गुरुवार, 30 जनवरी 2014

झारखंड से राज्यसभा में अब तक केवल एक महिला नेत्री ही पहुँचीं, महिलाओं को तरजीह नहीं देते राजनीतिक दल / Rajyasabha Election in Jharkhand : No any Female Leader


-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
झारखंड से राज्यसभा में महिला प्रतिनिधित्व इस बार भी नहीं होगा। राज्यसभा की दो सीटों पर इस बार भी किसी भी दल ने कोई महिला प्रत्याशी नहीं दिया। झारखंड गठन के बाद से अब तक जब भी राज्यसभा के लिए चुनाव हुए सभी पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों की अनदेखी की है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने इस बार राज्यसभा में महिला प्रत्याशी सविता महतो को आगे बढ़ाया तो राजनीतिक समीकरण के नाम पर 24 घंटे के अंदर पार्टी को उसका नाम वापस लेना पड़ा। गठबंधन सहित अन्य दलों की राजनीति का शिकार महिला प्रत्याशी को बनना पड़ा। सहयोगी दल की फिरकी के आगे झामुमोे को अपना प्रत्याशी वापस लेना पड़ा। अब तक काँग्रेस की माबेल रिबेलो ही झारखंड से राज्यसभा की सदस्य रही हैं। उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद से किसी भी दल ने महिलाओं को तरजीह नहीं दी। आधी आबादी के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाने का दावा करने वाली काँग्रेस पार्टी भी अपनी ही नीति पर कायम न रह सकी।
माबेल रिबेलो

झारखंड में गठबंधन दल (झामुमो, काँग्रेस व राजद) चाहते तो महिला प्रत्याशी को राज्यसभा में भेज सकते थे। सविता महतो को मौका मिलने से स्थानीय प्रत्याशी के साथ-साथ एक आंदोलनकारी परिवार को सम्मान भी मिलता। पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. सुधीर महतो की पत्नी सविता महतो को समर्थन देकर राजद और काँग्रेस राजनीति का एक अलग उदाहरण पेश कर सकते थे लेकिन राजद अपनी दावेदारी पर अडिग रहा और काँग्रेस ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी। झामुमो ने भी दोनों दलों के सुर-में-सुर मिला दिया। पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा चोट महिलाओं के सम्मान को लगी है। सविता महतो ने खुद टिकट नहीं माँगा था; बल्कि पार्टी ने स्वयं आगे बढ़कर उन्हें प्रत्याशी बनाया था। पति के गुजरने के मात्र चार दिनों बाद ही वह घर से निकलीं। ऐसे में एक तरफ पति का गम तो दूसरी तरफ राँची आकर उलटे पाँव लौट जाने का अफसोस। इससे उन्हें जो पीड़ा हुई, वह सिर्फ वही समझ सकती हैं। इस घटना से राज्य की नेत्रियों के मनोबल पर भी प्रभाव पड़ा है।
भले किसी की भद्द पिटी या किसी की साख गिरी लेकिन झारखंड की जनता ने देखा कि राजनीतिक दलों की बात हाथी के दाँत की तरह है जो दिखाने के लिए कुछ और खाने के लिए कुछ और! महिला सशक्तीकरण और आरक्षण को लेकर पार्टियाँ बड़ी-बड़ी बातें तो करती हैं लेकिन जब उसे धरातल पर उतारने का मौका आता है तो सभी नीति और सिद्धांत धरे-के-धरे रह जाते हैं। भले महिलाएँ आज घर की चौखट को पार कर हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं लेकिन राज्य के राजनीतिक दल आज भी महिलाओं को सिर्फ उसी समय राजनीति में स्थान देते हैं, जब उनकी नैया भंवर में फँसती है और उन्हें सहानुभूति की जरुरत होती है।

बुधवार, 29 जनवरी 2014

संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट : भारत में सबसे ज्यादा निरक्षर, शिक्षा मिले मातृभाषा में ही / UN Report : Maximum Unlettered in Bharat, Education Under Mothertongue


-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
संयुक्त राष्ट्र संघ का एक संगठन यूनेस्को ने अपने 2013-14 के ‘शिक्षा वैश्विक निगरानी रिपोर्ट’ में कहा हैं कि विश्वस्तर पर सर्वाधिक निरक्षर भारत में हैं। जाहिर है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने बच्चों के समझने वाली भाषा में पढ़ाने की वकालत की है। यह बताने की आवश्यकता नहीं कि बच्चे अपनी मातृभाषा में ही सबसे सहज महसूस करते हैं। यही बात भारत के नीति-नियन्ता नहीं समझा पाते हैं। वे केवल अग्रेजी की पूँछ पकड़कर ही विकास करना चाहते हैं और देश की पूरी उच्च शिक्षा अंग्रेजी में ही सम्भव है। इस अव्यावहारिक सरकारी कदम के कारण ही देश में अब भी विश्वस्तर पर सबसे अधिक निरक्षर हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ का संगठन यूनेस्को की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया कि निरक्षर व्यस्कों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है। भारत में निरक्षरों की आबादी सबसे ज्यादा है। यही नहीं अमीरों और गरीबों के बीच शिक्षा के स्तर में भारी असमानता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अनपढ़ वयस्कों की आबादी करीब 28.70 करोड़ है। यह दुनिया में अशिक्षित लोगों का कुल 37 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है-- 2015 के बाद के लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्धता जरूरी है; ताकि सबसे ज्यादा पिछड़े समूह तय लक्ष्यों के मापदंडों पर खरे उतर सकें। इसमें विफलता का अर्थ यह हो सकता है कि प्रगति का पैमाना आज भी संपन्न को सबसे ज्यादा लाभ पहुंचाने पर आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्राथमिक शिक्षा पर दस प्रतिशत खराब गुणवत्ता की शिक्षा पर खर्च हो रहा है। इन हालातों के चलते गरीब देशों में चार युवा लोगों में एक कुछ भी नहीं पढ़ सकता। भारत में गरीब और अमीर राज्यों के बीच शिक्षा के स्तर को लेकर भारी असमानता है। अमीर राज्यों की सबसे गरीब लड़की गणित में थोड़ा बहुत जोड़ और घटाव कर लेती है। भारत के संपन्न राज्यों में से एक केरल में प्रति छात्र शिक्षा का खर्च 685 डॉलर (करीब 42 हजार 627 रुपये) था। अगर शिक्षक अनुपस्थित रहने या कक्षा में पढ़ाने की तुलना में निजी ट्यूशन को ज्यादा महत्त्व देते हैं तो गरीब बच्चों के अध्यापन की प्रक्रिया को नुकसान पहुँच सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पाठ्यक्रम सभी की नींव मजबूत करने वाला हो। यह ऐसी भाषा (मातृभाषा) में और ऐसी गति से पढ़ाया जाए जिसे बच्चा समझ सके।

-सार्वभौमिक साक्षरता और निराशाजनक स्थितियाँ
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत की सबसे अमीर युवतियों को सार्वभौमिक साक्षरता मिल चुकी है लेकिन निर्धनतम युवतियों के लिए ऐसा 2080 तक ही सार्वभौमिक साक्षरता संभव है। भारत में मौजूद ये निराशाजनक स्थितियाँ यह विफलता दर्शाती हैं कि सबसे ज्यादा जरूरतमंदों तक पर्याप्त सहयोग नहीं पहुँचा है। 2013-14 सभी के लिए शिक्षा वैश्विक निगरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साक्षरता दर 1991 में 48 प्रतिशत थी। 2006 में यह बढ़कर 63 प्रतिशत पहुँच गई। यानी जनसंख्या में वृद्धि की तुलना में निरक्षरों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सबसे अमीर युवतियों को पहले ही वैश्विक स्तर की साक्षरता मिल चुकी है लेकिन सबसे गरीब के लिए ऐसा 2080 तक ही संभव है। भारत में शिक्षा के स्तर में मौजूद भारी असमानता दर्शाती है कि सबसे ज्यादा जरूरतमंदों को पर्याप्त सहयोग नहीं मिला।
-प्रतिबद्धता जरूरी
रिपोर्ट में कहा गया कि 2015 के बाद के लक्ष्यों में एक प्रतिबद्धता जरूरी है; ताकि सबसे ज्यादा पिछड़े समूह तय लक्ष्यों के मापदंडों पर खरे उतर सकें। इसमें विफलता का अर्थ यह हो सकता है कि प्रगति का पैमाना आज भी संपन्न को सबसे ज्यादा लाभ पहुँचाने पर आधारित है। प्राथमिक शिक्षा पर किए जाने वाले खर्च का 10 प्रतिशत खराब गुणवत्ता की शिक्षा के कारण नष्ट हो जाता है। इस खराब गुणवत्ता की शिक्षा बच्चों को सिखाने में विफल रहती है। इस स्थिति के कारण चार में से एक युवा एक वाक्य तक नहीं पढ़ सकता।
-अमीर और गरीब राज्यों के बीच भारी असमानता
ग्रामीण भारत में अमीर और गरीब राज्यों के बीच भारी असमानता है लेकिन अमीर राज्यों में भी गरीब लड़कियों का गणित बेहद खराब है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे संपन्न राज्यों में अधिकतर ग्रामीण बच्चे 2012 में पाँचवीं कक्षा तक पहुंचे थे। इनमें से महाराष्ट्र के महज 44 प्रतिशत और तमिलनाडु के महज 53 प्रतिशत बच्चे ही दो अंकों वाले घटाव के सवाल कर सके थे। अमीर राज्यों में से इन राज्यों की लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से बेहतर था। तीन में से दो लड़कियाँ गणनाएँ कर सकती थीं। महाराष्ट्र की संपत्ति के बावजूद यहाँ की गरीब लड़कियाँ मध्यप्रदेश की लड़कियों की तुलना में थोड़ा ही बेहतर प्रदर्शन कर सकीं। रिपोर्ट में कहा गया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैली गरीबी पाँचवीं कक्षा तक बच्चों के रूकने को प्रभावित करती है। उत्तर प्रदेश में महज 70 प्रतिशत गरीब बच्चे और मध्य प्रदेश में महज 85 प्रतिशत गरीब बच्चे पाँचवीं तक पढ़ पाते हैं।  यों इस विश्वस्तरीय रपट से स्पष्ट होता है कि भारत में शिक्षा के नाम पर खर्च हो रहे जनता के अरबों रुपयों का सकारात्मक परिणाम नहीं दीख रहा है। क्या केन्द्र या राज्यों की सरकारें इस बारे में कुछ कह पायेंगी?

झारखंड में राज्यसभा चुनाव : लालू के प्रेशर पॉलिटिक्स का दिखा ट्रेलर, पूरी फिल्म लोकसभा चुनाव में / Rajyasabha Election 2014 in Jharkhand : Laloo's Pressure Politics


शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
झारखंड में राज्यसभा चुनाव से शुरू हुए प्रेशर पॉलिटिक्स का क्लाइमेक्स लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। यह खेल आगे-आगे और भी रोमांचक होने वाला है। मात्र पाँच विधायकों के बल पर जिस तरह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने राज्यसभा चुनाव में अपनी दावेदारी ठांेकी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को झुकने पर मजबूर कर दिया, यह इशारा है कि लोकसभा चुनाव में भी सीट बँटवारे पर राजद चुप नहीं बैठेगा। काँग्रेस-झामुमो के बीच लोकसभा को लेकर 10-4 का जो फॉर्मूला तैयार हुआ है, उसमें भी हाइ वोल्टेज ड्रामा देखने को मिलेगा। पर, इस फॉर्मूले पर झामुमो के ही कई नेता एतराज जता चुके है। वैसे राजद की दबिश बढ़ी तो मामला और उलझ सकता है।
-राज्यसभा चुनाव कई मायनों में अलग
इस बार का राज्यसभा चुनाव झारखंड के लिये कई मायनों में अलग है। खरीद-फरोख्त की राजनीति से दूर इस बार के चुनाव में सŸााधारी गठबंधन ही लपेटे में है। नामांकन के अंतिम दिन तक काँग्रेस-झामुमो और राजद आपस में प्रत्याशी को लेकर उलझे रहे। राजद शुरू से ही प्रत्याशी देने को लेकर अडिग था। काँग्रेस-झामुमो का ड्रामा अंतिम समय तक चला। इसमें नुकसान पूरी तरह से झामुमो को उठाना पड़ा है। 24 घंटे में ही प्रत्याशी की घोषणा के बाद उसका नाम वापस लेने से झामुमो की साख को बड़ा झटका लगा है। अब पार्टी के अंदर ही द्वंद शुरू हो गया है। झामुमो के 3 विधायकों मथुरा महतो, विद्युत वरण महतो और जगन्नाथ महतो ने पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन को इस्तीफा सौंप दिया है। राजद द्वारा सरकार से समर्थन वापसी के दबाव के आगे झामुमो की भद्द पीट गयी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब चाहे जो दलील दे लें, पूरे प्रकरण में उनकी पार्टी का राजनीतिक कद छोटा हुआ है।
-लोकसभा चुनाव में झामुमो के लिए परेशानी
राजनीतिक जानकारों की माने तो, आनेवाला लोकसभा चुनाव सरकार के साथ-साथ झामुमो के लिए फिर से कई परेशानी खड़ी कर सकता है। सीट बँटवारे को लेकर गठबंधन दलों में खटास की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। राज्यसभा चुनाव में जो भी देखने को मिला है, उससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार में शामिल तीनों दलों में आपसी समन्वय का अभाव है। सरकार में साथ होकर भी इनकी राहें अलग-अलग हैं। बहरहाल, चुनावी दंगल के कंटीले रास्तों पर तीनों दलों ने अपने-अपने कदम बढ़ा दिये हैं लेकिन झामुमो को सबसे अधिक संभल कर चलने की जरुरत है। कहीं ऐसा न हो कि लोकसभा चुनाव भी राज्यसभा की तरह झामुमो को कटघरे में खड़ा कर दे। राज्यसभा चुनाव में जल्दबाजी में लिये गये अपरिपक्व निर्णय से राजनीतिक परिदृश्य में झामुमो बैकफुट पर आ गया है।
-राजनीतिक वादाखिलाफी व धोखा हुआ : झामुमो
झामुमो ने दिवंगत झामुमो नेता सुधीर महतो की पत्नी सविता महतो को उम्मीदवार बनाये जाने का निर्णय लिया था लेकिन सरकार चलाने के लिए राजनीतिक मजबूरियों की वजह से झामुमो को सहयोगियों के आगे झुकना पड़ा। झामुमो ने इस पूरे प्रकरण पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की है। झामुमो के केंद्रीय कोर कमेटी के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने इसे राजनीतिक वादाखिलाफी करार दिया है। उन्होंने कहा कि 27 जनवरी को पार्टी ने सविता महतो को उम्मीदवार बनाये जाने का निर्णय लिया और सभी से समर्थन का आग्रह किया था। पर, रातभर में ही सारी राजनीतिक परिस्थितियाँ बदल गयीं। माटी का दम्भ और खुद को शहीद निर्मल महतो की विरासत पर चलने का दम्भ भरने वाली आजसू पार्टी और राष्ट्रीय पार्टी काँग्रेस और भाजपा नेताओं ने स्थानीय उम्मीदवार को नजरअंदाज किया। उन्होंने इसे राजनीतिक धोखाधड़ी करार दिया। इधर, झामुमो ने सविता महतो को केडी सिंह के इस्तीफे से खाली हुई सीट से राज्यसभा भेजने का संकेत दिया है। झामुमो का दावा है कि इसमें राजद और काँग्रेस की ओर से भी सहयोग का भरोसा दिलाया गया है। 
-झारखंड उच्च न्यायालय का फैसला आने तक राज्यसभा चुनाव न हो : अजय मारु
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद अजय मारु ने राँची में कहा है कि वर्ष 2010 के राज्यसभा चुनाव में केडी सिंह ने चुनाव में जीत हासिल की थी लेकिन उस चुनाव को उनकी ओर से और वैद्यनाथ राम की ओर से उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है। अजय मारु ने कहा कि जिस तरह से हटिया विधानसभा चुनाव को लेकर दायर चुनाव याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो गयी, तब तक उपचुनाव नहीं हो पाया, उसी तरह से इस मामले में भी उनकी ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आग्रह किया जायेगा कि जब तक केडी सिंह के खिलाफ दायर चुनाव याचिका का निष्पादन नहीं हो जाता है, तब तक उपचुनाव पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने बताया कि केडी सिंह ने भले ही पश्चिम बंगाल से राज्यसभा चुनाव लड़ने के लिए झारखंड की राज्यसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है लेकिन जब तक मामले का निपटारा नहीं हो जाता है, तब तक चुनाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक समय में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव कहते थे कि उनकी लाश पर झारखंड बनेगा, लेकिन आज उसी के सामने खुद को आंदोलनकारी बनाने वाले झामुमो नेता झुक गये। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा और ऑजसू पार्टी की ओर से निर्दलीय प्रत्याशी परिमल नथवाणी को समर्थन नहीं दिया जाता, तो फिर से चुनाव में गेम हो जाता, राजद और कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीत जाते, लेकिन झामुमो की सविता महतो चुनाव हार जाती।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

राँची में नवजोत सिंह सिद्धू : भारतीय हॉकी को फिर से स्वर्णिम युग की ओर ले चलें / HIL : NAVJYOT SINGH SIDDHU AT RANCHI IN JHARKHAND



-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
हॉकी इण्डिया लीग (एचआईएल) के एक कार्यक्रम में पूर्व क्रिकेटर व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू 23 जनवरी 2014 को झारखंड की राजधानी राँची में आये हुए थे। उसी दौरान का यह चित्र है। नवजोत सिंह सिद्धू को एचआईएल का ब्रांड एंबेसेडर बनाया गया है और वे इसके मनोरंजक पक्ष के प्रचार-प्रसार के लिए टीवी पर मैच-पूर्व कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू ने राँची में कहा कि वर्तमान व्यवस्था के तहत भारतीय हॉकी सुरक्षित हाथों में है। हॉकी से जुड़े सभी प्रशासकों को एकजुट होकर भारतीय हॉकी को फिर से स्वर्णिम युग की ओर ले जाने के लिए प्रयास करना चाहिए। नवजोत सिंह सिद्धू ने हॉकी इंडिया लीग की पिछली विजेता राँची राइनोज की काफी टेबल बुक का विमोचन करने के अवसर पर यह बातें कहीं। सिद्धू ने रांची राइनोज की पूरी टीम और प्रबंधन की उपस्थिति में कहा कि हॉलैंड और अनेक अन्य देशों के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ भारत के हॉकी खिलाड़ियों को हॉकी इंडिया लीग के माध्यम से खेलने का मौका मिलता है जिससे उनके खेल में निखार आना लाजमी है। उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के अनेक कॉरपोरेट घराने हॉकी को फिर बढ़ावा देने के लिए आगे आये हैं और उनके हाथों में हॉकी सुरक्षित है। आखिर वह जब अपनी कंपनियों में पांच से दस हजार लोगों का बेहतर प्रबंधन करते हैं तो हॉकी का प्रबंधन भी बेहतर ढंग से कर सकेंगे।’’ उन्होंने कहा कि जब भारतीय हॉकी घास के मैदान में खेली जाती थी तो दुनिया में भारत की बादशाहत थी लेकिन जब से यह एस्ट्रोटर्फ पर खेली जाने लगी भारतीय टीम संसाधनों और आधारभूत संरचना के अभाव के चलते पिछड़ती चली गयी। सिद्धू ने भारत में हॉकी के प्रशासन में दो खेमे होने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि भारत की सफलता के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की टीम जब दुनिया में जीत कर आती है तो पूरे देश को गौरव का अनुभव होता है और इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय हॉकी को उसके स्वर्णिम काल में वापस ले जाने के लिए सभी को एकजुट होकर हाकी के विकास के लिए काम करना चाहिए।

क्रिकेट, टीवी, हॉकी और राजनीति---
नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म भारत में पंजाब प्रान्त के पटियाला जिले में (20 अक्टूबर 1963) हुआ। 1983 से 1999 तक वे क्रिकेट के मँजे हुए खिलाड़ी रहे; क्रिकेट से संन्यास लेने के पश्चात उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया। उन्होंने राजनीति में खुलकर हाथ आजमाया और भाजपा के टिकट पर 2004 में अमृतसर की लोकसभा सीट से सांसद चुने गये। उन पर एक व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाकर मुकदमा चला और अदालत ने उन्हें तीन साल की सजा सुनायी। जिसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से तत्काल त्यागपत्र देकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। उच्चतम न्यायालय द्वारा निचली अदालत की सजा पर रोक लगाने के पश्चात उन्होंने दुबारा उसी सीट से चुनाव लड़ा और सीधे मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी व पंजाब के वित्त मन्त्री सुरिन्दर सिंगला को 77626 वोटों के भारी अन्तर से हराया। सिद्धू पंजाबी सिक्ख होते हुए भी पूर्णतया शाकाहारी हैं। संयोग से उनकी पत्नी का नाम भी नवजोत है। पत्नी नवजोत कौर पेशे से चिकित्सक हैं और पटियाला में जहाँ सिद्धू का स्थायी निवास है, रहती हैं।

झारखंड : राज्य गठन के 13 वर्षों में 18 जिलों में लाल आतंक, 13 वर्षों में 4106 उग्रवादी घटनाएँ / NAXAL IN JHARKHAND


शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
  झारखंड अलग राज्य बनने के 13 वर्षों में लाल आंतक ने कई जिलों में अपनी जड़ें जमा ली हैं। 13 वर्षों में अब तक 4106 से ज्यादा उग्रवादी घटनाएँ हो चुकी हैं। 435 पुलिस जवान और 676 आम लोग नक्सली हिंसा में मारे गये हैं। हालाँकि, राज्य पुलिस ने खुद को आधुनिक असलहों से लैस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सीआरपीएफ की 17 बटालियनों को नक्सली इलाकों में तैनात किया गया है। बावजूद नक्सली बेखौफ होकर लगातार घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

राज्य बनने से पूर्व झारखंड के आठ जिलों में ही नक्सली सक्रिय थे। अब राज्य के 18 जिले पूरी तरह से नक्सलियों के प्रभाव में हैं। फिलहाल, 9 जिलों में नक्सली ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं। इन जिलों में नक्सलियों का राज चलता है। यहाँ लोगों की जिंदगी उनके रहमो-करम पर है और उनका फरमान ही यहाँ कानून है। ग्रामीण क्षेत्र के युवक रोजगार के अभाव में नक्सली संगठन में जुड़ रहे हैं। नक्सल प्रभावित जिलों के व्यवसायी और उनके बच्चे भी डर से गाँव में रहना नहीं चाहते हैं।
नक्सली मुठभेड़ में मरने वालों की संख्या---
वर्ष        घटना        जवान        आम लोग    नक्सली
2001        53         29               94                ----
2002        69         20               43               ----
2003        342      16                21               101
2004        379       41               20              128
2005        312       27               07                92
2006        310       43               20                81
2007        482       08              13               149
2008        359      110            ----            ----
2009        510       48           138                40
2010        301       17             17                70
2011        505       32           130                72
2012        479       26          169                 31
2013        05        18             04                ---- 

बड़ी नक्सली घटनाएँ--   
पिछले दो वर्षों में ही झारखंड में नक्सलियों ने कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है।
21 जनवरी 2012 - गढ़वा के भंडरिया में नक्सलियों ने विस्फोट कर पुलिस वाहन उड़ाया, 12 जवान शहीद।
4 फरवरी 2012 - लातेहार के बालूमाथ में पुलिस जीप उड़ायी, फायरिंग में एक दारोगा और दो जवान शहीद।
9 नवंबर 2012 - गिरिडीह में कैदी वाहन पर हमला, तीन जवान शहीद और एक ग्रामीण की मौत।
20 जनवरी 2013 - लातेहार के बरवाडीह क्षेत्र में मठभेड़, 11 जवान शहीद और चार ग्रामीणों की मौत।
20 जनवरी 2013 - झुमरा में लैंड माइंस विस्फोट में 11 जवान घायल।
3 फरवरी 2013 - गिरिडीह में नक्सलियों के साथ मुठभेड़, एक जवान शहीद।
5 फरवरी 2013 - लातेहार एसपी काफिले पर हमला।
2 जुलाई 2013 - दुमका के काठीकुंड में पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार के काफिले पर हमला, बलिहार समेत 6 जवान शहीद।

गुरुवार, 23 जनवरी 2014

अमेरिका में हर 5वीं महिला होती है दुष्कर्म का शिकार / EVERY 5TH AMERICIAN LADY RAPED



-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं के लिए केवल भारत ही नहीं, अपने को सबसे अधिक सभ्य कहने वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रत्येक 5 में एक महिला यौन दुराचार की शिकार हो रही है। यही नहीं अधिकतर यौन दुराचार 18 वर्ष से कम उम्र वाली लड़कियों से हो रही है। भारत की भाषा में कहें तो नाबालिगों से अमेरिकी सर्वाधिक दुष्कर्म करते हैं। सबसे आश्चर्य यह कि विद्यालयों व महाविद्यालयों के परिसर में भी दुष्कर्म को अंजाम दिया जाता है। ऐसे मामलों को विद्यालय-महाविद्यालय प्रशासन छिपा लेता है और ऐसे 8 में से एक मामला ही पुलिस तक पहुँच पाती है। ये हाल है अमेरिका में महिलाओं की सुरक्षा का! अमेरिका में दुष्कर्म के आठ में महज एक मामला ही पुलिस तक पहुँच पाता है। अमेरिका में हर 5वीं महिला होती है रेप का शिकार होती हैं। व्हाइट हाउस काउंसिल की राष्ट्रपति बराक ओबामा की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट स्तर की बैठक से पूर्व व्हाइट हाउस ने यह रिपोर्ट बुधवार 22 जनवरी 2014 को जारी की। ‘रेप और सेक्स का प्रयास : एक कार्रवाई’ नाम की ये रिपोर्ट रेप और रेप के प्रयासों से संबंधित मामलों पर केंद्रित है। रिपोर्ट में सामाजिक स्थिति और उसे सुधारने के बारे में भी बात कही गई है। इसके बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा ने छात्राओं के यौन शोषण को रोकने के लिए एक टास्क फोर्स बनाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए।
2 करोड़ 20 लाख महिलाएं रेप पीड़ित--
अमेरिका में 2 करोड़ 20 लाख महिलाएं रेप पीड़ित हैं यानि हर 5वीं महिला के साथ रेप होता है। ये चौंकाने वाले आँकड़े व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट में सामने आए हैं। बुधवार 22 जनवरी 2014 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक लगभग आधी रेप पीड़ित महिलाएं 18 साल से कम उम्र में ही यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। रिपोर्ट बताती है कि करीब दो करोड़ 20 लाख अमेरिकी महिलाओं और 16 लाख पुरुषों को अपने जीवनकाल में बलात्कार का शिकार होना पड़ा है।
सभी को निशाना बनाया--
रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी वर्गों, नस्लों और देशों की महिलाओं को निशाना बनाया जाता है, लेकिन कुछ महिलाएं अन्य के मुकाबले इस प्रकार के हमलों की अधिक शिकार होती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 33.5 प्रतिशत अलग अलग जाति, वर्ग की महिलाएं रेप का शिकार होतीं हैं जिनमें 27 प्रतिशत अमेरिकी-भारतीय और अलास्का की महिलाएं शामिल हैं। 15 प्रतिशत स्पेनिश, 22 प्रतिशत नीग्रो, 19 प्रतिशत यूरोपीय महिलाओं के साथ रेप होता है। रिपोर्ट के मुताबिक 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से रेप करने वाले ज्यादातर आरोपी युवा ही होते हैं। इतना ही नहीं 10 साल की लड़कियों से रेप करने वालों में ज्यादातर अधेड़ उम्र के लोग शामिल होते हैं।
अपने ही करते हैं रेप--
रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 98 प्रतिशत महिलाओं के नजदीकी लोग ही उनका यौन शोषण करते हैं। हर 71में से एक पुरुष महिलाओं से रेप या यौन उत्पीड़न करता है। इसके विनाशकारी प्रभाव होते हैं जिसमें वे अवसाद, मादक द्रव्यों के सेवन और बड़े पैमाने पर शारीरिक व्याधियां जैसे कि मधुमेह और असीम दर्द के शिकार हो जाते हैं।
पुरुष भी सुरक्षित नहीं--
अमेरिका में पुरुष ही सुरक्षित नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में करीब 16 लाख पुरुष भी अपनी जिंदगी में रेप का शिकार होते हैं।
हर 5वीं छात्रा बनती है शिकार--
रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि हर 5वीं छात्रा कॉलेज में यौन उत्पीड़न का शिकार होती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पांच में से एक छात्रा यौन शोषण का शिकार होती हैं जबकि आठ में एक मामला ही दर्ज हो पाता है। महिलाओं और लड़कियों पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘हमारे देश के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में महिलाएं बलात्कार या यौन शोषण के मामलों की ज्यादा शिकार हो रही हैं।’ रिपोर्ट के मुताबिक कॉलेज परिसर में यौन उत्पीड़न की घटनाओं को शराब और मादक द्रव्यों के सेवन से बढ़ावा मिलता है, जो पीड़ितों को अशक्त बना देते हैं। अपराधकर्ता प्राय: सीरियल अपराधी होते हैं। एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह पाया गया कि कॉलेज के 7 प्रतिशत पुरूषों ने बलात्कार के प्रयास को स्वीकार किया और उनमें से 63 प्रतिशत पुरूषों ने एक से अधिक अपराध, प्रत्येक द्वारा औसतन 6 बलात्कार करने का मामला स्वीकार किया गया।

यौन उत्पीड़न रोकने के लिए कार्यबल

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शारीरिक हमलों, खास कर कॉलेज में बढ़ती यौन उत्पीड़न की घटनाओं से निपटने के लिए एक कार्यबल बनाया है। उन्होंने कहा कि यौन हिंसा न केवल लोगों के साथ अपराध है; बल्कि यह पूरे देश के लिए खतरा है। राष्ट्रपति ने कहा-- हम पूरे अमेरिका में सभी कालेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों के साथ काम करने जा रहे हैं; ताकि उनके परिसरों में यौन हिंसा को रोकने और ऐसे मामलों से निपटने के लिए बेहतर तरीके निकाले जा सकें। यह बात राष्ट्रपति ने 22 जनवरी 2014 मंत्रिमंडल स्तरीय एक बैठक में कही जिसमें उन्होंने यौन हिंसा से छात्रों को बचाने के लिए व्हाइट हाउस कार्य बल गठित करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा-- इसके बाद हम उपायों को अमल में लाएंगे; क्योंकि हमारे स्कूलों को ऐसी जगह बनने की जरुरत है जहां युवा खुद को सुरक्षित और आत्मविश्वास से पूर्ण महसूस कर सकें तथा अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ सकें। राष्ट्रपति ने कहा कि यौन हिंसा न केवल लोगों के प्रति अपराध है; बल्कि यह हमारे परिवारों के लिए, हमारे समुदायों के लिए और पूरे देश के लिए खतरा है. यह हमारे देश के तानेबाने को छिन्न-भिन्न करता है।

बुधवार, 22 जनवरी 2014

ऊँ / OM


-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
सृष्टि के आरम्भ में आदिशक्ति ने प्रथमतः जिस शब्द को उत्पन्न किया, वह ‘ऊँ’ है। इसी शब्द की गूँज पूरे ब्रह्माण्ड में फैल गयी। प्रत्येक सजीव-निर्जीव में ऊँ की गूँज विद्यमान है। इसे ही सभी शब्दों की जननी कहा जाता है। सभी मंत्रों के आरम्भ में इसका प्रयोग किया जाता है। ऊँ को सभी मंत्रों का बीज मंत्र कहा जाता है। ‘ऊँ’ को एकाक्षरी मंत्र कहते हैं। ‘ऊँ’ को ‘प्रणव’ भी कहते हैं। कुछ लोग इसे ‘ऊँकार’ या ओंकार भी कहते हैं। ऊँ को ओम कहना गलत है। इसी तरह ऊँकार को ओंकार कहना भी सही नहीं है। ऊँ से भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा प्रकट हुए।

ऊँ की साधना
अ, उ, म, नाद और बिंदु इन पाँचों को मिलाकर ‘ऊँ’ एकाक्षरी मंत्र बनता है। पद्मासन में मेरुदण्ड सीधा कर बैठ जायें। दोनों हाथों से ज्ञान मुद्रा (तर्जनी को अँगूठे से मिलायें) बनाकर हाथ घुटने पर रखें। उसके बाद पेड़ू से 'अ', ह्रदय से 'उ' और नाक से 'म' को नाद एवं बिंदु की ध्वनि सहित उच्चरित करें। साँस को सामान्य किन्तु लम्बी व गहरी रखें। इस प्रकार ऊँ का किया गया उच्चारण सभी भौतिक व आध्यात्मिक पीड़ा को समाप्त करता है। ऊँ का उच्चारण मस्तिष्क में आने वाले नकारात्मक विचारों को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का विकास करता है। शरीर के तंत्र सुचारु होकर ठीक ढंग से कार्य करते हैं।

मंगलवार, 21 जनवरी 2014

झारखण्ड के देवघर में 100 वॉट का एफएम रेडियो ट्रांसमीटर रिले केन्द्र से प्रसारण शुरू / FM RADIO AT DEOGHAR IN JHARKHAND



-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY

झारखंड के देवघर जिले में 20 जनवरी 2014 को आकाशवाणी और दूरदर्शन रिले केन्द्र में 100 वॉट के एफएम रेडियो ट्रांसमीटर का उद्घाटन सांसद निशिकांत दूबे ने किया। उनके साथ उनकी पत्नी भी थीं। चित्र में उनकी पत्नी भी दिखाई दे रही हैं।

ज्ञात हो कि निशिकांत भारतीय जनता पार्टी के गोड्डा से सांसद हैं। गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में ही देवघर भी पड़ता है। संताल परगना में यह पहला आकाशवाणी केन्द्र है। सांसद के अनुसार यहाँ आकाशवाणी का स्टूडियो भी भविष्य में खोला जायेगा। इसके लिए भूमि अधिग्रहित करना शेष है। वैसे प्रायोगिक प्रसारण पहले से ही चालू था पर 20 जनवरी 2014 को नियमित प्रसारण का शुभारम्भ हुआ।
इस अवसर पर सांसद दूबे ने कहा कि जल्द ही रिले केन्द्र से एफएम के 3 चैनल शुरू होंगे। इसका लाभ यहाँ की जनता को मिलेगा। इस अवसर पर आकाशवाणी के पूर्वी क्षेत्र के अपर महानिदेशक रतन घोष दस्तीदार और आकाशवाणी के क्षेत्रीय निदेशक एसएस टी आलम, आकाशवाणी राँची के निदेशक अभियंत्रण डीसी हेम्ब्रोम भी उपस्थित थे। 
इस अवसर पर आकाशवाणी के कलाकारों ने संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत भी किये।

माँ अम्बिका महारानी राजभोग सेवा संस्थानम् (न्यास), आमी, सारण, बिहार / MAA AMBIKA MAHARANI RAJBHOG SEWA SANSTHANAM (TRUST), AAMI, SARAN, BIHAR


प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय
माँ अम्बिका स्थान (आमी, सारण, बिहार) की व्यवस्था में इस न्यास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसके सचिव हैं माँ अम्बिका स्थान के सन्त भीखम बाबा (जितेन्द्र कुमार तिवारी)  जो मन्दिर परिसर में ही एक आश्रम में रहते हैं।

माँ अम्बिका महारानी राजभोग सेवा संस्थानम् (न्यास) के प्रमुख उद्देश्य हैं-
1. माँ अम्बिका भवानी मन्दिर न्यास को सदैव सहयोग करते हुए माँ अम्बिका स्थान का चहुँमुखी विकास करना।
2. मन्दिर परिसर में आने वाले भक्तों के सेवार्थ कार्य।
3. मन्दिर से सम्बन्धित साहित्यों व धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन।
4. ऊँ सती उद्यान के विकास की पूरी जिम्मेदारी।
5. गौ-सेवा, गौ-पालन व मुक्त बलि प्रथा का प्रचार-प्रसार।
6. भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार हेतु वेदपीठ की स्थापना।
7. माँ अम्बिका स्थान के पण्डों व उनके परिजनों के उत्थान के लिए प्रयास।
8. गंगा आरती को नियमित लागू करना।
9. स्थानीय पण्डा समुदाय, ग्रामीणों व स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयास से वाहन पड़ाव की व्यवस्था।
10. ब्राह्मणों व समस्त जाति-धर्मों के लोगों के बीच संस्कृत का प्रचार-प्रसार।
11. मन्दिर के निकट बाहरी भक्तों के ठहराव के लिए सुविधा सम्पन्न अतिथिशाला का निर्माण।
12. प्रशासनिक सहयोग से पटना-छपरा मुख्य मार्ग से मन्दिर तक पहुँचने वाले सभी सड़कों का चौड़ीकरण।
13. मन्दिर के निकट विवाह भवन का निर्माण; ताकि यहाँ विवाह करने के लिए आने वाले भक्तों को ठहरने आदि में सुविधा हो।
14. माता के सामने सभी समान हैं, अतः वीआईपी पूजा प्रथा को लागू न करना।
15. समय-समय पर मन्दिर परिसर में प्रवचन, सत्संग, योग, भजन-कीर्तन, स्वास्थ्य शिविर व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन।
16. मन्दिर के निकट सुव्यवस्थित मार्केट कॉम्प्लेक्स का निर्माण।
17. मन्दिर में आने वाले भक्तों के लिए शौचालय व पेयजल आदि की व्यवस्था।
18. माता अम्बिका का दर्शन करने वाले प्रत्येक भक्त को माँ का आशीर्वादस्वरूप प्रसाद उपलब्ध करवाना।
19. दहेजमुक्त विवाह को प्रोत्साहित करना।
20. मांसाहारमुक्त, नशामुक्त व भ्रष्टाचारमुक्त समाज के निर्माण में सहयोग।
21. योग व आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार।

झारखण्ड में पनबिजली परियोजनाओं का टूटता सपना / HYDROELECTRIC IN JHARKHAND


-शीतांशु कुमार सहाय

सोमवार, 20 जनवरी 2014

देवघर में 100 वॉट का एफएम रेडियो ट्रांसमीटर शुरू / FM RADIO AT DEOGHAR IN JHARKHAND




-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
झारखंड के देेवघर जिले में 20 जनवरी 2014 को आकाशवाणी और दूरदर्शन रिले केन्द्र में 100 वॉट के एफएम रेडियो ट्रांसमीटर का उद्घाटन सांसद निशिकांत दूबे ने किया। इस अवसर पर सांसद दूबे ने कहा कि जल्द ही रिले केन्द्र से एफएम के 3 चैनल शुरू होंगे। इसका लाभ यहाँ की जनता को मिलेगा। इस अवसर पर आकाशवाणी के पूर्वी क्षेत्र के अपर महानिदेशक रतन घोष दस्तीदार और आकाशवाणी के क्षेत्र्ाीय निदेशक एसएस टी आलम, आकाशवाणी राँची के निदेशक अभियंत्र्ाण डीसी हेम्ब्रोम भी उपस्थित थे। इस अवसर पर आकाशवाणी के कलाकारों ने संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

झारखंड : पनबिजली परियोजनाओं का टूटता सपना / HYDROELECTRICITY IN JHARKHAND

-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
स्थापना के 13 वर्ष 2 महीने के बाद भी खनिज में देश का सबसे धनी राज्य झारखण्ड में बिजली के लिए हाय-तौबा मचा है। सामान्यतः राज्य में 1400 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है पर यहाँ मात्र 500 मेगावाट बिजली ही उत्पादित हो पाता है। इस मामले में केन्द्रीय पुल पर ही आश्रित रहना पड़ रहा है। वैसे अर्जुन मुण्डा की सरकार ने मेकन कम्पनी से पड़ताल करवायी तो उसने 23 स्थानों पर पनबिजली घर लगाने अनुशंसा भी की थी। यों 100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली बनाने की योजना पर अब तक अमल न हो सका।
राँची/शीतांशु कुमार सहाय। झारखंड को पनबिजली से रौशन करने का सपना धराशायी होने की स्थिति में है। झारखंड में ऊर्जा की कमी दूर करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर पनबिजली घर बनाने की योजना पर काम शुरू किया गया। कई बैठकें हुईं। कई कंपनियों से सलाह भी ली गयी। पिछली सरकार ने काम जोर-शोर से शुरू करने का निर्देश भी दिया लेकिन सारी-की-सारी योजनाएँ संचिकाओं में ही दबी रह गयीं।


-नहीं मिली अतिरिक्त 100 मेगावाट बिजली
राज्य में पनबिजली घरों से लगभग 100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली बनाने की योजना बनायी गयी थी। राज्य के ताप बिजली घरों पर से दबाव कम करने के लिए इनका उपयोग किया जाना था। इनमें से कई परियोजनाओं पर काम भी शुरू किया गया। सिविल वर्क पूरा हो जाने के बाद अभी तक काम जोर नहीं पकड़ पाया है।
-कम्पनियों की राय का असर नहीं
झारखंड के लोअर घाघरा, सदनी, नेतरहाट, निंदीघाघ, जालिमघाघ, तेनुघाट, उत्तरी कोयल और चाण्डिल में पनबिजली परियोजना लगाने की स्वीकृति दी गयी थी। इस संदर्भ में पिछली सरकार ने मेकन से सलाह भी माँगी थी। मेकन ने पूरी जाँच-पड़ताल के बाद कुछ स्थानों को पनबिजली घरों के लिए उपयुक्त माना था। कंपनी ने 23 स्थानों पर पनबिजली घर लगाने की अनुशंसा भी की। इसके बाद ऊर्जा विभाग ने एक कंसल्टेंट बहाल किया था। पनबिजली घर लगाना कितना उपयुक्त होगा, इसकी जाँच कर डीपीआर तैयार करने का काम कंसल्टेंट कंपनी को दिया गया लेकिन इस रिपोर्ट का क्या हुआ, इसके बारे में कोई कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है।
-बिहार से झंझट
झारखंड में पनबिजली घरों की उपयोगिता के मद्देनजर संयुक्त बिहार में बिहार राज्य जल विद्युत निगम की स्थापना की गयी थी। निगम ने झारखंड क्षेत्र में 8 परियोजनाओं पर काम शुरू किया जिसपर करीब 150 करोड़ रुपये निगम खर्च भी कर चुका है। राज्य बँटवारे के बाद से ही ऊर्जा विभाग इन परियोजनाओं को अपने अधीन लेने के प्रयास में जुटा हुआ है लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिल पायी है। इसमें सबसे बड़ी अड़चन यह है कि अभी तक इस निगम का बँटवारा दोनों राज्यों के बीच नहीं हुआ है। काफी जद्दोजहद के बाद झारखंड सरकार सिकदरी पनबिजली परियोजना को ही अभी तक अपने अधीन कर पायी है। इन परियोजनाओं को अपने अधीन लेने के लिए सरकार ने निगम के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी थी लेकिन अभी तक इस मामले में ऊर्जा विभाग एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है।
-1400 मेगावाट की जरुरत
झारखंड गठन के 13 वर्ष 2 महीने बाद भी बिजली के मामले में राज्य केन्द्रीय पुल पर निर्भर है। इसके अलावा अतिरिक्त बिजली के लिए वह डीवीसी की ओर देखता है। राज्य में लगभग 1400 मेगावाट बिजली की जरुरत है पर राज्य सरकार अपने संयंत्रों से लगभग 500 मेगावाट बिजली ही उत्पादन कर पाती है। इस स्थिति में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में पनबिजली घरों का महत्त्व बढ़ जाता है।

झारखंड में राज्यसभा चुनाव का विवादों से रहा है रिश्ता : फूँक-फूँककर इस बार कदम रख रहे हैं सभी दल, रस्साकशी / RAJYASABHA ELECTION IN JHARKHAND


-शीतांशु कुमार सहाय


झारखंड में राज्यसभा चुनाव : राजद की दावेदारी से सत्ता-गठबन्धन में पसोपेश

 -शीतांशु कुमार सहाय

रविवार, 19 जनवरी 2014

जिन्दगी का तजुर्बा / LIFE IDEAS


-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
जिन्दगी एक खूबसूरत और हसीन तजुर्बा है। इसे अक्सर बेहतर बनाना हमारे अपने हाथ में है। इसे सजा-संवार सकते हैं या इसे बिगाड़ भी सकते हैं। मैंने अपने तजुर्बे से सीखा है कि जिन्दगी तभी हसीन हो सकती है जब लक्ष्योन्मुखी परिश्रम किया जायेगा। ऐसा विचार आने पर ही मैंने पत्रकारिता व लेखन को अपने शेष जीवन का आधार बनाया और निरन्तर लक्ष्योन्मुखी परिश्रम को अंगीकार कर कर्त्तव्य-पथ पर चल रहा हूँ, चलता जा रहा हूँ। इस दौरान मैंने जो सीखा उसके आधार पर कह सकता हूँ कि लक्ष्य को केन्द्र की तरह स्थिर न रखा जाये, इसे स्थानापन्न बनाये रखना चाहिये। जैसे ही लक्ष्य की प्राप्ति हो जाये तो स्थिर नहीं होना चाहिये अन्यथा कालचक्र की चलायमान स्थिति के मद्देनजर वह कथित स्थिरता भी अवनति के मार्ग पर अग्रसर हो जायेगी। अतः लक्ष्य प्राप्ति के तुरन्त बाद अपने लिए नूतन लक्ष्य निर्धारित कर पुनः उसे प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना चाहिये। यों परिश्रम करने की, विशेषकर लक्ष्योन्मुखी परिश्रम करने की आदत बनी रहेगी। यही वह आदत है जिसका जायका, तासीर और परिणाम तीनों अच्छा होता है, सकारात्मक होता है। इसी सकारात्मकता को अंगीकार कर मैं अपने प्रदत्त कर्त्तव्य का तन्मयता से निर्वहन करता हूँ। अब तक ऐसा ही करता आया हूँ और भविष्य की अनिश्चितता के बावजूद ऐसा ही करता रहूँगा; प्रतिज्ञा यही है।
    कहते हैं कि संस्कारों की ठोस नींव पर खड़ा व्यक्तित्व का भवन बड़ा मजबूत होता है। माता, पिता व गुरुजनों की सत्यनिष्ठता, कर्त्तव्यपरायणता और उनके आध्यात्मिक विचारों ने मुझे संस्कारित किया, कदम बढ़ाने से पूर्व विचार करना सिखाया, श्रेष्ठजनों का सम्मान और छोटों में स्नेह बाँटना बताया। मैं अपने व्यावसायिक जीवन में भी इन्हीं संस्कारों के सहारे परिश्रम के साथ कर्त्तव्य-पथ पर अग्रसर हूँ।


बुधवार, 15 जनवरी 2014

20वें स्क्रीन अवॉर्ड समारोह में अमिताभ बच्चन, रेखा और जया बच्चन एक साथ / अमिताभ को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड / 20th SCREEN AWARD 2014



प्रस्तुति: शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
अमिताभ बच्चन और रेखा को फिल्म ‘सिलसिला’ के बाद एक साथ नहीं देखा गया। किसी समारोह में आमने-सामने आने पर भी एक-दूसरे से बच निकलते थे। ऐसे ही बच निकलती थीं जया भादुड़ी उर्फ जया बच्चन और रेखा भी। पर, 14 जनवरी की रात को मुम्बई में 20वें स्क्रीन अवॉर्ड फंक्शन में अमिताभ बच्चन और रेखा ने एक-दूजे को हाथ जोड़े तो जया बच्चन और रेखा ने हाथ मिलाया और गले मिलीं। फिल्म ‘सिलसिला’ 1981 में आई। इसके बाद अमिताभ बच्चन और रेखा की जोड़ी के लिए दर्शक तरस गए। 20वें स्क्रीन अवॉर्ड फंक्शन में एक पल ऎसा भी आया जब सभी की निगाहें थम-सी गईं, सिनेप्रेमियों को यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी वे देख रहे हैं, वो सपना नहीं बल्कि हकीकत है। महानायक अमिताभ बच्चन के करोड़ों चाहनेवालों को चौंका कर गुजर गया वो पल। एक लंबा सिलसिला खत्म हुआ...और शायद, एक नए सिलसिले की खूबसूरत शुरुआत हो गई। अमिताभ बच्चन ने अवार्ड फंक्शन के दौरान रेखा को खुद जाकर नमस्ते कर उनका स्वागत किया। जवाब में रेखा ने भी उनका अभिवादन किया। 14 जनवरी 2014 की रात 20वें स्क्रीन अवार्ड समारोह में 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड' पाने वाले सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने जैसे ही समारोह में एंट्री की लोग उनके सम्मान में खड़े हो गये जिसके बाद अमिताभ सबको मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर आगे की ओर चलने लगे और इस चक्कर में अमिताभ बच्चन ने खूबसूरत रेखा को भी सबके सामने मुस्कुराकर नमस्ते किया जिसका जवाब रेखा ने भी मुस्कुराकर ही दिया। ,


अमिताभ की पत्‍‌नी जया बच्चन ने भी आगे बढ़कर रेखा को गर्मजोशी के साथ गले लगा लिया।  किसी समारोह में एक-दूसरे को जानबूझकर अनदेखा करने वाली जया-रेखा इस अवार्ड समारोह में काफी गर्मजोशी से मिलती हुईं दिखायी पड़ी। दोनों ने ही पिंक कलर की साड़ी पहनी थीं और एक-दूसरे को दोनों ने गले लगा लिया। बॉलीवुड में ऐसे बहुत सारी अधूरी प्रेम कहानियां है जिन्हें उनका मुकाम नहीं मिला लेकिन रेखा की बात और है। अमिताभ और रेखा के बीच में जरूर कुछ ऐसा था जिसे दोनों ने दुनिया के चलते तो दूर कर दिया लेकिन खुद से दूर नहीं कर पाये। रेखा और अमिताभ ने एक साथ कई हिट फिल्में दी है जिनमें 'गंगा की सौगंध', 'खून-पसीना', 'नटवरलाल', 'सुहाग', 'मुकद्दर का सिंकदर' और 'सिलसिला' शामिल है। यश चोपड़ा निर्देशित 'सिलसिला' दोनों की आखिरी फिल्म थी।

अमिताभ बच्चन को राष्ट्रपति बनाने की वकालत


फिल्म ‘दोस्ताना’ में साथ काम करने वाले अमिताभ और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच में भी दरार के चर्चे आम रहे पर 20वें स्क्रीन पुरस्कार समारोह में दोनों दोस्ताना व्यवहार करते नजर आये। शत्रुघ्न सिन्हा की अमिताभ बच्चन से प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं है। वो समय-समय पर अमिताभ बच्चन की आलोचना करते रहे हैं लेकिन 14 जनवरी 2014 की रात को मुम्बई में 20वें स्क्रीन पुरस्कार समारोह में उन्होंने अमिताभ बच्चन को राष्ट्रपति बनाने की वकालत तक कर डाली।
ऐसे सुखद पलों वाली रही 20वाँ स्क्रीन पुरस्कार समारोह वाली 14 जनवरी 2014 की रात। 

20वें स्क्रीन अवार्ड के विजेताओं की सूची---

Main Winners in 20th Screen Award 2014

लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड : अमिताभ बच्चन
श्रेष्ठ फिल्म : भाग मिल्खा भाग
श्रेष्ठ निर्देशक : शूजीत सरकार, मद्रास कैफे
श्रेष्ठ अभिनेता (पॉप्युलर) : शाहरूख खान, चेन्नई एक्सप्रेस
श्रेष्ठ अभिनेता (ज्यूरी) : फरहान अख्तर, भाग मिल्खा भाग
श्रेष्ठ अभिनेत्री (पॉप्युलर) : दीपिका पादुकोण, राम-लीला व चेन्नई एक्सप्रेस
श्रेष्ठ अभिनेत्री (ज्यूरी) : दीपिका पादुकोण, राम-लीला
लाइफ ओके स्क्रीन अवार्ड : दीपिका पादुकोण
रामनाथ गोयनका मेमोरियल अवार्ड : मद्रास कैफे
बेस्ट वीएफएक्स अवार्ड : रेड चिलीज एंटरटेनमेंट (कृष-3)
बेस्ट डायलॉग : समीर गौतम सिंह (शाहिद)
बेस्ट स्क्रीन प्ले : शाहिद
बेस्ट स्टोरी : मोहन सिक्का : बीए पास
बेस्ट सिंगर (मेल) : अरिजित सिंह, तुम ही हो (आशिकी-2)
बेस्ट सिंगर (फीमेल) : श्रेया घोषाल, सुन रहा है ना (आशिकी-2)
बेस्ट म्यूजिक : प्रीतम, ये जवानी है दीवानी
श्रेष्ठ सहायक अभिनेता : सौरभ शुक्ला, जॉली एलएलबी
श्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री : स्वरा भास्कर, रांझणा
बेस्ट कॉमिक मेल/फीमेल : भोली पंजाबन ऋचा चड्ढा (फुकरे)
बेस्ट विलेन : ऋषि कपूर (डी-डे)
बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट : जपतेज सिंह, भाग मिल्खा भाग
बेस्ट एक्शन : मनोहर वर्मा, मद्रास कैफे
मोस्ट प्रोमेसिंग डेब्यू डायरेक्टर : रितेश बत्रा, द लंच बॉक्स
मोस्ट प्रोमेसिंग न्यूकमर (मेल) : सुशांतसिंह राजपूत, काई पो छे
मोस्ट प्रोमेसिंग न्यूकमर (फीमेल) : एदा अल काशिफ : शिप ऑफ थिसस
स्पेशल ज्यूरी अवार्ड : शिप ऑफ थिसिस
बेस्ट कोरियोग्राफर : रेमो डिसूजा, बदतमीज दिल (ये जवानी है दीवानी)
बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर : शंकर-एहसान-लॉय : भाग मिल्खा भाग

सोमवार, 13 जनवरी 2014

स्वामी विवेकानन्द : देने का आनंद / SWAMI VIVEKANAND : GIVING GLADNESS

-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
12 जनवरी 2014 को स्वामी विवेकानन्द की 151वाँ जन्मोत्सव पूरे विश्व में मनाया गया। उनकी जयन्ती के अवसर पर भारत में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाता है। करोड़ों युवाओं ने उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया, अगर आपने नहीं लिया तो आज ले लीजिये।
एक बार की बात है कि भ्रमण व भाषणों से थके हुए स्वामी विवेकानंद अपने निवास स्थान पर लौटे। उन दिनों वे अमेरिका में एक महिला के यहां ठहरे हुए थे। वे अपने हाथों से भोजन बनाते थे। एक दिन वे भोजन की तैयारी कर रहे थे कि कुछ बच्चे पास आकर खड़े हो गए। उनके पास सामान्यतया बच्चों का आना-जाना लगा ही रहता था। बच्चे भूखे थे। स्वामीजी ने अपनी सारी रोटियां एक-एक कर बच्चों में बांट दी। महिला वहीं बैठी सब देख रही थी। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। आखिर उससे रहा नहीं गया और उसने स्वामीजी से पूछ ही लिया- 'आपने सारी रोटियां उन बच्चों को दे डाली, अब आप क्या खाएंगे?' स्वामीजी के अधरों पर मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने प्रसन्न होकर कहा- 'मां, रोटी तो पेट की ज्वाला शांत करने वाली वस्तु है। इस पेट में न सही, उस पेट में ही सही।' देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है।

अज्ञानता से दुख

स्वामी विवेकानंद ने कहा-- ''शक्ति की वजह से ही हम जीवन में ज्यादा पाने की चेष्टा करते हैं। इसी की वजह से हम पाप कर बैठते हैं और दुख को आमंत्रित करते हैं। पाप और दुख का कारण कमजोरी होता है। कमजोरी से अज्ञानता आती है और अज्ञानता से दुख।''

झारखण्ड : चुनावी रेस में हवा हो गया बालू का मुद्दा; जनता परेशान, किसी भी दल को नहीं है चिन्ता

झारखण्ड : चुनावी रेस में हवा हो गया बालू का मुद्दा; जनता परेशान, किसी भी दल को नहीं है चिन्ता
-शीतांशु कुमार सहाय/ Sheetanshu Kumar Sahay

शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

रविवार के बाद सोमवार और सोमवार के बाद मंगलवार ही क्यों / WHY MONDAY IS AFTER THE SUNDAY



-शीतांशु कुमार सहाय/ SHEETANSHU KUMAR SAHAY

एक दिवस (दिन-रात) 24 घंटों का होता है। सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक की अवधि को दिवस या वार कहते हैं। पृथ्वी से ग्रहों की दूरी के आधार पर क्रम इस प्रकार बनता है- शनि, वृहस्पति, मंगल, सूर्य (रवि), शुक्र, बुध और चन्द्र (सोम)। सबसे दूर शनि और सबसे निकट चन्द्र है। चूँकि यहाँ सप्ताह के सात दिनों की चर्चा करनी है, इसलिए सम्बद्ध मात्र सात ग्रहों को ही लिया है।
एक दिवस में चौबीस होराएँ होती हैं। 24 घण्टों में 24 होराएँ होती हैं। मतलब यह कि एक घण्टे के बराबर एक होरा होती है। घण्टे को ही होरा कहते हैं। प्रत्येक होरे का स्वामी अधःकक्षा क्रम से एक-एक ग्रह होता है। दिवस-गणना के दौरान गणनाकार-मनीषियों की प्रथम दृष्टि ऊपर के ग्रह क्रम के ठीक बीच में स्थित सूर्य पर पड़ी; ताकि पहले के तीन व बाद के तीन ग्रहों की गणना में त्रुटि न रह जाये। अतः गणना सूर्य से ही शुरू हुई। अतः प्रथम होरे का स्वामी सूर्य को माना गया। इस प्रकार ग्रहों का क्रम यों बना-  सूर्य, शुक्र, बुध, चन्द्र और सूर्य के बाद के अन्य तीनों ग्रहों का ऊपर वाला क्रम लिया गया तो सातों का क्रम इस प्रकार बना-  सूर्य, शुक्र, बुध, चन्द्र, शनि, वृहस्पति और मंगल।
रविवार को अन्तिम 24वीं होरे का स्वामी बुध है और उसके बाद के होरे का स्वामी चन्द्र है, अतः वह दिन सोमवार होगा। इसी तरह सोमवार के अन्तिम चौबीसवीं होरे का स्वामी वृहस्पति है और उसके बाद के होरे का स्वामी मंगल है, अतः वह दिन मंगलवार होगा।

रविवार की होराएँ--
01. सूर्य-- रविवार
02. शुक्र
03. बुध
04. चन्द्र
05. शनि
06. वृहस्पति
07. मंगल
08. सूर्य
09. शुक्र
10. बुध
11. चन्द्र
12. शनि
13. वृहस्पति
14. मंगल
15. सूर्य
16. शुक्र
17. बुध
18. चन्द्र
19. शनि
20. वृहस्पति
21. मंगल
22. सूर्य
23. शुक्र
24. बुध

सोमवार की होराएँ--
01. चन्द्र-- सोमवार
02. शनि
03. वृहस्पति
04. मंगल
05. सूर्य
06. शुक्र
07. बुध
08. चन्द्र
09. शनि
10. वृहस्पति
11. मंगल
12. सूर्य
13. शुक्र
14. बुध
15. चन्द्र
16. शनि
17. वृहस्पति
18. मंगल
19. सूर्य
20. शुक्र
21. बुध
22. चन्द्र
23. शनि
24. वृहस्पति

मंगलवार की होराएँ--
01. मंगल-- मंगलवार
02. सूर्य
03. शुक्र
04. बुध
05. चन्द्र
06. शनि
07. वृहस्पति
08. मंगल
09. सूर्य
10. शुक्र
11. बुध
12. चन्द्र
13. शनि
14. वृहस्पति
15. मंगल
16. सूर्य
17. शुक्र
18. बुध
19. चन्द्र
20. शनि
21. वृहस्पति
22. मंगल
23. सूर्य
24. शुक्र

बुधवार की होराएँ--
01. बुध-- बुधवार
02. चन्द्र
03. शनि
04. वृहस्पति
05. मंगल
06. सूर्य
07. शुक्र
08. बुध
09. चन्द्र
10. शनि
11. वृहस्पति
12. मंगल
13. सूर्य
14. शुक्र
15. बुध
16. चन्द
17. शनि
18. वृहस्पति
19. मंगल
20. सूर्य
21. शुक्र
22. बुध
23. चन्द्र
24. शनि

वृहस्पतिवार की होराएँ--
01. वृहस्पति-- वृहस्पतिवार
02. मंगल
03. सूर्य
04. शुक्र
05. बुध
06. चन्द्र
07. शनि
08. वृहस्पति
09. मंगल
10. सूर्य
11. शुक्र
12. बुध
13. चन्द्र
14. शनि
15. वृहस्पति
16. मंगल
17. सूर्य
18. शुक्र
19. बुध
20. चन्द्र
21. शनि
22. वृहस्पति
23. मंगल
24. सूर्य

शुक्रवार की होराएँ--
01. शुक्र-- शुक्रवार
02. बुध
03. चन्द्र
04. शनि
05. वृहस्पति
06. मंगल
07. सूर्य
08. शुक्र
09. बुध
10. चन्द्र
11. शनि
12. वृहस्पति
13. मंगल
14. सूर्य
15. शुक्र
16. बुध
17. चन्द्र
18. शनि
19. वृहस्पति
20. मंगल
21. सूर्य
22. शुक्र
23. बुध
24. चन्द्र

शनिवार की होराएँ--
01. शनि-- शनिवार
02. वृहस्पति
03. मंगल
04. सूर्य
05. शुक्र
06. बुध
07. चन्द्र
08. शनि
09. वृहस्पति
10. मंगल
11. सूर्य
12. शुक्र
13. बुध
14. चन्द्र
15. शनि
16. वृहस्पति
17. मंगल
18. सूर्य
19. शुक्र
20. बुध
21. चन्द्र
22. शनि
23. वृहस्पति
24. मंगल
01. सूर्य-- पुनः रविवार

    सप्ताह के सात दिनों का यह क्रम भारत के ऋषियों ने हजारों वर्षों पहले दिया। तब की गणना आज की तरह संगणक (कम्प्यूटर) या सूत्रगणक (कैलकुलेटर) पर आधारित नहीं थी। वह गणना वैदिक गणित पर आधारित थी।
    भारत की यही प्राचीन दिवस गणना प्रणाली को आज विश्व के सभी देश मानते हैं। पूरे विश्व में यही पद्धति मान्य व प्रचलित है।
    अब तो आप जान गये कि रविवार के बाद सोमवार व सोमवार के बाद मंगलवार ही क्यों होता है। ...तो इस जानकारी का शुल्क मुझे दीजिये। शुल्क यही है कि आप भी इसे अपने मित्रों और सम्बन्धियों को बताइये। ज्ञान को जितना प्रसारित करेंगे, मेरे हिसाब से उतना ही अच्छा है। ज्ञान को अपने तक रोकना पाप है, यह देशद्रोह भी है; क्योंकि ज्ञान को रोकने से देश का विकास रूकता है।  


धूम्रपान करने में दूसरे नंबर पर हैं भारतीय महिलाएं SMOKING : INDIAN LADIES ON 2nd POSITION IN THE WORLD



-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
एक अध्ययन में भारत की महिलाओं ने जिस क्षेत्र में विकास किया है उसे शायद ही कोई नहीं सराहेगा और वह है धूम्रपान। शोध पत्रिका 'जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन' में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक भारतीय महिलाएं धूम्रपान करने में अमेरिका के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर हैं। अमेरिका तंबाकू सेवन से छुटकारा पाने वालों में जहां सबसे आगे रहा, वहीं वैश्विक स्तर पर प्रतिदिन धूम्रपान करने वालों की संख्या में चिंताजनक स्तर पर वृद्धि हुई है जिसमें भारत भी शामिल है। एक शोध पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में तीन दशक पहले जहां धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों की संख्या 7.45 करोड़ थी, अब उसमें काफी वृद्धि हो चुकी है। आज भारत में लगभग 11 करोड़ व्यक्ति धूम्रपान की लत के शिकार हैं। अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर जहां धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में पिछले तीन दशकों में सात प्रतिशत का इजाफा हुआ, वहीं भारत में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या में 200 प्रतिशत से भी अधिक का इजाफा हुआ है। 1980 में भारत में जहां 53 लाख महिलाएं धूम्रपान करती थीं, वहीं 2012 में यह संख्या बढ़कर 1.21 करोड़ हो चुकी है।
पुरुषों में भी धूम्रपान करने की लत में पिछले तीन दशकों में भारत में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। भारत में तीन दशक पहले जहां धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों की संख्या 7.45 करोड़ थी, वहीं आज लगभग 11 करोड़ व्यक्ति धूम्रपान की लत के शिकार हैं जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। इस बीच तंबाकू सेवन से छुटकारा पाने वालों में अमेरिका सबसे आगे रहा, बावजूद इसके अमेरिकी महिलाएं धूम्रपान में विश्व में पहले स्थान पर हैं।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के 'इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन' में सहायक प्रवक्ता मारी आंग ने अध्ययन में कहा कि भारत, बांग्लादेश, चीन और इंडोनेशिया सहित कई एशियाई देशों में 2006 के बाद से धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि कई देशों में नियंत्रणकारी नीतियां पहले ही लागू कर दी गई हैं, इसके बावजूद जिन देशों में धूम्रपान करने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है वहां तंबाकू सेवन पर नियंत्रण लगाने के लिए सघन प्रयास किए जाने की जरूरत है। कई देशों में नियंत्रणकारी नीतियां पहले ही लागू कर दी गई हैं, इसके बावजूद जिन देशों में धूम्रपान करने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है वहां तंबाकू सेवन पर नियंत्रण लगाने के लिए सघन प्रयास किए जाने की जरूरत है। अध्ययन में कहा गया है कि 15 वर्ष की आयु से अधिक की आबादी में तेजी से वृद्धि होने के कारण धूम्रपान करने वालों की संख्या में तेज इजाफा देखने को मिला है।
वैश्विक स्तर पर धूम्रपान की लत में 41 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि एशियाई देशों में 15 वर्ष की आयु से अधिक की आबादी में तेजी से वृद्धि होने के कारण धूम्रपान करने वालों की संख्या में तेज इजाफा हुआ है।

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

सैलानियों को आकर्षित करते हैं गिरिडीह के प्राकृतिक नजारे / MANY NATURAL & PLEASANT TOURIST PLACESES AT GIRIDIH IN JHARKHAND



-शीतांशु कुमार सहाय / SHEETANSHU KUMAR SAHAY
झारखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थलों में गिरिडीह का भी नाम आता है। जिले में कई ऐसे मनोरम स्थल हैं जहाँ झारखण्ड के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों से सैलानी आते हैं। विदेश से भी पर्यटक आते हैं। गिरिडीह के पर्यटक स्थलों में प्रमुख हैं- खंडोली का मनोरम प्राकृतिक दृश्य, जल प्रपात, पारसनाथ व मधुबन।
खण्डोली
खंडोली का मनोरम दृश्य

जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूर गिरिडीह-बेंगाबाद पथ पर स्थित खण्डोली डैम की छटा बरबस सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। यहाँ हर उम्र के लोगों का खास ध्यान रखा गया है। खण्डोली में बोटिंग, ट्वॉय ट्रेन समेत अन्य कई मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहाँ बना पार्क सैलानियों का मुख्य आकर्षण का केन्द्र होता है। पार्क में रंग-बिरंगे फूल, कई तरह के पक्षी, झूले आदि लगे हैं। डैम में विचरण करते साइबेरियन पक्षी को देख सैलानी बरबस रोमांचित होते हैं। दिसम्बर-जनवरी में साइबेरियन पक्षी को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। ये पक्षी मीलों दूर साइबेरिया से आते हैं और जाड़े की ऋतु समाप्त होने के बाद लौट जाते हैं। भाग-दौड़ की जिन्दगी में लोग फुर्सत के पल बिताने के लिए यहाँ पहँुचते हैं। खण्डोली में पहाड़, डैम व पार्क के अनोखे संगम को देखकर पर्यटक का मन पुलकित हो उठता है। पर्यटक पहाड़ों पर चढ़ने के साथ-साथ नौका विहार का भी आनंद उठाते हैं। बाहर से आने वाले पर्यटक यहाँ पहुँचकर खण्डोली की तारीफ करते नहीं थकते। लोग यहाँ पूरे परिवार के साथ आकर पिकनिक मनाते हैं और जमकर इन वादियों का आनंद उठाते हैं।
जल प्रपात
जल प्रपात क्षेत्र में घूमते सैलानी


जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन

गिरिडीह-धनबाद मुख्य पथ पर जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर अवस्थित जल प्रपात भी पिकनिक स्पॉट के रूप में जाना जाता है। प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर जल प्रपात गिरिडीह के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है। शहर से दूरी अधिक रहने के कारण अन्य दिनों में यहाँ भीड़ काफी कम रहती है पर पर्व-त्योहारों के समय यहाँ सैलानियों का ताँता लगा रहता है। जंगल के बीच प्राकृतिक झरने से गिरते हुए पानी की कलकल आवाज सहसा पर्यटकों को लुभाती है।
जैनियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ पारसनाथ
जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर अवस्थित है जैनियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पारसनाथ। यहाँ सालोंभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। पारसनाथ को प्रकृति ने इतनी खूबसूरती प्रदान की है कि मानो यहाँ स्वयं भगवान वास करते हैं। झारखण्ड का सबसे उँचा पहाड़ होने के साथ-साथ यहाँ कई मंदिर हैं। पर्यटकों के रूकने का भी यहाँ खास इंतजाम है। यहाँ कई पार्क हैं जहाँ सैलानी अपना समय बिताते हैं।
जैनियों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी पारसनाथ में आकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।




माता आदिशक्ति के 108 नाम / MAA AADISHAKTI'S 108 NAMES


प्रस्तुति- शीतांशु कुमार सहाय
1.भवप्रीता,  2.भवानी,   3.भवमोचनी, 4.आर्या, 5.दुर्गा, 6.जया, 7.आद्या, 8.त्रिनेत्रा, 9.शूलधारिणी, 10.पिनाकधारिणी, 11.चित्रा, 12.चंद्रघंटा, 13.महातपा, 14.बुद्धि, 15.अहंकारा, 16.चित्तरूपा, 17.चिता, 18.चिति, 19.सर्वमंत्रमयी, 20.सत्ता, 21.सत्यानंदस्वरुपिणी, 22.अनंता, 23.भाविनी, 24.भव्या, 25.अभव्या, 26.सदागति, 27.शाम्भवी, 28.देवमाता, 29.चिंता, 30.रत्नप्रिया, 31.सर्वविद्या, 32.दक्षकन्या, 33.दक्षयज्ञविनाशिनी, 34.अपर्णा, 35.अनेकवर्णा, 36.पाटला, 37.पाटलावती, 38.पट्टाम्बरपरिधाना, 39.कलमंजरीरंजिनी, 40.अमेयविक्रमा, 41.क्रूरा, 42.सुन्दरी, 43.सुरसुन्दरी, 44.नवदुर्गा, 45.मातंगी, 46.मतंगमुनिपूजिता, 47.ब्राह्मी, 48.माहेश्वरी, 49.एंद्री, 50.कौमारी, 51.वैष्णवी, 52.चामुंडा, 53.वाराही, 54.लक्ष्मी, 55.पुरुषाकृति, 56.विमला, 57.उत्कर्षिनी, 58.ज्ञाना, 59.क्रिया, 60.नित्या, 61.बुद्धिदा, 62.बहुला, 63.बहुलप्रिया, 64.सर्ववाहनवाहना, 65.निशुंभशुंभहननी, 66.महिषासुरमर्दिनी, 67.मधुकैटभहंत्री, 68.चंडमुंडविनाशिनी, 69.सर्वसुरविनाशा, 70.सर्वदानवघातिनी, 71.सर्वशास्त्रमयी, 72.सत्या, 73.सर्वास्त्रधारिनी, 74.अनेकशस्त्रहस्ता, 75.अनेकास्त्रधारिनी, 76.कुमारी, 77.एककन्या, 78.कैशोरी, 79.युवती, 80.यत‍ि, 81.अप्रौढ़ा, 82.प्रौढ़ा, 83.वृद्धमाता, 84.बलप्रदा, 85.महोदरी, 86.मुक्तकेशी, 87.घोररूपा, 88.महाबला, 89.अग्निज्वाला, 90.रौद्रमुखी, 91.कालरात्रि, 92.तपस्विनी, 93.नारायणी, 94.भद्रकाली, 95.विष्णुमाया, 96.जलोदरी, 97.शिवदुती, 98.कराली, 99.अनंता, 100.परमेश्वरी, 101.कात्यायनी, 102.सावित्री, 103.प्रत्यक्षा, 104.ब्रह्मवादिनी, 105.अम्बा,  106.पराम्बा,  107.अम्बिका,   108.भुवनेश्वरी।

बिहार के नालन्दा जिले में अपने पैतृक गाँव कल्याण बिगहा स्थित देवी मन्दिर में एक जनवरी 2014 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूजा की। साथ में हैं पुरोहित जो पूजा करवा रहे हैं।

बुधवार, 1 जनवरी 2014

वर्ष 1947 की तरह 2014 / 1947 And 2014 Are Same As Dates & Days



ऐसा संयोग होता रहता है। एक संयोग देखिये कि इस वर्ष यानि सन् 2014 की दिनपत्री ठीक वही है जो सन् 1947 की दिनपत्री थी। दोनों वर्षों के दिनपत्री यानि कैलेण्डर का मिलान करें।


श्रीमद्भगवद्गीता में यज्ञ की महिमा : आत्मा का आत्मा में हवन / YAJANA IN SHRIMADBHAGWADGEETA



-शीतांशु कुमार सहाय 
यज्ञ के कई फायदे हैं। इससे जहाँ वातावरण शुद्ध होता है वहीं स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। वायु, तन व मन की शुद्धि होती है। साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होता है। यज्ञ के सन्दर्भ में कई ग्रन्थों में उल्लेख मिलते हैं। योग के माध्यम से आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने वाले आन्तरिक हवन व यज्ञ करते हैं और श्रीमद्भगवद्गीता का निरन्तर पाठ करते हैं। सामान्य तौर पर विविध हवन सामग्रियों को अग्नि-कुण्ड में डालकर उसे सूक्ष्म रूप से वायुमण्डल में समाहित करा दिया जाता है जिससे उन पशु, पक्षियों व वनस्पतियों को भी लाभ मिलता है जो यज्ञ नहीं कर पाते हैं। यहाँ जानते हैं श्रीमद्भगवद्गीता में यज्ञ का महत्त्व।
गायत्री सद्बुद्धि की देवी और यज्ञ सत्कर्मों का पिता है। सद्भावनाओं एवं सत्प्रवृत्तियों के अभिवर्द्धन के लिए गायत्री माता और यज्ञ पिता का युग्म हर दृष्टि से सफल एवं समर्थ सिद्ध हो सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार परमात्मा के निमित्त किया कोई भी कार्य यज्ञ कहा जाता है। परमात्मा के निमित्त किये कार्य से संस्कार पैदा नहीं होते न कर्म बंधन होता है। श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश देते हुए विस्तारपूर्वक विभिन्न प्रकार के यज्ञों को बताया गया है। श्री भगवन कहते हैं-- अर्पण ही ब्रह्म है, हवि ब्रह्म है, अग्नि ब्रह्म है, आहुति ब्रह्म है, कर्म रूपी समाधि भी ब्रह्म है और जिसे प्राप्त किया जाना है वह भी ब्रह्म ही है। यज्ञ परब्रह्म स्वरूप माना गया है। इस सृष्टि से हमें जो भी प्राप्त है, जिसे अर्पण किया जा रहा है, जिसके द्वारा हो रहा है, वह सब ब्रह्मस्वरूप है अर्थात सृष्टि का कण-कण, प्रत्येक क्रिया में जो ब्रह्मभाव रखता है वह ब्रह्म को ही पाता है अर्थात ब्रह्मस्वरूप हो जाता है।

आत्मा का आत्मा में हवन--
कर्मयोगी देव यज्ञ का अनुष्ठान करते हैं तथा अन्य ज्ञान योगी ब्रह्म-अग्नि में यज्ञ द्वारा यज्ञ का हवन करते हैं। देव पूजन उसे कहते हैं जिसमें योग द्वारा अधिदैव अर्थात जीवात्मा को जानने का प्रयास किया जाता है। कई योगी ब्रह्म-अग्नि में आत्मा का आत्मा में हवन करते हैं अर्थात अधियज्ञ (परमात्मा) का पूजन करते हैं।

आत्मसंयम की योगाग्नि में विषयों की आहुति-- 
कई योगी इन्द्रियों के विषयों को रोककर अर्थात इन्द्रियों को संयमित कर हवन करते हैं। अन्य योगी शब्दादि विषयों को इन्द्रिय रूप अग्नि में हवन करते है अर्थात मन से इन्द्रिय विषयों को रोकते हैं। अन्य कई योगी सभी इन्द्रियों की क्रियाओं एवं प्राण क्रियाओं को एक करते हैं अर्थात इन्द्रियों और प्राण को वश में करते हैं, उन्हें निष्क्रिय करते हैं। इन सभी वृत्तियों को करने से ज्ञान प्रकट होता है। ज्ञान द्वारा आत्मसंयम की योगाग्नि प्रज्ज्वलित कर सम्पूर्ण विषयों की आहुति देते हुए आत्म-यज्ञ करते हैं। इस प्रकार भिन्न भिन्न योगी द्रव्य-यज्ञ, तप-यज्ञ तथा दूसरे योग-यज्ञ करने वाले है और कई तीक्ष्णव्रती होकर योग करते हैं। यह स्वाध्याय यज्ञ करने वाले पुरुष शब्द में शब्द का हवन करते है। इस प्रकार यह सभी कुशल और यत्नशील योगाभ्यासी पुरुष जीव बुद्धि का आत्मस्वरूप में हवन करते हैं।
द्रव्य-यज्ञ--
इस सृष्टि से जो कुछ भी हमें प्राप्त है उसे ईश्वर को अर्पित कर ग्रहण करना द्रव्य यज्ञ है।
तप-यज्ञ--
जप कहाँ से हो रहा है इसे देखना तप यज्ञ है। स्वर एवं हठयोग क्रियाओं को भी तप यज्ञ जाना जाता है।
योग-यज्ञ-
प्रत्येक कर्म को ईश्वर के लिया कर्म समझ निपुणता से करना योग यज्ञ है।
तीक्ष्णवृत्ति-- 
यम, नियम, संयम आदि कठोर शारीरिक और मानसिक क्रियाओं द्वारा मन को निग्रह करने का प्रयास. शम, दम, उपरति, तितीक्षा, समाधान, श्रद्धा। मन को संसार से रोकना शम है। बाह्य इन्द्रियों को रोकना दम है। निवृत्त की गयी इन्द्रियों भटकने न देना उपरति है। सर्दी-गर्मी, सुख-दुःख, हानि-लाभ, मान-अपमान को शरीर धर्म मानकर सरलता से सह लेना तितीक्षा है। रोके हुए मन को आत्म-चिन्तन में लगाना समाधान है।
अपान वायु में प्राण वायु का हवन--
कई योगी अपान वायु में प्राण वायु का हवन करते हैं जैसे अनुलोम-विलोम से सम्बंधित श्वास क्रिया तथा कई प्राण वायु में अपान वायु का हवन करते हैं जैसे गुदा संकुचन अथवा सिद्धासन। कई प्राण और अपान दोनों प्रकार की वायु को रोककर प्राणों का प्राण में हवन करते हैं, जैसे रेचक और कुम्भक प्राणायाम।
कई योगी सब प्रकार के आहार को जीतकर अर्थात नियमित आहार करने वाले प्राण वायु में प्राण वायु का हवन करते हैं अर्थात प्राण को पुष्ट करते हैं। इस प्रकार यज्ञों द्वारा काम, क्रोध एवं अज्ञान रूपी पाप नाश हो जाते हैं अर्थात ज्ञान से परमात्मा को जान लेते हैं।
यज्ञ का अमृत--
यज्ञ से बचे हुए अमृत का अनुभव करने वाले परमात्मा को प्राप्त होते हैं अर्थात यज्ञ क्रिया के परिणाम स्वरूप जो बचता है वह ज्ञान ब्रह्मस्वरूप है। इस ज्ञान रूपी अमृत को पीकर वह योगी तृप्त और आत्म स्थित हो जाते हैं परन्तु जो मनुष्य यज्ञाचरण नहीं करते उनको न इस लोक में कुछ हाथ लगता है न परलोक में। इस प्रकार श्रीमद्भगवद्गीता एवं वेद में बहुत प्रकार की यज्ञ की विधियाँ बताई गयी हैं। यह यज्ञ विधियाँ कर्म से ही उत्पन्न होती हैं। इस बात को जानकर कर्म की बाधा से जीव मुक्त हो जाता है। ज्ञान ही अमृत है और इस ज्ञान को लम्बे समय तक योगाभ्यासी पुरुष अपने आप अपनी आत्मा में प्राप्त करता है; क्योंकि आत्मा ही अक्षय ज्ञान का स्रोत है। जिसने अपनी इन्द्रियों का वश में कर लिया है तथा निरन्तर उन्हें वशमें रखता है, जो निरन्तर आत्मज्ञान में तथा उसके उपायों में श्रद्धा रखता है- जैसे गुरू, शास्त्र, संत आदि में। ऐसा मनुष्य उस अक्षय ज्ञान को प्राप्त होता है तथा ज्ञान को प्राप्त होते ही परम शान्ति को प्राप्त होता है। ज्ञान प्राप्त होने के बाद उसका मन नहीं भटकता, इन्द्रियों के विषय उसे आकर्षित नहीं करते, लोभ और मोह से वह दूर हो जाता है तथा निरन्तर ज्ञान की पूर्णता में रमता हुआ आनन्द को प्राप्त होता है।
द्रव्य-यज्ञ से ज्ञान-यज्ञ श्रेष्ठ-- 
द्रव्य-यज्ञ की अपेक्षा ज्ञान-यज्ञ अत्यन्त श्रेष्ठ है। द्रव्य-यज्ञ सकाम यज्ञ हैं और अधिक-से-अधिक स्वर्ग को देने वाले हैं परन्तु ज्ञान-यज्ञ द्वारा योगी कर्म बन्धन से छुटकारा पा जाता है और परम गति को प्राप्त होता है। सभी कर्म ज्ञान में समाप्त हो जाते हैं। ज्ञान से ही आत्म तृप्ति होती है और कोई कर्म अवशेष नहीं रहता। प्रज्ज्वलित अग्नि सभी काष्ठ को भस्म कर देती है उसी प्रकार ज्ञानाग्नि सभी कर्म फलों को; उनकी आसक्ति को भस्म कर देती है। इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला वास्तव में कुछ भी नहीं है; क्योंकि जल, अग्नि आदि से यदि किसी मनुष्य अथवा वस्तु को पवित्र किया जाय तो वह शुद्धता और पवित्रता थोड़े समय के लिए ही होती है, जबकि ज्ञान से जो मनुष्य पवित्र हो जाय वह पवित्रता सदैव के लिए हो जाती है।

सत्कर्मों का पिता है यज्ञ--
यज्ञ की वायु तो सर्वत्र ही पहुँचती है और पशु-पक्षियों, कीटाणुओं एवं वनस्पतियों के आरोग्य की भी यज्ञ से रक्षा होती है। यज्ञ की ऊष्मा मनुष्य के अंतःकरण पर देवत्व की छाप डालती है। जहाँ यज्ञ होते हैं, वह भूमि एवं प्रदेश सुसंस्कारों की छाप अपने अन्दर धारण कर लेता है और वहाँ जाने वालों पर दीर्घकाल तक प्रभाव डालता रहता है। तीर्थ वहीं बने हैं, जहाँ बड़े-बड़े यज्ञ हुए थे। जिन घरों में, जिन स्थानों में यज्ञ होते हैं, वह भी एक प्रकार का तीर्थ बन जाता है और वहाँ जिनका आगमन रहता है, उनकी मनोभूमि उच्च, सुविकसित एवं सुसंस्कृत बनती हैं। महिलाएँ, छोटे बालक एवं गर्भस्थ बालक विशेष रूप से यज्ञ शक्ति से अनुप्राणित होते हैं। उन्हें सुसंस्कारी बनाने के लिए यज्ञीय वातावरण की समीपता बड़ी उपयोगी सिद्ध होती है। कुबुद्धि, कुविचार, दुर्गुण एवं दुष्कर्मों से विकृत मनोभूमि में यज्ञ से भारी सुधार होता है। इसलिए यज्ञ को पापनाशक कहा गया है। यज्ञीय प्रभाव से सुसंस्कृत हुई विवेकपूर्ण मनोभूमि का प्रतिफल जीवन के प्रत्येक क्षण को स्वर्ग जैसे आनन्द से भर देता है, इसलिए यज्ञ को स्वर्ग देने वाला कहा गया है। कर्मकाण्डों, धर्मानुष्ठानों, संस्कारों, पर्वों में यज्ञ आयोजन मुख्य है।