर्ष 1992 में कंपनी को अलविदा कह दिया। उन्होंने कुछ समय कोलकाता के रामकृष्णन आश्रम और नेहरू युवा केन्द्र में बिताया। यूपीएससी में इंटरव्यू देने से पहले अरविंद केजरीवाल कोलकाता गए थे। कोलकाता में उनकी मुलाकात मदर टेरेसा से हुई। अरविंद ने कालीघाट पर काम किया और शायद यहीं से उन्हें दूसरों के लिए जीने का नजरिया मिला। 1995 में अरविंद इंडियन रेवेन्यू सर्विस के लिये चुने गये थे। ट्रेनिंग के बाद दिल्ली में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में अस्सिटेंट कमिश्नर बने। लेकिन यहां भी अपने लिये उन्होंने खुद नियम बनाये। वो नियम थे, अपनी टेबल को खुद साफ करना, डस्टबिन की गंदगी को खुद हटाना, किसी काम के लिये चपरासी का इस्तेमाल नहीं करना। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी करते हुये ही केजरीवाल ने डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार कम करने की मुहिम शुरु कर दी थी।
माता गीता देवी, पिता गोविन्द राम केजरीवाल, पत्नी सुनीता, पुत्र व पुत्री के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल। 

सुनीता से विवाह---
इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के प्रशिक्षण के दौरान ही अरविंद केजरीवाल ने अपनी बैचमेट सुनीता से विवाह किया। केजरीवाल के एक पुत्र और एक पुत्री है।
'परिवर्तन' के जरिए परिवर्तन---
वर्ष 2000 में अरविंद केजरीवाल ने 'परिवर्तन' नाम के एक एनजीओ की शुरुआत की। बैनर-पोस्टर छपवाये जिन पर लिखा था-- 'रिश्वत मत दीजिये, काम न हो तो हमसे संपर्क कीजिये।' परिवर्तन के जरिए उन्होंने देशभर में सूचना के अधिकार का अभियान चलाया। बिल बेशक केंद्र सरकार ने पारित किया हो लेकिन जनता के बीच जाकर उन्हें जागृत करने का जिम्मा अरविंद और उनके परिवर्तन ने उठाया। अरविंद को 'राइट टू इन्फॉरमेशन' (सूचना का अधिकार ) पर काम के लिये एशिया का नोबल पुरस्कार कहा जाने वाला मैग्सेसे अवार्ड मिला। परिवर्तन की लड़ाई का ही अगला चरण था जनलोकपाल। यह सिलसिला बढ़ता गया और केजरीवाल ने फरवरी 2006 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ परिवर्तन में ही काम करने लगे। इसके बाद देश में शुरू हुआ भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन। आंदोलन को जनसमर्थन तो पूरा मिला, लेकिन जनलोकपाल बिल नहीं बन पाया। केजरीवाल ने राजनीति में आने का फैसला किया। यहीं से अन्ना हजारे और केजरीवाल के रास्ते अलग हो गए, लेकिन केजरीवाल अन्ना के बिना भी आगे बढ़ते गए।
आम आदमी पार्टी अस्तित्व में---
26 नवंबर 2012 में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई। महज एक साल पहले पैदा हुई आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में काबिज कांग्रेस और बीजेपी को कड़ी टक्कर दी। केजरीवाल ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा करके सबको चौंका दिया। राजनीतिक पंडित उनके इस फैसले को लेकर अचंभित हो गए। ऐसी चर्चा होने लगी कि केजरीवाल ने अपना राजनीतिक सफर शुरू होने से पहले ही खत्म कर लिया, लेकिन दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से दीक्षित को 23 हजार से अधिक मतों से पराजित कया और उनकी पार्टी ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटें हासिल की। केजरीवाल ने 'स्वराज' नाम से एक पुस्तक भी लिखी है। यह पुस्तक 2012 में प्रकाशित हुई।

शनिवार 28 दिसम्बर 2013 को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल के सामने 12 चुनौतियाँ---
आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे वादे किए हैं जिन्हें पूरा कर पाना उसके लिए चुनौती साबित होगी। इनमें से 12 वादे हैं---
1-भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सत्ता में आने के 15 दिन के भीतर जन लोकपाल विधेयक पारित। इसके दायरे में सभी कर्मचारी होंगे।
2-करीब 3,000 मोहल्ला सभाओं की स्थापना की जाएगी। जहां लोग तय करेंगे कि उनको अपने इलाके में क्या चाहिए -पार्क, स्ट्रीट लाइट, अस्पताल या और कुछ।
3-सरकारी काम के लिए पैसे का भुगतान केवल मुहल्ला सभाओं के काम के संतुष्ट होने के बाद किया जाएगा।
4-बिजली का बिल आधा किया जाएगा और निजी वितरण कंपनियों का आडिट होगा। बढ़ा हुआ बिल सुधारा जाएगा और यदि बिजली वितरण कंपनियां सहयोग नहीं करेंगी तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
5-दो लाख सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनाए जाएंगे।
6-जो परिवार महीने में 700 लीटर पानी खर्च करेंगे उनसे कोई बिल नहीं वसूला जाएगा। जिन घरेलू उपभोक्ताओं को नवंबर 2013 तक अधिक बिल मिला है उनका भुगतान करने की जरूरत नहीं है।
7-दिल्ली पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण और नगर निगमों को दिल्ली सरकार के अधिकार के दायरे में लाया जाएगा।
8-अल्पसंख्यकों का संरक्षण होगा और फर्जी एनकाउंटर तथा मुस्लिम युवाओं के खिलाफ फर्जी मामले बंद होंगे।
9-कोई भी सरकारी अधिकारी अगर भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया तो उसे बर्खास्त किया जाएगा, उसे जेल भेजा जाएगा और उसकी संपत्ति जब्त होगी।
10-अशोक खेमका और दुर्गाशक्ति नागपाल जैसे ईमानदार अधिकारियों को प्रोत्साहित और संरक्षित किया जाएगा।
11-हर वार्ड में नागरिक सुरक्षा बल बनाया जाएगा जो संकट में फंसे हर व्यक्ति की मदद करेगा।
12-अगर दिल्ली सरकार वादी होगी तो न्यायालय में कोई भी मामला स्थगित नहीं किया जाएगा।

अपने मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल। 

अरविंद केजरीवाल का मंत्रिमंडल---
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार 28 दिसम्बर 2013 को अपने मंत्रिमंडल के 6 सहयोगियों में विभागों का बंटवारा कर दिया और गृह, वित्त, बिजली और गुप्तचर जैसे प्रमुख विभाग अपने पास रखे। मुख्यमंत्री योजना, सेवा और वह अन्य तमाम विभाग अपने पास रखेंगे जो किसी मंत्री को आवंटित नहीं किए गए हैं।
1. मनीष सिसोदिया---
केजरीवाल के सबसे नजदीक समझे जाने वाले मनीष सिसोदिया को राजस्व, लोक निर्माण विभाग, शहरी विकास, शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्थानीय निकाय और भूमि एवं भवन विभाग दिया गया है।
2. सोमनाथ भारती---
आईआईटी दिल्ली से स्नातकोत्तर सोमनाथ भारती प्रशासनिक सुधार, कानून, पर्यटन और संस्कृति का प्रभार संभालेंगे।
3. राखी बिड़ला---
केजरीवाल मंत्रिमंडल की सबसे कम उम्र मंत्री राखी बिड़ला को समाज कल्याण और महिला एवं बाल विकास विभाग सौंपे गए हैं। उन्हें महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए जरूरी उपाय तैयार करने का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है।
4. गिरीश सोनी---
गिरीश सोनी को श्रम, कौशल निर्माण और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति विभाग दिए गए हैं।
5. सत्येन्द्र जैन---
सत्येन्द्र जैन को स्वास्थ्य, उद्योग और गुरुद्वारा चुनाव का प्रभारी बनाया गया है।
6. सौरभ भारद्वाज---
सौरभ भारद्वाज को दिल्‍ली का परिवहन मंत्री बनाया गया है।

मंत्रिमंडल की पहली बैठक में फैसला---
दिल्ली मंत्रिमंडल की पहली बैठक में फैसला हुआ कि दिल्ली सरकार का कोई भी मंत्री और अधिकारी वाहन पर लाल बत्ती नही लगाएगा। इसके अलावा सभी मंत्रियों के सचिवों को बदलने का भी फैसला लिया गया। राजेंद्र कुमार को नया प्रमुख सचिव बनाया गया।

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