मंगलवार, 30 सितंबर 2014

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त संपादकीय / Joint Editorial By U.S. President Barack Obama and Indian PM Narendra Modi



अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद आज दोनों नेताओं ने संयुक्त संपादकीय जारी किया। ये संपादकीय वॉशिंगटन पोस्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा द्वारा संयुक्त रूप से लिखा गया पूरा संपादकीय पढ़ें-

राष्ट्रों के रूप में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका लोकतंत्र, स्वतंत्रता, विविधता एवं उद्यम के प्रति राष्ट्रों के रूप में प्रतिबद्ध हैं और सामान्य मूल्य और परस्पर हितों से जुड़े हैं। हमने मानव इतिहास के पथ में राष्ट्र को सकारात्मक आकार दिया है और आने वाले सालों में साझा कोशिशों से हमारी स्वभाविक और अनोखी साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को आकार देने में सहायता कर सकती है।

संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत का मूल न्याय और समानता के लिए अपने नागरिकों की साझी इच्छा में है। 1893 में शिकागो में विश्व धर्मसंसद में स्वामी विवेकानंद ने हिन्दुत्व को विश्व धर्म के रूप में प्रस्तुत किया। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने जब अफ्रीकी अमेरिकी लोगों के साथ भेदभाव और पूर्वाग्रह समाप्त करने की ठानी तब वे महात्मा गांधी की अहिंसा की शिक्षा से प्रेरित थे। गांधी स्वयं हेनरी डेविड थ्यो‍रो की लेखनी से प्रेरित थे।

राष्ट्रों के रूप में हमने लोकहित के लिए दशकों तक साझेदारी की है। भारत की जनता हमारे सहयोग के मजबूत स्तंभ के रूप में याद करती है। हमारे सहयोग के अनेक उदाहरणों में खाद्यान उत्पादन की हरित क्रांति व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैं।

आज हमारी साझेदारी सुदृढ़, विश्वसनीय एवं स्थायी है और यह बढ़ रही है। हमारे संबंध पहले से अधिक बहुपक्षीय सहयोग के हैं। ऐसा न केवल संघीय स्तर पर है बल्कि राज्य एवं स्थानीय स्त़र, हमारी दोनों सेनाओं के बीच, निजी क्षेत्रों और नागरिक समाज में भी है। हमारे संबंधों में इतना कुछ हुआ है कि साल 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यह घोषणा की थी कि हम स्वभाविक मित्र हैं।

सालों से बढ़ते सहयोग के बाद से हम विद्यार्थी अनुसंधान परियोजनाओं पर एक साथ काम करते हैं। हमारे वैज्ञानिक अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करते हैं और हमारे वरिष्ठ, अधिकारी वैश्विक विषयों पर निकटता से विचार-विमर्श करते हैं। हमारी सेनाएं वायु, जमीन और समुद्र में संयुक्त अभ्यास करती है और हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम सहयोग के अप्रत्याशित क्षेत्र में हैं और परिणामस्वरूप हम पृथ्वी से मंगल पर पहुंच गए हैं। इस साझेदारी में भारतीय अमेरिकी समुदाय जीवंत और दोनों देशों के बीच सेतु है। इसकी सफलता हमारी जनता, मुक्त अमेरिकी समाज के मूल्य और एक साथ काम करने की शक्ति के महत्व को दिखाती है।

अभी हमारे संबंधों की वास्तविक क्षमता को पूरी तरह से उपयोग में लाना शेष है। भारत में नई सरकार बनना हमारे संबंधों को व्यापक और दृढ़ बनाने के लिए स्वभाविक अवसर है। नई आकांक्षा और दृढ़ विश्वास की नई ऊर्जा के साथ हम सुदृढ़ एवं पारंपरिक लक्ष्यों से आगे बढ़ सकते हैं। यह समय अपने नागरिकों के लिए ठोस लाभ हासिल करने वाला नया एजेंडा तय करने का है।

भारत के महत्वाकांक्षी विकास एजेंडे के साथ मिलकर संयुक्त राज्य अमेरिका को भी वैश्विक वृद्धि का इंजन बनाए रखते हुए, यह एजेंडा हमें व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में अपने सहयोग के विस्तार को बढ़ाने के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद तरीके खोजने में सक्षम बनाता है। आज जब हम वॉशिंगटन में मुलाकात करेंगे तो हम उन तरीकों पर चर्चा करेंगे जिसमें हम अपने समान वातावरण के भविष्य को सुरक्षित बनाते हुए विनिर्माण को बढ़ावा दे सकें और सस्ती अक्षय ऊर्जा का विस्तार कर सकते हैं।

हम उन विषयों पर भी चर्चा करेंगे जिनमें हम अपने व्यापारियों, वैज्ञानिकों और सरकारों को साझीदार बना सकते हैं क्योंकि भारत, खासतौर पर नागरिकों के सबसे गरीब वर्ग के लिए, बुनियादी सेवाओं की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उपलब्धता में सुधार के लिए काम करता है। इस संबंध में अमेरिका सहायता के लिए तैयार है। एक मजबूत समर्थन का तत्काल क्षेत्र 'स्वच्छ भारत अभियान' है, जिसमें हम संपूर्ण भारत में स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार के लिए निजी और नागरिक समाज के नवाचार, विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी का लाभ लेंगे।

जहां एक ओर हमारे साझा प्रयासों से हमारे अपने लोगों को लाभ मिलेगा, वहीं हमारी भागीदारी भी अपने हिस्से के योगदान को और व्यापक बनाने की इच्छा रखती है। राष्ट्रों के तौर पर, लोगों के रूप में हम सभी के लिए एक बेहतर भविष्य की कामना करते हैं, जिनमें से एक, हमारी रणनीतिक साझेदारी भी व्यापक स्तर पर दुनिया के लिए लाभों का सृजन करती है। जहां एक तरफ, भारत को अमेरिकी निवेश और तकनीकी साझेदारियों से उत्पन्न वृद्धि से लाभ मिलेगा तो वहीं अमेरिका को एक मजबूत और अधिक समृद्ध भारत से लाभ पहुंचेगा। इसके फलस्वरूप, क्षेत्र और दुनिया हमारी मित्रता से उत्पन्न व्यापक स्थिरता और सुरक्षा से लाभांवित होगी। हम दक्षिण एशिया को एकीकृत बनाने के व्यापक प्रयासों के साथ-साथ इसे मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों और इसके बाजारों से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वैश्विक साझेदार के रूप में हम आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और कानून प्रवर्तन सहयोग के माध्यम से गुप्तचर सूचनाओं के आदान-प्रदान के द्वारा अपने देशों की सुरक्षा बढ़ाने, जबकि समुद्री क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता और वैध व्यापार को बनाए रखने के लिए भी हम संयुक्त रूप से कार्य करने को प्रतिबद्ध हैं। हमारे स्वास्थ्य सहयोग से हमें सबसे मुश्किल चुनौतियों जैसे इबोला के प्रसार, कैंसर इलाज के अनुसंधान अथवा तपेदिक, मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से निपटने में सफलता पाने में मदद मिलेगी। हम महिला सशक्तिकरण, क्षमता संवर्धन और अफगानिस्तान व अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा के लिए एक साथ काम करने की अपनी हाल की परंपरा का विस्तार करने के भी इच्छुक है।

अंतरिक्ष का अन्वेषण हमारी कल्पना शक्ति को मूर्त रूप देने और हमारी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाने के लिए चुनौती के रूप में जारी रहेगा। मंगल की परिक्रमा करते हम दोनों देशों के उपग्रह अपनी कहानी कहते हैं। एक बेहतर कल का वादा भारतीयों और अमेरिकी लोगों के लिए ही नहीं है, बल्कि यह एक बेहतर दुनिया की दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत देता है। यह 21वीं सदी के लिए हमारी निर्धारित साझेदारी का मुख्य आधार है। हम इस दिशा में चलें साथ-साथ।

कर्मचारी भविष्य निधि की योजना : अब मिलेगा न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन / EPF Scheme : Minimum Pension One Thousand bucks


-शीतांशु कुमार सहाय
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र प्रसाद कुशवाहा ने झारखंड की राजधानी राँची में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन योजना की शुरुआत की। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव इनडोर स्टेडियम में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हमेशा कर्मचारियों के हित को महŸव दिया है। उन्होंने कहा कि भविष्य निधि योजना एक महŸवाकांक्षी योजना है। इससे ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को लाभ लेना चाहिये। भविष्य निधि योजना में अधिकतम लोगों को शामिल किया जाये, इसके लिए अनिवार्य अंशदान की वेतन सीमा 6500 रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि अनुमान किया जा रहा है कि इस वृद्धि से भविष्य निधि से 50 लाख नये कर्मचारी जुड़ेंगे।
मौके पर उपस्थित झारखंड के श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने भी कहा कि कर्मियों को भविष्य निधि का लाभ उठाना चाहिये। मौके पर बड़ी संख्या में उपस्थित पेंशनरों को उपहार और प्रमाण पत्र दिये गये। अब इन्हें एक हजार रुपये न्यूनतम पेंशन राशि मिलेगी। अभी तक इन सभी को पेंशन के रूप में बहुत कम राशि मिलती थी। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त समरेन्द्र कुमार ने राँची क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा किये गये कार्यों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान वर्ष में 20345 दावे निपटाये गये। इसके तहत 85.47 करोड़ रुपये का भुगतान लाभुकों को किया गया। शिकायतों का निपटारा 7 दिनों में करने की व्यवस्था की गयी है।

रविवार, 28 सितंबर 2014

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 69वें सत्र की आम बहस में नरेंद्र मोदी के भाषण की 5 गलतियाँ / The United Nations General Assembly (UNGA) at the General Debate of the 69th Session of the Speech of Narendra Modi 5 Mistakes



भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र की आम बहस में भाषण को लेकर भारत में काफी उत्सुकता थी। अपनी भाषण शैली के लिए मशहूर मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में लड़खड़ाते हुए भी नजर आए। करीब 12 साल बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया गया। नरेंद्र मोदी के भाषण में उच्चारण और कई अन्य तरह की गतलियाँ सामने आईं। नरेंद्र मोदी के भाषण की 5 गलतियाँ---
पहली गलती...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण की शुरुआत में ही संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष के नाम का गलत उच्चारण किया। उन्होंने सैम कुटेसा (Sam Kutesa) को सैम कुरेसा बोल दिया। 
दूसरी गलती...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महासभा में भाषण के दौरान 69वें सत्र का जिक्र किया तो अंग्रेजी और हिंदी मिलाकर बोल गए। उन्होंने 69वें सत्र को 'सिक्सटी नाइंथवें' सत्र कहकर महासभा को संबोधित किया।  
तीसरी गलती...
मोदी ने कहा की देश की आबादी का जिक्र करते हुए कहा कि भारत वन प्वाइंट ट्वेंटी फाइव (1.25) बिलियन लोगों का देश है। यानी दशमलव के बाद के अंकों को भी मोदी एक साथ ही पढ़ गए। जबकि यह वन प्वाइंट टू फाइव (1.25) बोला जाता है। इसे बोलने के दौरान मोदी थोड़ा लड़खड़ाते हुए भी दिखे।
चौथी गलती...
मोदी भाषण के दौरान कई शब्दों के उच्चारण में गलती करते हुए भी नजर आए। 'प्रकृति' को उन्होंने दो बार 'प्रकुर्ति' बोला, 'समुद्र' को 'समिद्र' और 'समृद्धि' को 'समुर्द्धी' कहा। मोदी 'सम्मान' को 'सन्मान' बोल गए।
पाँचवीं गलती...
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए किसी राष्ट्र के प्रतिनिधि को 15 मिनट का समय दिया जाता है लेकिन भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी 35 मिनट तक भाषण देते रहे।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 69वें सत्र की आम बहस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया वक्तव्य / Text of the Statement by Prime Minister Narendra Modi at the General Debate of the 69th Session of the United Nations General Assembly (UNGA)



प्रस्तुति : शीतांशु कुमार सहाय

'' विशिष्‍ट अतिथिगण और मित्रों

सर्वप्रथम मैं संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के 69वें सत्र के अध्‍यक्ष चुने जाने पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार आप सबको संबोधित करना मेरे लिए अत्‍यंत सम्‍मान की बात है। मैं भारतवासियों की आशाओं एवं अपेक्षाओं से अभिभूत हूं। उसी प्रकार मुझे इस बात का पूरा भान है कि विश्‍व को 1.25 बिलियन लोगों से क्‍या अपेक्षाएं हैं। भारत वह देश है, जहां मानवता का छठवां हिस्‍सा आबाद है। भारत ऐसे व्‍यापक पैमाने पर आर्थिक व सामाजिक बदलाव से गुजर रहा है, जिसका उदाहरण इतिहास में दुर्लभ है।

प्रत्‍येक राष्‍ट्र की, विश्‍व की अवधारणा उसकी सभ्‍यता एवं धार्मिक परंपरा के आधार पर निरूपित होती है। भारत चिरंतन विवेक समस्‍त विश्‍व को एक कुटंब के रूप में देखता है। और जब मैं यह बात कहता हूं तो मैं यह साफ करता हूं कि हर देश की अपनी एक philosophy होती है। मैं ideology के संबंध में नहीं कह रहा हूं। और देश उस फिलोस्‍फी की प्रेरणा से आगे बढ़ता है। भारत एक देश है, जिसकी वेदकाल से वसुधैव कुंटुम्‍बकम परंपरा रही है। भारत एक देश है, जहां प्रकृति के साथ संवाद, प्रकृति के साथ कभी संघर्ष नहीं ये भारत के जीवन का हिस्‍सा है और इसका कारण उस philosophy के तहत, भारत उस जीवन दर्शन के तहत, आगे बढ़ता रहता है। प्रत्‍येक राष्‍ट्र की, विश्‍व अवधारणा उसकी सभ्‍यता और उसकी दार्शनिक परंपरा के आधार पर निरूपित होती है। भारत का चिरंतन विवेक समस्‍त विश्‍व को, जैसा मैंने कहा - वसुधैव कुटुंबमकम - एक कुटुम्‍ब के रूप में देखता है। भारत एक ऐसा राष्‍ट्र है, जो केवल अपने लिए नहीं, बल्कि विश्‍व पर्यंत न्‍याय, गरिमा, अवसर और समृद्धि के हक में आवाज उठाता रहा है। अपनी विचारधारा के कारण हमारा multi-literalism में दृढ़ विश्‍वास है।

आज यहां खड़े होकर मैं इस महासभा पर एक टिकी हुई आशाओं एवं अपेक्षाओं के प्रति पूर्णतया सजग हूं। जिस पवित्र विश्‍वास ने हमें एकजुट किया है, मैं उससे अत्‍यंत प्रभावित हूं। बड़े महान सिद्धांतों और दृष्टिकोण के आधार पर हमने इस संस्‍था की स्‍थापना की थी। इस विश्‍वास के आधार पर कि अगर हमारे भविष्‍य जुड़े हुए हैं तो शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार और वैश्विक आर्थिक विकास के लिए हमें साथ मिल कर काम करना होगा। तब हम 51 देश थे और आज 193 देश के झंडे इस बिल्डिंग पर लहरा रहे हैं। हर नया देश इसी विश्‍वास और उम्‍मीद के आधार पर यहां प्रवेश करता है। हम पिछले 7 दशकों में बहुत कुछ हासिल कर सके हैं। कई लड़ाइयों को समाप्‍त किया है। शांति कायम रखी है। कई जगह आर्थिक विकास में मदद की है। गरीब बच्‍चों के भविष्‍य को बनाने में मदद दी है। भुखमरी हटाने में योगदान दिया है। और इस धरती को बचाने के लिए भी हम सब सा‍थ मिल कर के जुटे हुए हैं।

69 UN Peacekeeping मिशन में विश्‍व में blue helmet को शांति के एक रंग की एक पहचान दी है। आज समस्‍त विश्‍व में लोकतंत्र की एक लहर है।

अफगानिस्‍तान में शांतिपूर्वक राजनीतिक परिवर्तन यह भी दिखलाता है कि अफगान जनता की शां‍ति की कामना हिंसा पर विजय अवश्‍य पाएगी। नेपाल युद्ध से शांति और लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ा है। भूटान के नए लोकतंत्र में एक नई ताकत नजर आ रही है। पश्चिम एशिया एवं उत्‍तर अफ्रीका में लोकतंत्र के पक्ष में आवाज उठाए जाने के प्रयास हो रहे हैं। Tunisia की सफलता दिखा रही है कि लोकतंत्र की ये यात्रा संभव है।

अफ्रीका में स्थिरता, शांति और प्रगति हेतु एक नई ऊर्जा एवं जागृति दिखायी दे रही है।

हमें एशिया और उसके पूरे अभूतपूर्व समृद्धि का अभ्‍युदय देखा है। जिसके आधार में शांति एवं स्थिरता की शक्ति समाहित है। अपार संभावनाओं से समृद्ध महादेश लैटिन अमेरिका स्थिरता एवं समृद्धि के साझा प्रयास में एकजुट हो रहा है। यह महादेश विश्‍व समुदायों के लिए एक महत्‍वपूर्ण आधार स्‍तंभ सिद्ध हो सकता है।

भारत अपनी प्रगति के लिए एक शांतिपूर्ण एवं स्थिर अंतरराष्‍ट्रीय वातावरण की अपेक्षा करता है। हमारा भविष्‍य हमारे पड़ोस से जुड़ा हुआ है। इसी कारण मेरी सरकार ने पहले ही दिन से पड़ोसी देशों से मित्रता और सहयोग बढ़ाने पर पूरी प्राथमिकता दी है। और पाकिस्‍तान के प्रति भी मेरी यही नीति है। मैं पाकिस्‍तान से मित्रता और सहयोग बढ़ाने के लिए गंभीरता से शांतिपूर्ण वातवारण में बिना आतंक के साये के साथ द्विपक्षीय वार्ता करना चाहते हैं।लेकिन पाकिस्‍तान का भी यह दायित्‍व है कि उपयुक्‍त वातावरण बनाये और गंभीरता से द्विपक्षीय बातचीत के लिए सामने आये।

इसी मंच पर बात उठाने से समाधान के प्रयास कितने सफल होंगे, इस पर कइयों को शक है। आज हमें बाढ़ से पीडि़त कश्‍मीर में लोगों की सहायता देने पर ध्‍यान देना चाहिए, जो हमने भारत में बड़े पैमाने पर आयोजित किया है। इसके लिए सिर्फ भारत में कश्‍मीर, उसी का ख्‍याल रखने पर रूके नहीं हैं, हमने पाकिस्‍तान को भी कहा, क्‍योंकि उसके क्षेत्र में भी बाढ़ का असर था। हमने उनको कहा कि जिस प्रकार से हम कश्‍मीर में बाढ़ पीडि़तों की सेवा कर रहे हैं, हम पाकिस्‍तान में भी उन बाढ़ पीडि़तों की सेवा करने के लिए हमने सामने से प्रस्‍ताव रखा था।

हम विकासशील विश्‍व का हिस्‍सा हैं, लेकिन हम अपने सीमित संसाधनों को उन सभी के सा‍थ साझा करने की छूट दें,जिन्‍हें इनकी नितांत आवश्‍यकता है।

दूसरी ओर आज विश्‍व बड़े स्‍तर के तनाव और उथल-पुथल की स्थितियों से गुजर रहा है। बड़े युद्ध नहीं हो रहे हैं, परंतु तनाव एवं संघर्ष भरपूर नजर आ रहा है, बहुतेरे हैं, शांति का अभाव है तथा भविष्‍य के प्रति अनिश्चितता है। आज भी व्‍यापक रूप से गरीबी फैली हुई है। एक होता हुआ एशिया प्रशांत क्षेत्र अभी भी समुद्र में अपनी सुरक्षा, जो कि इसके भविष्‍य के लिए आधारभूत महत्‍व रखती है, को लेकर बहुत चिंतित है।

यूरोप के सम्‍मुख नए वीजा विभाजन का खतरा मंडरा रहा है। पश्चिम एशिया में विभाजक रेखाएं और आतंकवाद बढ़ रहे हैं। हमारे अपने क्षेत्र में आतंकवादी स्थिरतावादी खतरे से जूझना जारी है। हम पिछले चार दशक से इस संकट को झेल रहे हैं। आतंकवाद चार नए नए रूप और नाम से प्रकट होता जा रहा है। इसके खतरे से छोटा या बड़ा, उत्‍तर में हो या दक्षिण में, पूरब में हो या पश्चिम में, कोई भी देश मुक्‍त नहीं है।

मुझे याद है, जब मैं 20 साल पहले विश्‍व के कुछ नेताओं से मिलता था और आतंकवाद की चर्चा करता था, तो उनके यह बात गले नहीं उतरती थी। वह कहते थे कि यह law and order problem है। लेकिन आज धीरे धीरे आज पूरा विश्‍व देख रहा है कि आज आतंकवाद किस प्रकार के फैलाव को पाता चला जा रहा है। परंतु क्‍या हम वाकई इन ताकतों से निपटने के लिए सम्मि‍लित रूप से ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयास कर रहे हैं और मैं मानता हूं कि यह सवाल बहुत गंभीर है। आज भी कई देश आतंकवादियों को अपने क्षेत्र में पनाह दे रहे हैं और आतंकवादियों को अपनी नीति का उपकरण मानते हैं और जब good terrorism and bad terrorism , ये बातें सुनने को मिलती है, तब तो आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की हमारी निष्‍ठाओं पर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं।

पश्‍चिम एशिया में आतंकवाद पाश्विकता की वापसी तथा दूर एवं पास के क्षेत्र पर इसके प्रभाव को ध्‍यान में रखते हुए सम्मिलित कार्रवाई का स्‍वागत करते हैं। परंतु इसमें क्षेत्र के सभी देशों की भागीदारी और समर्थन अनिवार्य है। अगर हम terrorism से लड़ना चाहते हैं तो क्‍यों न सबकी भागीदारी हो, क्‍यों न सबका साथ हो और क्‍यों न उस बात पर आग्रह भी किया जाए। sea, space एवं cyber space साझा समृद्धि के साथ –साथ संघर्ष के रंगमंच भी बने हैं। जो समुद्र हमें जोड़ता था, उसी समुद्र से आज टकराव की खबरें शुरू हो रही हैं। जो स्‍पेस हमारी सिद्धियों का एक अवसर बनता था, जो सायबर हमें जोड़ता था, आज इन महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में नए संकट नजर आ रहे हैं।

उस अंतरराष्‍ट्रीय एकजुटता की, जिसके आधार पर संयुक्‍त राष्‍ट्र की स्‍थापना हुई, जितनी आवश्‍यकता आज है, उतनी पहले कभी नहीं थी। आज अब हम interdependence world कहते हैं तो क्‍या हमारी आपसी एकता बढ़ी है। हमें सोचने की जरूरत है। क्‍या कारण है कि UN जैसा इतना अच्‍छा प्‍लेटफार्म हमारे पास होने के बाद भी अनेक जी समूह बनाते चले गए हम। कभी G 4 होगा, कभी G 7 होगा, कभी G 20 होगा। हम बदलते रहते हैं और हम चाहें या न चाहें, हम भी उन समूहों में जुड़े हैं। भारत भी उसमें जुड़ा है।

लेकिन क्‍या आवश्‍यकता नहीं है कि हम G 1 से आगे बढ़ कर के G-All की तरफ कदम उठाएं। और जब UN अपने 70 वर्ष मनाने जा रहा है, तब ये G-All का atmosphere कैसे बनेगा। फिर एक बार यही मंच हमारी समस्‍याओं के समाधान का अवसर कैसे बन सके। इसकी विश्‍वसनीयता कैसे बढ़े, इसका सामर्थ्‍य कैसे बढ़े, तभी जा कर के यहां हम संयुक्‍त बात करते हैं। लेकिन टुकड़ों में बिखर जाते हैं, उसमें हम बच सकते हैं, एक तरफ तो हम यह कहते हैं कि हमारी नीतियां परस्‍पर जुड़ी हुई हैं और दूसरी तरफ हम जीरो संघ के नजरिये से सोचते हैं। अगर उसे लाभ होता है तो मेरी हानि होती है, कौन किसके लाभ में है, कौन किसके हानि में है, यह भी मानदंड के आधार पर हम आगे बढ़ते हैं।

निराशावादी या आलोचनावादी की तरह कुछ भी नहीं बदलने वाला है। एक बहुत बड़ा वर्ग है, जिसके मन में है कि छोड़ो यार, कुछ नहीं बदलने वाला है, अब कुछ होने वाला नहीं है। ये जो निराशावादी और आलोचनावादी माहौल है, यह कहना आसान है। परंतु अगर हम ऐसा करते हैं तो हम अपनी जिम्‍मेदारियों से भागने का जोखिम उठा रहे हैं। हम अपने सामूहिक भविष्‍य को खतरे में डाल रहे हैं। आइए, हम अपने समय की मांग के अनुरूप अपने आप को ढालें। हम वक्‍त की शांति के लिए कार्य करें।

कोई एक देश या कुछ देशों का समूह विश्‍व की धारा को तय नहीं कर सकता है। वास्‍तविक अन्‍तरराज्‍यीय होना, यह समय की मांग है और यह अनिवार्य है। हमें देशों के बीच सार्थक संवाद एवं सहयोग सुनिश्चित करना है। हमारे प्रयासों का प्रारंभ यहीं संयुक्‍त राष्‍ट्र में होना चाहिए। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाना, इसे अधिक जनतांत्रिक और भागीदारी परक बनाना हमारे लिए अनिवार्य है।

20वीं सदी की अनिवार्यताओं को प्रतिविदित करने वाली संस्‍थाएं 21वीं सदी में प्रभावी सिद्ध नहीं होंगी। इनके सम्‍मुख अप्रासंगिक होने का खतरा प्रस्तुत होगा, और भी आग्रह से कहना चाहता हूं कि पिछली शताब्‍दी के आवश्‍यकताओं के अनुसार जिन बातों पर हमने बल दिया, जिन नीति-नियमों का निर्धारण किया वह अभी प्रासंगिक नहीं है। 21वीं सदी में विश्‍व काफी बदल चुका है, बदल रहा है और बदलने की गति भी बड़ी तेज है। ऐसे समय यह अनिवार्य हो जाता है कि समय के साथ हम अपने आप को ढालें। हम परिवर्तन करें, हम नए विचारों पर बल दें। अगर ये हम कर पायेंगे तभी जाकर के हमारा relevance रहेगा। हमें अपने सभी मतभेदों को दरकिनार कर आतंकवाद से लड़ने के लिए सम्मिलित अंतरराष्‍ट्रीय प्रयास करना चाहिए।

मैं आपसे यह अनुरोध करता हूं कि इस प्रयास के प्रतीक के रूप में आप comprehensive convention on international terrorism को पारित करें। यह बहुत लंबे अरसे से pending mark है। इस पर बल देने की आवश्‍यकता है। terrorism के खिलाफ लड़ने की हमारी ताकत का वो एक परिचायक होगा और इसे हमारा देश, जो terrorism से इतने संकटों से गुजरा है, उसको समय लगता है कि जब तक वे इसमें initiative नहीं लेता है, और जब तक हम comprehensive convention on international terrorism को पारित नहीं करते हैं, हम वो विश्‍वास नहीं दिला सकते हैं। और इसलिए, फिर एक बार भारत की तरफ से इस सम्‍माननीय सभा के समक्ष बहुत आग्रहपूर्वक मैं अपनी बात बताना चाहता हूं। हमें outer space और cyber space में शांति, स्थिरता एवं व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करनी होगी। हमें मिलजुल कर काम करते हुए यह सुनिश्चित करना है कि सभी देश अंतरराष्‍ट्रीय नियमों, मानदंडों का पालन करें। हमें UN Peace Keeping के पुनित कार्यों को पूरी शक्ति प्रदान करनी चाहिए।

जो देश अपनी सैन्‍य टुकडि़यों को योगदान करते हैं, उन्‍हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए। निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने से उनका हौसला बुलंद होगा। वो बहुत बड़ी मात्रा में त्‍याग करने को तैयार है; बलिदान देने को तैयार है, अपनी शक्ति और समय खर्च करने को तैयार हैं, लेकिन अगर हम उन्‍हें ही निर्णय प्रक्रिया से बाहर रखेंगे तो कब तक हम UN Peace Keeping फोर्स को प्राणवान बना सकते हैं, ताकतवर बना सकते हैं। इस पर गंभीरता से सोचने की आवश्‍यकता है।

आइए, हर सार्वभौमिक वैश्विक रिसेसिकरण एवं प्रसार हेतू अपने प्रयासों में दोगुनी शक्ति लगाएं। अपेक्षाकृ‍त अधिक स्थिर तथा समावेशी विकास हेतू निरंतर प्रयासरत रहें। वैश्विकरण ने विकास के नए ध्रुवों, नए उद्योगों और रोजगार के नए स्रोतों को जन्‍म दिया है। लेकिन साथ ही अरबों लोग गरीबी और अभाव के अर्द्धकगार पर जी रहे हैं। कई देश ऐेसे हैं, जो विश्‍वव्‍यापी आर्थिक तूफान के प्रभाव से बड़ी मुश्किल से बच पा रहे हैं। लेकिन इन सब में बदलाव लाना जितना मुमकिन आज लग रहा है, उतना पहले कभी नहीं लगता था।

Technology ने बहुत कुछ संभव कर दिखाया है। इसे मुहैया करने में होने वाले खर्च में भी काफी कमी आई है। यदि आप सारी दुनिया में Facebook और Twitter के प्रसार की गति के बारे में, सेलफोन के प्रसार की गति के बारे में सोचते हैं तो आपको यह विश्‍वास करना चाहिए कि विकास और सशक्तिकरण का प्रसार भी कितनी तेज गति से संभव है।

जाहिर है, प्रत्‍येक देश को अपने राष्‍ट्रीय उपाय करने होंगे, प्रगति व विकास को बल देने हेतु प्रत्‍येक सरकार को अपनी जिम्‍मेदारी निभानी होगी। साथ ही हमारे लिए एक स्‍तर पर एक सार्थक अंतर्राष्‍ट्रीय भागीदारी की आवश्‍यकता है, जिसका अर्थ हुआ, नीतियों को आप बेहतर समन्‍वय करें ताकि हमारे प्रयत्‍न, परस्‍पर संयोग को बढ़ावा दे तथा दूसरे को क्षति न पहुंचाये। ये उसकी पहली शर्त है कि दूसरे को क्षति न पहुंचाएं। इसका यह भी अर्थ है कि जब हम अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापारिक संबंधों की रचना करते हैं तो हमें एक दूसरे की चिंताओं व हितों का ध्‍यान रखना चाहिए।

जब हम विश्‍व के अभाव के स्‍तर के विषय में सोचते हैं, आज basic sanitation 2.5 बिलियन लोगों के पहुंच के बाहर है। आज 1.3 बिलियन लोगों को बिजली उपलब्‍ध नहीं है और आज 1.1 बिलियन लोगों को पीने का शुद्ध पानी उपलब्‍ध नहीं है। तब स्‍पष्‍ट होता है कि अधिक व्‍यापक व संगठित रूप से अंतरराष्‍ट्रीय कार्यवाही करने की प्रबल आवश्‍यकता है। हम केवल आर्थिक वृद्धि के लिए इंतजार नहीं कर सकते। भारत में मेरे विकास का एजेंडा के सबसे महत्‍वपूर्ण पहलू इन्‍हीं मुद्दों पर केंद्रित हैं।

मैं यह मानता हूं कि हमें post 2015 development agenda में इन्‍हीं बातों को केन्‍द्र में रखना चाहिए और उन पर ध्‍यान देना चाहिए। रहने लायक तथा टिकाऊ sustainable विश्‍व की कामना के साथ हम काम करें। इन मुद्दों पर ढेर सारे विवाद एवं दस्‍तावेज उपलब्‍ध हैं। लेकिन हम अपने चारों ओर ऐसी कई चीजें देखते हैं, जिनके कारण हमें चिंतित व आगाह हो जाना चाहिए। ऐसी भी चीजें हैं जिन्‍हें देखने से हम चिंतित होते जा रहे हैं। जंगल, पशु-पक्षी, निर्मल नदियां, जज़ीरे और नीला आसमान।

मैं तीन बातें कहना चाहूंगा, पहली बात, हमें चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी जिम्‍मेदारियों को निभाने में ईमानदारी बरतनी चाहिए। विश्‍व समुदाय ने सामूहिक कार्यवाही के सुंदर संतुलन को स्‍वीकारा है, जिसका स्‍वरूप common व differentiated responsibilities । इसे सतत कार्यवाही का आधार बनाना होगा। इसका यह भी अर्थ है कि विकसित देशों को funding और technology transfer की अपनी प्रतिबद्धता को अवश्‍य पूरा करना चाहिए।

दूसरी बात, राष्‍ट्रीय कार्यवाही अनिवार्य है। टेक्‍नोलोजी ने बहुत कुछ संभव कर दिया है, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी। आवश्‍यकता है तो सृजनशीलता व प्रतिबद्धता की। भारत अपनी टेक्‍नोलोजी क्षमता को साझा करने के लिए तैयार है। जैसा कि हमने हाल ही में सार्क देशों के लिए एक नि:शुल्‍क उपग्रह बनाने की घोषणा की है।

तीसरी बात हमें अपनी जीवनशैली बदलने की आवश्‍यकता है। जिस ऊर्जा का उपयोग न हुआ हो, वह सबसे साफ ऊर्जा है। इससे आर्थिक नुकसान नहीं होगा। अर्थव्‍यवस्‍था को एक नई दिशा मिलेगी।

हमारे भारतवर्ष में प्रकृति के प्रति आदरभाव अध्‍यात्‍म का अभिन्‍न अंग है। हम प्रकृति की देन को पवित्र मानते हैं और मैं आज एक और विषय पर भी ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूं कि हम climate change की बात करते हैं। हम होलिस्टिक हेल्‍थ केयर की बात करते हैं। जब हम back to basic की बात करते हैं तब मैं उस विषय पर विशेष रूप से आप से एक बात कहना चाहता हूं। योग हमारी पुरातन पारम्‍परिक अमूल्‍य देन है। योग मन व शरीर, विचार व कर्म, संयम व उपलब्धि की एकात्‍मकता का तथा मानव व प्रकृति के बीच सामंजस्‍य का मूर्त रूप है। यह स्‍वास्‍थ्‍य व कल्‍याण का समग्र दृष्टिकोण है। योग केवल व्‍यायाम भर न होकर अपने आप से तथा विश्व व प्रकृति के साथ तादम्‍य को प्राप्त करने का माध्यम है। यह हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर तथा हम में जागरूकता उत्पन्न करके जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायक हो सकता है। आइए हम एक ‘’अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’’ को आरंभ करने की दिशा में कार्य करें। अंतत: हम सब एक ऐतिहासिक क्षण से गुजर रहे हैं। प्रत्येक युग अपनी विशेषताओं से परिभाषित होता है। प्रत्येक पीढी इस बात से याद की जाती है कि उसने अपनी चुनौतियों का किस प्रकार सामना किया। अब हमारे सम्मुख चुनौतियों के सामने खड़े होने की जिम्मेदारी है। अगले वर्ष हम 70 वर्ष के हो जाएंगे। हमें अपने आप से पूछना होगा कि क्या हम तब तक प्रतीक्षा करें तब हम 80 या 100 के हो जाएं। मैं मानता हूं कि UN के लिए अगला साल एक opportunity है। जब हम 70 साल की यात्रा के बाद लेखाजोखा लें, कहां से निकले थे, क्यूं निकले थे, क्या मकसद था, क्या रास्ता था, कहां पहुंचे हैं, कहां पहुंचना है।

21 सदी के कौन से प्रकार हैं, कौन से challenges हैं, उन सबको ध्यान में रखते हुए पूरा एक साल व्यापक विचार मंथन हो। हम universities को जोडें, नई generation को जोड़ें जो हमारे कार्यकाल का विगत से मूल्यांकन करे, उसका अध्ययन करे और हमें वो भी अपने विचार दें। हम नई पीढ़ी को हमारी नई यात्रा के लिए कैसे जोड़ सकते हैं और इसलिए मैं कहता हूं कि 70 साल अपने आप में एक बहुत बड़ा अवसर है। इस अवसर का उपयोग करें और उसे उपयोग करके एक नई चेतना के साथ नई प्राणशक्ति के साथ, नए उमंग और उत्साह के साथ, आपस में एक नए विश्वास साथ हम UN की यात्रा को हम नया रूप रंग दें। इस लिए मैं समझता हूं कि ये 70 वर्ष हमारे लिए बहुत बड़ा अवसर है।

आइए, हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के अपने वादे को निभाएं। यह बात लंबे अरसे से चल रही है लेकिन वादों को निभाने का सामर्थ्‍य हम खो चुके हैं। मैं आज फिर से आग्रह करता हूं कि आज इस विषय में गंभीरता से सोचें। आइए, हम अपने Post 2015 development agenda के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करें।

आइए 2015 को हम विश्व की प्रगति प्रवाह को एक नया मोड़ देने वाले एक वर्ष के रूप में हम अविस्मरणीय बनायें और 2015 एक नितांत नई यात्रा के प्रस्थान बिंदु के रूप में मानव इतिहास में दर्ज हो। यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। मुझे विश्वास है कि सामूहिक जिम्मेदारी को हम पूरी तरह निभाएंगे।

आप सबका बहुत बहुत आभार।

धन्यवाद। नमस्ते। ''

शनिवार, 27 सितंबर 2014

2015 को उपलब्धि के साल के रूप में याद करें : नरेंद्र मोदी / Remember 2015 As The Year of Achievement : Narendra Modi / संयुक्त राष्ट्रसंघ में नरेन्द्र मोदी का पहला भाषण हिन्दी में / Narendra Modi's first speech at the United Nations in Hindi


शीतांशु कुमार सहाय
दुनियाभर के नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है न्याय और शांति के लिए लड़ता है। मोदी ने कहा कि उन्हें पहली दफा संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए गौरव का अनुभव हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देते हुए कहा कि भारत सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलाव से गुजर रहा है। मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो कभी प्रकृति से संघर्ष नहीं करता, बल्कि समन्वय के सिद्धांत और दर्शन के साथ काम करता है और आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि भारत शांतिपूर्ण संवृद्धि के लिए शांति, मित्रता और सहयोग से काम कर रहा है। पाकिस्तान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उसके साथ भी भारत का यही रुख है और उसके साथ भारत द्विपक्षीय वार्ता की हिमायत करता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भी भारत के शांतिपूर्ण रुख पर उचित प्रतिक्रिया देनी चाहिए। मोदी ने कहा कि कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए पाकिस्तान की मदद के लिए उन्होंने हाथ बढ़ाया था। मोदी ने कहा कि आतंक के साये में पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं हो सकती, हालांकि भारत वार्ता करना चाहता है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में आज के समय में भले ही युद्ध नहीं हो रहा है, लेकिन हलचल जारी है। मोदी ने कहा कि आतंकवादी के खतरे से कई देश जूझ रहे हैं और भारत पिछले चार दशक से इस खतरे का सामना कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद से पूरब और पश्चिम के सभी देश जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले पश्चिम के लोग आतंकवाद को कानून और व्यवस्था का संकट बताते थे लेकिन आज वे इसे वैश्विक समस्या मानते हैं। मोदी ने आतंकवाद पर खासा बल देते हुए कहा कि इससे लड़ने के लिए सभी देशों के बीच साझेदारी और सहयोग की जरूरत है। माेदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के संगठन बनने के मसले पर कहा कि हमें जी 1 से बढ़कर जी ऑल की तरफ बढ़ना चाहिए। मोदी ने कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना चाहिए। मोदी ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के मामले में यूएन को पहल करनी होगी और भारत इस मामले में सभी देशों से पहल करने का आग्रह करता है।

मोदी ने कहा कि हमें यूनए शांति मिशन के कार्यों को अच्छी तरह अंजाम और सहायता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कि वैश्वीकरण ने रोजगार के अवसर निकाले लेकिन अभी भी करोड़ों लोग भूखमरी के शिकार हैं। उन्होंने कि तकनीक ने चीजों को काफी आसान बना दिया है और इसके जरिए हम अधिक कुशलतापूर्वक कार्यों को अंजाम दे सकते हैं। मोदी ने कहा कि आज भी कई सारे देश आतंकवादी को पनाह दे रहे हैं, ऐसे में इसका खात्मा नहीं हो सकता। मोदी ने कहा कि सभी मुल्कों को एक मंच पर लाने में संयुक्त राष्ट्र को पहल करनी चाहिए। मोदी ने योग की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि योग से सभी तरह के विकास से हम मुक्त हो सकते हैं। ऐसे में हमें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तरफ बढ़ना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हर पीढ़ि के समक्ष चुनौतियां होती हैं और उन चुनौतियों का सामना करने के लिए उसे अपनी रणनीति बनानी पड़ती है। हमें भी नयी परिस्थितियों में समस्याओं को नये परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए और उनका समाधान ढूंढा जाना चाहिए। मोदी ने कहा कि यूएन के अगले साल 70 साल हो जाएंगे, ऐसे में हमें इसे और सफल बनाने के लिए पूरी ताकत के लिए साथ पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2015 को हम उपलब्धि के साल के रूप में याद करें, यही मेरा सबसे आग्रह है और उसके लिए हमें कोशिश करनी चाहिए।

गुरुवार, 25 सितंबर 2014

भाजपा-शिवसेना का 25 साल पुराना गठबंधन टूटा / 25 Years Old The BJP-Shiv Sena Alliance's Broken


महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना से 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया है। गुरुवार को मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का एलान कर दिया। भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अड़ी हुई थी। उनके मुताबिक शिवसेना ने कई प्रस्ताव दिए लेकिन उनमें से किसी में भी उनके हिस्से की सीटों में कमी नहीं आ रही थी। हर बार या तो हमारी सीटें कम हो रही थीं या हमारे सहयोगी दलों की। फडणवीस ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान उनकी पार्टी शिवसेना पर हमले नहीं करेगी और शिवसेना से वे भी ऐसी ही उम्मीद कर रहे हैं। भाजपा की ओर से इस एलान के तुरंत बाद ही शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के घर यानी मातोश्री के बाहर बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए शिवसैनिकों ने अपनी पार्टी के पक्ष में जिंदाबाद के नारे लगाए। शिवसेना के सांसद आनंदराव अडसूल ने दावा किया है कि भाजपा और एनसीपी के बीच सांठगांठ है। इस बीच, अभी यह साफ नहीं है कि केंद्र में एनडीए सरकार में मंत्री अनंत गीते अपना पद छोड़ेंगे या नहीं। इससे पहले शिवसेना ने गुरुवार को धमकी भरे लहजे में कहा था कि अगर भाजपा ने दूसरा रास्ता (गठबंधन तोड़ने का) अपनाया तो उन्हें मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा। शिवसेना नेता दिवाकर राउते ने दावा किया कि उनकी पार्टी सहयोगियों को सीटें देने के लिए 148 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हो गई थी लेकिन उस पर सहयोगी पार्टियां और बीजेपी राजी नहीं हुई।

मंगलवार, 16 सितंबर 2014

उपचुनाव (सितंबर 2014) : भारतीय जनता पार्टी की बुरी स्थिति के मुख्य कारण / By-elections (September 2014) : The Main Cause of The Bad Situation Bharatiya Janata Party


उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को करारे झटके ने पीएम नरेंद्र मोदी के 64वें जन्मदिन का जश्न ही फीका कर दिया। मोदी के खास सिपहसालार अमित शाह अपने पहले ही इम्तेहान में ही फेल हो गए। जिन राज्यों में गैर बीजेपी सरकारें थीं वहां तो बीजेपी फिसली ही, अपने राज्यों में भी उसकी भद पिट गई। जानने की कोशिश करते हैं कि किन 5 बड़ी वजहों से बीजेपी को करारी हार मिली।

कारण 1 : नहीं चला लव जेहाद

यूपी में भाजपा को महज 3 सीटें ही नसीब हुईं। 8 सीटें समाजवादी पार्टी की झोली में गईं। ये सभी सीटें बीजेपी विधायकों के सांसद बन जाने पर खाली हुई थीं। बीजेपी ने यूपी उपचुनाव में लव जेहाद को बड़ मुद्दा बनाया। लेकिन जनता ने सिरे से इसे खारिज कर दिया। अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ पर दांव खेला, योगी ने जमकर मेहनत भी की, लेकिन जनता को लव जेहाद के मुद्दे को नकार दिया। साफ है कि सिर्फ उग्र हिंदुत्व के सहारे सत्ता तक नहीं पहुंचा जा सकता। विकास का एजेंडा जनता के सामने रखना ही होगा। चौंकाने वाली बात ये है कि ऐसा नतीजा तब आया जब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने चुनाव से खुद को दूर रखा। बावजूद इसके बीजेपी का प्रदर्शन शर्मनाक रहा। आखिलेश राज में यूपी का हाल किसी से छिपा नहीं है, बावजूद इसके सपा के शानदार प्रदर्शन ने यूपी में बीजेपी के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।

कारण 2 : महंगाई का मुद्दा

चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नीत यूपीए सरकार पर महंगाई को लेकर जबरदस्त हमला बोला। अपनी हर रैली में मोदी ने जनता को कांग्रेस के उस वादे की याद दिलाई जिसमें 100 दिनों के भीतर महंगाई से निजात दिलाने की बात कही गई थी, लेकिन अपनी सरकार के 100 दिन में मोदी जनता को महंगाई से राहत नहीं दिला पाई। सब्जियों खासकर टमाटर के दाम आसमान पर पहुंच गए। मोदी का अच्छे दिन लाने का वादा पार्टी पर बैकफायर कर गया। आखिर में जनता का गुस्सा बीजेपी पर उतरा।

कारण 3 : भाजपा नहीं मोदी

उपचुनाव के नतीजों से साफ हो गया कि लोकसभा चुनाव में जनता ने भाजपा नहीं मोदी के नाम पर वोट दिया था। मोदी के नाम पर ही लोग ही घरों से बाहर निकले। लेकिन उपचुनाव में मोदी नहीं बल्कि बीजेपी मैदान में थी। राजस्थान, गुजरात में लोगों ने बीजेपी को नकार दिया। अब बीजेपी एंटी इंकम्बेंसी का बहाना भी नहीं कर सकती क्योंकि यूपी जैसे महत्वपूर्ण राज्य में भी बीजेपी गोते लगा गई। उसके हिस्से महज 3 सीटें ही आईं। जबकि सभी 11 सीटें उसके पास ही थी। इससे पहले उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी झटका खा चुकी है। यानि आने वाले वक्त में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी।

कारण 4 : भाजपा का अति आत्मविश्वास

उपचुनाव में भाजपा का अति आत्मविश्वास भी उसे ले डूबा। राजस्थान, गुजरात में पार्टी ने सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन उपचुनाव के नतीजे बिल्कुल उलट रहे। मोदी के जाते ही गुजरात में कांग्रेस ने पैर जमाने शुरु कर दिए और राजस्थान में वसुंधरा का ओवर कॉन्फिडेंस ही उन्हें ले डूबा। खुद वसुंधरा का करीबी उम्मीदवार भी चुनाव हार बैठा। कांग्रेस ने युवा नेता सचिन पायलट के हाथों चुनाव की कमान सौंपी और नतीजा सामने आया। शायद, बीजेपी को लगने लगा था कि यूपी में मचे हाहाकार के बाद अब बस जनता सीधे उसके पास ही आएगी। नेता हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। लेकिन जनता ने बता दिया कि सत्ता इतनी आसानी से नहीं मिलती, इसके लिए मेहनत करनी होती है।

कारण 5 : बेलगाम बयानबाजी

भाजपा नेता की बेलगाम बयानबाजी ने भी बीजेपी का बेड़ा गर्क किया। गोवा जैसे छोटे राज्य से उग्र बयान आए। खास तौर पर हिंदुत्व को लेकर। कई मंत्रियों ने तो हिंदू राष्ट्र की वकालत तक कर डाली। इसके अलावा श्रीराम सेना जैसे हिंदुत्ववादी संगठनों के उभार और उनके उग्र बयानों ने सेकुलर धारा के लोगों एकजुट कर दिया। इसका साफ असर चुनाव नतीजों ने नजर आया। इसी का फायदा कांग्रेस और सपा को मिला। मोदी जिस कांग्रेस मुक्त भारत की बात कर रहे थे, उसे संजीवनी मिल गई। कलह से जूझ रही कांग्रेस के लिए चुनाव नतीजे किसी वरदान से कम नहीं दिख रहे।

सोमवार, 15 सितंबर 2014

अभ्युदय ने जिन्दगी की पहली परीक्षा दी / ABHYUDAYA'S FRIST EXAMINATION



आज सोमवार 15 सितम्बर 2014 को मेरे पुत्र अभ्युदय ने जिन्दगी की पहली परीक्षा दी। यह परीक्षा जिन्दगी जीने की नहीं; जिन्दगी में ‘आगे’ बढ़ने के लिए परम्परागत पढ़ाई की परीक्षा थी। अगले चार दिनों तक परीक्षा चलेगी। लोअर किंडरगार्डेन (एलकेजी) की परीक्षा प्रातः आठ बजे से दस बजे तक हुई। इस दौरान की विद्यालीय घटनाओं की चर्चा उसने ‘विचित्र अंदाज’ में अपनी माँ से की। एक बात तो यह बतायी कि परीक्षा में मैडम (शिक्षिका) सबकुछ भूल जाती है। उसने किसी प्रश्न का उत्तर पूछा तो शिक्षिका ने याद न रहने की बात कही। उसे पहली बार यह भी अनुभव हुआ कि परीक्षा में स्वयं ही लिखना पड़ता है, किसी से पूछकर या किसी का देखकर नहीं। वास्तव में अभ्युदय ने जिन्दगी की सच्चाई बतायी कि जिन्दगी में आगे बढ़ने के लिए ‘अकेला’ ही आगे आना होता है, तभी मंजिल मिल पाती है। .....तो मित्रों अभ्युदय को अपना आशीर्वाद दें और आत्मपरीक्षण करें कि आप इन दिनों जिन्दगी की किस ‘परीक्षा’ से गुजर रहे हैं या किस ‘परीक्षा’ में उत्तीर्ण होने के लिए और कितनी सामर्थ्य जुटानी होगी।
इति शुभम्!
-शीतांशु   

शनिवार, 13 सितंबर 2014

मजीठिया वेतन आयोग के मुताबिक वेतन का इस प्रकार निर्धारण / This Type of Majithia Wage Commission Wage Determination



मजीठिया वेतनमान को लेकर पत्रकारों के सामने सबसे बड़ी समस्या वेतन गणना की आ रही है। गुजरात के पत्रकार साथियों ने हाईकोर्ट में मजीठिया वेतनमान का केस लगाया था वह भी वेतन गणना के कारण लटका हुआ है। संभवतः उक्त मामले की 8 अगस्त को सुनवाई पूरी हो गई है और वेतन की गणना सीए से कराई जा रही है। इस फैसले पर देशभर के पत्रकारों की नजर है। पहली बार पत्रकारों की एकता का दम दिख सकती है क्योंकि हाईकोर्ट ने एक माह में ही सुनवाई पूरी कर ली।

गणना की गणितः समाचार पत्रों को 8 श्रेणियों में व एजेंसी को 4 श्रेणी में रखा गया है।

जैसे- 50 से 100 करोड़ का व्यवसाय करने वाले समाचार पत्र को चतुर्थ श्रेणी में रखा गया है। इसमें समूह 2 वेतनमान Rs.16000-ARI(3%)-28900 अर्थात् मूल वेतन 28900 है। जबकि 16000 को आधार मानकर वार्षिक वेतनवृद्धि करनी है। मतलब यदि एक साल या 240 दिन कर्मचारी की सेवा हो गई तो 480 रूपए मूल वेतन और वृद्धि होगी। जबकि तीन माह के उच्च वेतन के बराबर साल में एरियर भुगतान दिया जाना है। अर्थात् तीन माह का वेतन। एक वेतन मान अतिरिक्त बोनस के तौर पर दिया जाता है।

basic 28900
veriable pay 10115  10115 बेसिक का 35 प्रतिशत (चार्ट अनुसार)

dearness allowance 15186  15186 बेसिक का 52.55 प्रतिशत

All-India Annual Average CPI – IW

(Preceding 12 months in question)
Minus
All-India Annual Average CPI – IW
(July 2009 to June 2010)
Dearness Allowance = --------------------------------------------X Rate of Neutralization (1.0) X Basic Pay

All-India Annual Average CPI – IW
(July 2009 to June 2010) जो वर्तमान में 52.55 प्रतिशत के आसपास आता है।

house rent 2890 2890 बेसिक का 10 प्रतिशत

मकान किराया एक्स शहर के लिए बेसिक का 30 प्रतिशत, वाई शहर के लिए 20 प्रतिशत और जेड श्रेणी के शहर के लिए 10 प्रतिशत निर्धारित है।
कौन सा शहर किस श्रेणी का है इसका निर्धारण मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा में दिया हुआ है।

transport allowance 1445 बेसिक का 5 प्रतिशत
ट्रास्टपोर्ट एलाउंस एक्स शहर के लिए बेसिक का 20 प्रतिषत, वाई शहर के लिए 10 प्रतिशत और जेड श्रेणी के शहर के लिए 5 प्रतिशत निर्धारित है।

medical allowance 1000
वर्ग1 व 2 के अखबारों के लिए लिए 1000 और 3 व 4 श्रेणी के अखबारों के लिए 500 रूपए निर्धारित है।

night allowance 2250  75 रूपए प्रतिदिन
वर्ग 1 व 2 के अखबारों के लिए लिए 100 रूपए प्रतिदिन और 3 व 4 श्रेणी के लिए 75 रूपए व अन्य श्रेणी के अखबारों में कार्यरत कर्मचारियों को 50 रूपए प्रतिदिन निर्धारित है।

conveyance 5392.74 बेसिक का 16.66 प्रतिशत
समुद्र तल से 1500 मीटर ऊंची जगहों में रहने वालों पत्रकारों को हार्डशिप एलांउस 1000 रूपए प्रतिमाह दी जाती है।

कुल वेतन 67178.74
इसमें 12.36 प्रतिषत पीएफ कटता है और इन्कम टैक्स व अन्य कटौतियां कर्मचारियों की इच्छानुसार होती है।

चैकानें वाले आंकड़े
मजीठिया वेतनमान अंतिम श्रेणी के पत्रकारों के लिए कुछ खास नहीं लेकिन वर्ग 1 से 4 तक पत्रकारों के लिए विशेष लाभदायी है। वर्ग 1 व 2 के कर्मचारियों का वेतन कटौतियों के वाबजूद 50 हजार से ऊपर होगा। लेकिन सालान वृद्धि निराशाजनक लगती है।

उक्त गणना अप्रैल 2014 की है, ऐसे कर्मचारी जो नए है। पुराने कर्मचारियों का बेसिक उनकी वरिष्ठता के अनुसार अलग होगी। अन्य वर्षों लिए डियरनेस एलांउस में परिवर्तन होगा। उक्त वेतन पत्रकारों के लिए न्यूनतम है। इससे ऊपर वेतन मिलता है तो किसी को कोई आपत्ति नहीं।

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

स्वामी विवेकानंद के विश्व बंधुत्व का संदेश / Swami Vivekananda's Message of Universal Brotherhood





अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले की 13वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर 11 सितंबर 2001 के हमले और इसी दिन 1893 में शिकागो में दिए गए स्वामी विवेकानंद के भाषण में फर्क बताया। प्रधानमंत्री ने कहा है कि अगर दुनिया स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं पर अमल करती तो 9/11 जैसी कायराना हरकत न होती। 121 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद में विश्व बंधुत्व का संदेश दिया था।

धर्म संसद में भाषण से पहले स्वामी विवेकानंद सिर्फ नरेंद्र थे जो बहुत मुश्किलों का सामना करते हुए जापान, चीन और कनाडा की यात्रा कर अमेरिका पहुंचे थे। उनको तो धर्म संसद में बोलने का मौका भी नहीं दिया जा रहा था लेकिन जब उन्होंने अमेरिका के भाइयों और बहनों के संबोधन से भाषण शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में तालियां बजती रहीं। इसके बाद धर्म संसद सम्मोहित होकर स्वामी जी को सुनती रही। अमेरिकी मीडिया ने उन्हें भारत से आया 'तूफानी संन्यासी' 'दैवीय वक्ता' और 'पश्चिमी दुनिया के लिए भारतीय ज्ञान का दूत' जैसे शब्दों से सम्मान दिया। अमेरिका पर स्वामी विवेकानंद ने जो असर छोड़ा वो आज भी कायम है। इसीलिए, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जब भारतीय संसद को संबोधित किया तो स्वामी विवेकानंद का संदेश उनकी जुबान पर भी था। हिंदू धर्म के प्रतीक के रूप में गेरुए कपड़े से अमेरिका का पहला परिचय स्वामी विवेकानंद ने ही कराया था। उनके भाषण ने अमेरिका पर ऐसा असर छोड़ा कि गेरुए कपड़े अमेरिकी फैशन में शुमार किए जाने लगे। शिकागो-भाषण से ही दुनिया ने ये जाना कि भारत गरीब देश जरूर है लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान में वो बहुत अमीर है। 121 साल पहले दुनिया के धर्मों पर हुई विश्व संसद में दिए गए स्वामी विवेकानंद के भाषण ने भारत के बारे में अमेरिका ही नहीं समूची दुनिया की सोच को बदल दिया।
स्वामी विवेकानंद कैसे गए अमेरिका---
अमेरिका जाने से पहले नरेंद्र नाथ मद्रास में थे। तब उन्होंने अखबारों में शिकागो में हो रही धर्म संसद के बारे में सुना था। कहते हैं नरेंद्रनाथ को उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने सपने में आकर धर्म संसद में जाने का संदेश दिया था लेकिन नरेंद्र नाथ के पास पश्चिम देशों में जाने के लिए पैसे नहीं थे। नरेंद्र नाथ ने खेत्री के महाराज से संपर्क किया और उन्हीं के सुझाव पर अपना नाम स्वामी विवेकानंद रख लिया। महाराजा खेत्री की मदद से ही 31 मई 1893 को स्वामी विवेकानंद, चीन-जापान और कनाडा होते हुए अमेरिका की यात्रा पर निकल पड़े।
धर्म संसद में बुलाए नहीं गए थे विवेकानंद---
30 जुलाई 1893 को स्वामी विवेकानंद अमेरिका के शिकागो पहुंचे, लेकिन वो ये जानकर परेशान हो गए कि सिर्फ जानी-मानी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को ही विश्व धर्म संसद में बोलने का मौका मिलेगा। विवेकानंद ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन हेनरी राइट से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें हार्वर्ड में भाषण देने के लिए बुलाया। राइट विवेकानंद से बहुत प्रभावित थे, जब उन्होंने जाना कि धर्म संसद के लिए स्वामी जी के पास किसी संस्था का परिचय नहीं है, तब उन्होंने कहा कि स्वामी जी, आपसे आपके परिचय के लिए पूछना ऐसा ही है जैसे सूरज से पूछा जाए कि स्वर्ग में वो किस अधिकार से चमक रहा है। इसके बाद प्रोफेसर राइट ने धर्म संसद के चेयरमैन को चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने लिखा था कि ये व्यक्ति हमारे सभी प्रोफेसरों के ज्ञान से भी ज्यादा ज्ञानी है। स्वामी विवेकानंद धर्मसंसद में किसी संस्था के नहीं बल्कि भारत के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल किए गए।
भाषण में स्वामी विवेकानंद ने कहा---
11 सितंबर 1893 को शिकागो में धर्मसंसद शुरू हुई। स्वामी विवेकानंद का नाम पुकारा गया। सकुचाते हुए स्वामी विवेकानंद मंच पर पहुंचे। वो घबराए हुए थे। माथे पर आए पसीने को उन्होंने पोंछा। लोगों को लगा कि भारत से आया ये नौजवान संन्यासी कुछ बोल नहीं पाएगा। स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु का ध्यान किया और इसके बाद उनके मुंह से जो बोल निकले, उसे धर्म संसद सुनती रह गई। स्वामी विवेकानंद के पहले शब्द थे अमेरिका के भाइयो और बहनो। ये सुनते ही वहां करीब दो मिनट तक तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही। इसके बाद स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान से भरा ऐसा ओजस्वी भाषण दिया जो इतिहास बन गया। स्वामी विवेकानंद के भाषण में उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का दिया गया वैदिक दर्शन का ज्ञान था। इस भाषण में दुनिया को शांति से जीने का संदेश छुपा था। इसी भाषण में वो संदेश भी है जिसमें स्वामी विवेकानंद ने कट्टरता और हिंसा की जमकर आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि सांप्रदायिकता कट्टरता और उसी की भयानक उपज धर्मांधता ने लंबे वक्त से इस सुंदर धरती को जकड़ रखा है। ऐसे लोगों ने धरती को हिंसा से भर दिया है। कितनी ही बार उसे मानव रक्त से रंग दिया, सभ्यताओं को तबाह किया और सभी देशों को निराशा के गर्त में धकेल दिया। इसके बाद जितने दिन भी धर्म संसद चली स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म, और भारत के बारे में दुनिया को वो ज्ञान दिया जिसने भारत की नई छवि बना दी। इस धर्म संसद के बाद स्वामी विवेकानंद विश्व प्रसिद्ध हस्ती बन गए। हाथ बांधे हुआ उनका पोज शिकागो पोज के नाम से जाना जाने लगा। स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण के बाद इसे थॉमस हैरीसन नाम के फोटोग्राफर ने खींचा था। हैरीसन ने स्वामी जी की आठ तस्वीरें ली थीं जिनमें से पांच पर स्वामी जी ने अपने हस्ताक्षर भी किए थे। अगले तीन साल तक स्वामी विवेकानंद अमेरिका में और लंदन में वेदांत की शिक्षाओं का प्रसार करते रहे।
विवेकानंद अमेरिका से श्रीलंका पहुंचे---
15 जनवरी 1897 को विवेकानंद अमेरिका से श्रीलंका पहुंचे। उनका जोरदार स्वागत हुआ। इसके बाद वो रामेश्वरम से रेल के रास्ते आगे बढ़े। रास्ते में लोग रेल रोककर उनका भाषण सुनने की जिद करते थे। विवेकानंद विदेशों में भारत के आध्यात्मिक ज्ञान की बात करते थे लेकिन भारत में वो विकास की बात करते थे। गरीबी, जाति व्यवस्था और साम्राज्यवाद को खत्म करने की बात करते थे। रामेश्वरम से मद्रास होते हुए विवेकानंद कोलकाता पहुंचे, वो कोलकाता जो उनकी जन्मभूमि थी और लंबे वक्त तक उनकी कर्मभूमि रही।
राम कृष्ण मिशन की नींव रखी---
शिकागो की धर्म संसद से भारत लौटने पर 1 मई 1897 को स्वामी विवेकानंद ने राम कृष्ण मिशन की नींव रखी। राम कृष्ण मिशन नए भारत के निर्माण के लिए अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और साफ-सफाई के काम से जुड़ गया। स्वामी विवेकानंद नौजवानों के आदर्श बन गए। 1898 में उन्होंने बेलूर मठ की स्थापना की। 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ में ही स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया लेकिन उनके कहे शब्द आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, जिसका मूल मंत्र है-- ''उठो, जागो और लक्ष्य तक पहुंचने से पहले रुको मत।'' (Wake up, wake up and do not stop before reaching the target.)

नरेंद्रनाथ के स्वामी विवेकानंद बनने की राह---
रविंद्रनाथ टैगोर, अरविंदो घोष और महात्मा गांधी की तरह स्वामी विवेकानंद को भारत की आत्मा को जगाने वाले भारतीय राष्ट्रवाद के मसीहा के तौर पर देखा जाता है। उनमें छुपे महानता के ये गुण बचपन से ही दिखने लगे थे। 12 जनवरी 1863 को कोलकाता हाईकोर्ट में वकील विश्वनाथ दत्त और उनकी पत्नी भुवनेश्वरी देवी के घर में नरेंद्र नाथ का जन्म हुआ था। विश्वनाथ दत्त प्रगतिशील सोच वाले शख्स थे, जबकि भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की थीं। नरेंद्र नाथ के जीवन पर माता और पिता दोनों की सोच का गहरा असर पड़ा। बचपन में चंचल स्वभाव वाले नरेंद्र बड़े होकर एक धीर-गंभीर और पढ़ने में रुचि रखने वाले नौजवान में बदल गए। धर्म, दर्शन, साहित्य, इतिहास और विज्ञान हर विषय में उनकी रुचि थी। नरेंद्र ने शास्त्रीय संगीत भी सीखा और 1881 में जनरल एसेंबली इंस्टीट्यूशन नाम से जाने जाने वाले स्कॉटिश चर्च कॉलेज से चित्रकला की परीक्षा पास की। 1884 में उन्हें कला में स्नातक की डिग्री मिली। उनकी बहुमुखी प्रतिभा देख कर जनरल एसेंबली इंस्टीट्यूशन के प्रिसिंपल विलियम हेस्टी ने उन्हें जीनियस कहा था। 28 सितंबर 1895 को शिकागो एडवोकेट नाम के अंग्रेजी अखबार ने उनके बारे में लिखा कि विवेकानंद ऐसी अंग्रेजी बोलता है जैसे वो उसकी मातृभाषा हो। नरेंद्र नाथ जीनियस थे और ज्ञान के लिए इस जीनियस की भूख खत्म नहीं हो रही थी। वो ईश्वर को तलाश रहे थे। इसी तलाश ने उन्हें ब्रह्म समाज के केशुब चंद्र सेन और देवेंद्रनाथ टैगोर वाले धड़े से जोड़ दिया। नरेंद्रनाथ की जिज्ञासा यहां भी शांत नहीं हुई। फिर, एक दिन क्लास में मशहूर कवि विलियम वर्डस् वर्थ की कविता में ट्रांस शब्द का अर्थ समझाते हुए प्रोफेसर हेस्टी ने कहा कि जिसे सचमुच इसका अर्थ जानना हो उसे रामकृष्ण परमहंस से मिलना चाहिए और यहीं से एक शिष्य से गुरु की मुलाकात तय हो गई। कहते हैं गुरु के बिना बुद्धिमान से बुद्धिमान शख्स भी अपने जीवन के लक्ष्य और अर्थ नहीं तलाश पाता है। स्वामी विवेकानंद के साथ भी यही हुआ, जबतक कि उनकी मुलाकात राम कृष्ण परमहंस से नहीं हुई थी।
गुरु रामकृष्ण परमहंस से नरेंद्रनाथ की मुलाकात---
स्वामी विवेकानंद अगर ज्ञान की रौशनी थे तो रामकृष्ण परमहंस वो प्रकाश पुंज थे जिनके ज्ञान की रौशनी ने नरेंद्रनाथ को विवेकानंद बना दिया था। अपने कॉलेज के प्रिंसिपल से रामकृष्ण परमहंस के बारे में सुनकर, नवंबर 1881 को वो उनसे मिलने दक्षिणेश्वर के काली मंदिर पहुंचे थे। रामकृष्ण परमहंस से भी नरेंद्र नाथ ने वही सवाल किया जो वो औरों से कर चुके थे, कि क्या आपने भगवान को देखा है? रामकृष्ण परमहंस ने जवाब दिया-हां मैंने देखा है, मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं जितना कि तुम्हें देख सकता हूं। फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं। रामकृष्ण परमहंस के जवाब से नरेंद्रनाथ प्रभावित तो हुए लेकिन शुरुआत में वो उनकी सोच को समझ नहीं सके। हालांकि इस मुलाकात के बाद उन्होंने नियम से रामकृष्ण परमहंस के पास जाना शुरू कर दिया। वो रामकृष्ण परमहंस के विचारों से सहमत नहीं थे। निराकार ब्रह्म के साथ एकाकार हो जाने के अद्वैतवाद के सिद्धांत को शुरुआत में उन्होंने धर्मविरोधी तक समझा। तर्क-वितर्क में वो रामकृष्ण परहमंस का विरोध करते थे, तब उन्हें यही जवाब मिलता था कि सत्य को सभी कोण से देखने की कोशिश करो। इसके बाद नरेंद्र के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया, जब 1884 में उनके पिता का देहांत हो गया। अमीर घर के नरेंद्र एकाएक गरीब हो गए। उनके घर पर उधार चुकाने की मांग करने वालों की भीड़ जमा होने लगी। नरेंद्र ने रोजगार तलाशने की भी कोशिश की लेकिन नाकाम रहने पर वो रामकृष्ण परमहंस के पास लौट आए। उन्होंने परमहंस से कहा कि वो मां काली से उनके परिवार की माली हालत सुधारने के लिए प्रार्थना करें। रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि वो खुद काली मां से प्रार्थना क्यों नहीं करते। कहा जाता है कि नरेंद्र तीन बार काली मंदिर में गए लेकिन हर बार उन्होंने अपने लिए ज्ञान और भक्ति मांगी। इस आध्यात्मिक तजुर्बे के बाद नरेंद्र ने सांसारिक मोह का त्याग कर दिया और राम कृष्ण परमहंस को अपना गुरु मान लिया। राम कृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को जीवन का ज्ञान दिया। 16 अगस्त 1886 को रामकृष्ण परमहंस के निधन के दो साल बाद नरेंद्र भारत भ्रमण के लिए निकल पड़े।
भारत भ्रमण---
भारत भ्रमण के दौरान वो देश में फैली गरीबी, पिछड़ेपन को देखकर विचलित हो उठे। छह साल तक नरेंद्रनाथ भारत की समस्या और आध्यात्म के गूढ़ सवालों पर विचार करते रहे। कहा जाता है कि इसी यात्रा के अंत में कन्याकुमारी में नरेंद्र को ये ज्ञान मिला कि नए भारत के निर्माण से ही देश की समस्या दूर की जा सकती है। भारत के पुनर्निर्माण का लगाव ही उन्हें शिकागो की धर्मसंसद तक ले गया।

आधार कार्ड का मजाक : भगवान हनुमान का आधार कार्ड नंबर- 2094 7051 9541 / Joke of The AAdhar Card : Lord Hanuman AAdhar Card No. 2094 7051 9541


पवनपुत्र भगवान हनुमान की पहचान तय हो गई है! दुनिया में उनके चाहे जितने भी मंदिर हों लेकिन उनका निवास स्थान भी तय हो गया है! ये भी तय हो चुका है कि हनुमानजी के पिता का क्या नाम है। आप सोच रहे होंगे, आखिर ये क्या बकवास है लेकिन ये हम बिना वजह नहीं कह रहे। हमारे इस बयान पर सरकारी दस्तावेज मुहर लगा रहे हैं। देश की बेहद अहम योजनाओं में शामिल आधार कार्ड को बनाने वाले सरकारी कर्मचारी किस तरह आँखें मूँदकर कार्ड छापते हैं, इसका जीता जागता सबूत राजस्थान के सीकर में मिला है। यहाँ भगवान हनुमान के नाम से आधार कार्ड भी बन गया और तस्वीर की जगह बजरंग बली की फोटो भी लगी है। दरअसल, सीकर में हनुमानजी के नाम से आधार कार्ड जारी हो चुका है। कार्ड पर बाकायदा उनकी तस्वीर छपी है और पिता के नाम पर पवनजी छपा हुआ है। कार्ड का नंबर है 209470519541 और कार्ड पर हनुमानजी का मोबाइल नम्बर भी छपा हआ है। साथ ही उनके जन्म की तारीख 1 जनवरी 1959 दी गई है। सीकर के दांतारामगढ़ में जारी कार्ड पर हनुमान जी का पता है, वार्ड नम्बर 6, दांतारामगढ़, पंचायत समिति के पास, जिला सीकर। जाहिर है इस पते पर कोई भी लिफाफा पहुँचना बेहद मुश्किल था। तीन दिनों तक डाकिया इस पते को खोजता रहा लेकिन उसे हनुमान जी का एक मंदिर तक देखने को नहीं मिला। हारकर पोस्ट ऑफिस स्टाफ ने लिफाफा खोला तो सारी बातें सामने आईं। सवाल ये है कि आखिर आधार कार्ड पर किसके फिंगर प्रिंट्स लिये गए और किसकी आँखों के रेटिना स्कैन किये गए ? तय है कि ये सरासर मजाक है और इस बेआधार मजाक के लिए आधार कार्ड बनानेवाले जिम्मेदार हैं। हनुमान जी के इस आधार कार्ड पर न सिर्फ पंजीयन क्रमांक- 1018 / 18252 / 01821 और कार्ड नंबर- 2094 7051 9541 दर्ज हैं। पवनपुत्र कहलाने वाले हनुमान जी के पिता के नाम वाले कॉलम में 'पवन जी' भी लिखा हुआ है। भगवान हनुमान के नाम पर जारी किए गए इस कार्ड को लेकर अब सबसे ज्यादा परेशानी शहर के डाकिये को हो रही है जो इस बात से परेशान है कि आखिर यह कार्ड कहाँ पहुँचाया जाए। यह कार्ड तीन दिन पहले सीकर के दातारामगढ़ कस्बे के पोस्ट ऑफिस में पहुंचा जिसमें वार्ड नंबर-6, दातारामगढ़ का पता लिखा है। जब यह पता ठीक न होने पर पोस्ट ऑफिस स्टाफ ने लिफाफे को खोला तो उसमें हनुमान जी के नाम का आधार कार्ड मिला। वे इस आधार कार्ड पर पंजीयन क्रमांक और कार्ड नंबर के साथ-साथ मोबाइल फोन नंबर भी देखकर हैरान रह गए। जब उस मोबाइल नंबर पर फोन किया गया, तो पता चला कि वह नंबर अंकित नामक एक युवक का है। अंकित के मुताबिक, दो साल पहले तक वह आधार कार्ड बनाने वाली कंपनी में ही सुपरवाइजर के पद पर तैनात था और उसी समय उसने भी आधार कार्ड के लिए अप्लाई किया था लेकिन किसी कारणवश कार्ड नहीं बन पाया।

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर हिन्दुस्थान समाचार की रायशुमारी : जनता ने दिये अच्छे अंक / Completion of 100 Days of The Modi Government, Referendum of Hindusthan Samachar : People Gave Good Marks



प्रस्तुति : शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
-18 राज्य के 51441 लोगों की राय
-मोदी से 5 साल में अपेक्षित परिणामों की उम्मीद
-मोदी दिखे मनमोहन पर भारी
-सौ दिन का रिपोर्ट कार्ड, अच्छे अंकों से पास हुई मोदी सरकार
-अरूणाचल, जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश में 80 प्रतिशत से अधिक मोदी के दीवाने
-दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड में भी बरकरार है क्रेज
प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के सौ दिन पूरे होने पर देश की जनता ने उनकी नेतृत्व में चल रही सरकार को अच्छे अंक दिये हैं। लोगों ने पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार के शासन को ज्यादा उम्दा बताया है। लेकिन, उनसे अपेक्षित परिणामों की उम्मीद पांच साल में करने की राय 40 फीसदी लोगों ने दी है। जनता ने जहां मोदी की विदेश नीति को सकारात्मक नजरों से देखा है वहीं इस सरकार के पहले बजट से लोगों की उम्मीदों में इजाफा होने का भी संकेत मिला है। हालांकि महंगाई के मुद्दे पर तत्कालिक राहत न मिलने का लोगों में मलाल जरूर दिखा लेकिन भविष्य को लेकर अधिकतर जनता आशान्वित है।
मोदी सरकार के सौ दिन का यह रिपोर्ट कार्ड देश की एकमात्र बहुभाषी न्यूज एजेंसी ‘हिन्दुस्थान समाचार’ द्वारा कराए गए एक सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है। न्यूज एजेंसी ने देश के 18 राज्यों में 51,441 लोगों के बीच जब रायशुमारी की तो पता चला कि 44 प्रतिशत लोग मोदी से पांच साल में अपेक्षित परिणामों की आशा कर रहे हैं। सर्वे में लोगों से पूछा गया था कि मोदी सरकार से अपेक्षित परिणामों की आशा कब तक करनी चाहिए ? इस सवाल के जवाब में 25 प्रतिशत लोगों ने एक साल का वक्त दिया तो 31 फीसदी की राय दो साल की रही। करीब 26 प्रतिशत लोगों ने अपेक्षित परिणामों के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पांच साल का समय देना उचित माना, जबकि 18 फीसदी इस मत के थे कि मोदी को आगामी कार्यकाल तक का वक्त दिया जाना चाहिये। इस तरह 44 प्रतिशत लोगों को मोदी से पांच साल में अपेक्षित परिणामों की आशा है। एक साल का वक्त देने वालों में सर्वाधिक राय त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और असम से मिली जहां के क्रमशः 85, 60, 71 और 45 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मोदी से अपेक्षित परिणामों की आशा एक साल बाद करनी चाहिए। तीन साल का समय देने वालों में सर्वाधिक संख्या मध्य प्रदेश से 50 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश से 42-42 प्रतिशत, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से 40-40 प्रतिशत और दिल्ली से 36 प्रतिशत दर्ज किया गया। इसी तरह पांच साल तक का समय देने की वकालत करने वालों में सर्वाधिक संख्या झारखंड और हरियाणा में 39-39 प्रतिशत और बिहार में 37 फीसदी रही। पांच साल बाद अगले कार्यकाल में अपेक्षित परिणामों की उम्मीद करने वालों में सर्वाधिक 60 प्रतिशत लोग पंजाब में मिले।

मनमोहन पर भारी दिखे मोदी---
100 दिनों में मोदी सरकार मनमोहन सरकार की तुलना में कैसी रही ? इस सवाल के जवाब में मात्र 20.6 प्रतिशत लोग ही मोदी सरकार को पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार की तुलना में खराब मान रहे हैं, जबकि करीब 40 प्रतिशत जनता मोदी सरकार को अच्छी और 25.6 प्रतिशत लोग संतोषजनक मान रहे हैं। जिन लोगों को तुलनात्मक जवाब देने में कठिनाई हो रही थी उन्होंने ‘पता नहीं’ विकल्प चुना। ऐसे लोगों की संख्या भी लगभग 15 प्रतिशत रही। इस तरह करीब 80 प्रतिशत लोग मोदी सरकार से संतुष्ट दिखे। चूंकि परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक सम्मानजनक यानि डिस्टिंक्शन मार्क माना जाता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि मोदी के सौ दिन के रिपोर्ट कार्ड में जनता ने डिस्टिंक्शन मार्क दर्ज कर दिया है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश, दिल्ली, अरूणाचल प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश व हरियाणा जैसे राज्यों के क्रमशः 75, 73, 72, 72, 70 और 60 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार को मनमोहन सरकार की अपेक्षा बेहतर माना। उधर, जम्मू-कश्मीर में 52, असम और त्रिपुरा में 50, प0 बंगाल में 47, उत्तराखंड में 42, उत्तर प्रदेश में 37 और महाराष्ट्र में 31 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार को ज्यादा अच्छा बताया। हालांकि बिहार और छत्तीसगढ़ में मोदी सरकार को अव्वल बताने वालों की संख्या क्रमशः 32 और 24 प्रतिशत ही रही लेकिन इसके अलावा क्रमशः 44 और 42 प्रतिशत ऐसे लोग भी रहे जो सरकार को संतोषजनक बता रहे हैं। इन दोनों राज्यों में मोदी सरकार को खराब बताने वालों की संख्या क्रमशः 09 और 14 प्रतिशत रही।
मोदी के प्रति आकर्षण बरकरार---
करीब 36 प्रतिशत लोगों ने माना कि नरेंद्र मोदी के प्रति जनता में आकर्षण अभी भी बरकरार है जबकि 31 प्रतिशत लोगों ने रायशुमारी के दौरान बीचोबीच वाली स्थिति बताई। एक तरह से ये लोग भी मोदी के पक्ष में जाते दिखे। इससे मोदी के प्रति आकर्षण का प्रतिशत 67 हो जाता है। हालांकि 21 फीसदी लोगों की राय में सरकार बनने के बाद मोदी का क्रेज घटा है। 12 फीसदी लोगों ने इस सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें पता नहीं। मोदी के प्रति सर्वाधिक आकर्षण अरूणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड में दिखा। इन राज्यों में क्रमशः 97, 85, 80, 71, 72 और 71 प्रतिशत लोग मोदी के दीवाने दिखे। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, हरियाणा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में यह प्रतिशत क्रमशः 33, 23, 39, 39, 41 व 52 रहा। महाराष्ट्र में मोदी का आकर्षण खराब बताने वालों की संख्या 25 प्रतिशत रही। हालांकि यहां के 35 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल के जवाब में बीचोबीच वाली स्थिति बताई। बिहार में भी 52 प्रतिशत लोग बीचोबीच वाली स्थिति के पक्षधर रहे। उधर, महाराष्ट्र में मोदी के प्रति पहले जैसा आकर्षण अब नहीं दिख रहा। वहां मात्र 23 प्रतिशत लोग ही मोदी के आकर्षण को अच्छा मान रहे हैं जबकि खराब मानने वालों की संख्या 25 प्रतिशत है।
महंगाई व भ्रष्टाचार के मुद्दे पर असमंजस---
महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी को सत्ता सौंपने वाली जनता रायशुमारी के दौरान इन दोनों मुद्दों पर असमंजस में दिखी। हालांकि 38 प्रतिशत लोगों को विश्वास है कि मोदी सरकार महंगाई पर नियंत्रण कर लेगी। 27 प्रतिशत ने भविष्य में इस पर नियंत्रण की संभावना जताई। इस तरह 65 प्रतिशत लोग महंगाई से निजात पाने की उम्मीद किये हैं। हालांकि 21 फीसदी लोग सरकार को महंगाई रोक पाने में अक्षम पा रहे हैं और करीब 14 प्रतिशत ने इस सवाल के जवाब में कहा, ‘‘पता नहीं महंगाई रूक पायेगी अथवा नहीं’’। इसी तरह 36 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सफल माना, जबकि 24 प्रतिशत भविष्य में इस पर नियंत्रण की संभावना देख रहे हैं। यानि 60 प्रतिशत लोगों को विश्वास है कि मोदी भ्रष्टाचार को रोक लेंगे। हालांकि 22 प्रतिशत लोग इस मत के रहे कि सरकार भ्रष्टाचार को नहीं खत्म कर पायेगी वहीं 19 प्रतिशत ने ‘‘पता नहीं’’ का विकल्प भरा।
मोदी सरकार की कार्यप्रणाली पर जनता की राय---
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 38 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार की कार्यप्रणाली को अच्छा बताया। इसके अलावा 28 प्रतिशत ने संतोषजनक कहा। इस तरह 66 प्रतिशत लोग मोदी सरकार की कार्यशैली के प्रति सकारात्मक सोच बनाया हैं। हालांकि 18 प्रतिशत लोगों की राय में मोदी सरकार के कामकाज का तरीका ठीक नहीं। वहीं 17 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल के जवाब में ‘‘पता नहीं’’ कहा। मोदी सरकार की कार्यशैली को सर्वाधिक पसंद करने वाले लोग मध्य प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और असम राज्यों में मिले जहां क्रमशः 88, 75, 62, 60, 62 और 53 प्रतिशत लोगों ने इसे अच्छा बताया। इन राज्यों में मोदी सरकार की कार्यशैली को खराब कहने वालों का प्रतिशत क्रमशः 01, 00, 02, 04, 06 और 33 रहा। असम में कार्यप्रणाली को खराब कहने वालों की संख्या सर्वाधिक 33 प्रतिशत रही। झारखंड के 43 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार की कार्यशैली को अच्छा बताया तो 33 फीसदी लोगों को यह संतोषजनक दिखा। खराब कहने वालों की संख्या 13 प्रतिशत रही। इसी तरह छत्तीसगढ़ के 47 प्रतिशत लोगों की निगाह में मोदी सरकार की कार्यशैली अच्छी है, जबकि 13 प्रतिशत लोग इसे खराब बता रहे हैं और 23 प्रतिशत ने संतोषजनक माना।  उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में ‘‘अच्छी’’ कार्यप्रणाली कहने वालों की संख्या क्रमशः 36, 33 और 30 प्रतिशत है तो खराब बताने वाले क्रमशः 24, 16 व 07 प्रतिशत लोग हैं। हालांकि इन राज्यों के क्रमशः 36, 22 और 42 प्रतिशत लोगों ने सरकार की कार्यप्रणाली को संतोषजनक बताया।
विदेश नीति पर जनता का मिजाज---
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 34 प्रतिशत लोग मोदी सरकार की विदेश नीति को सफल मान रहे हैं। इसके अलावा 28 प्रतिशत भविष्य में इसकी सफलता की संभावना देख रहे हैं। इस तरह 62 प्रतिशत लोग मोदी की विदेश नीति को सही बता रहे हैं। जिन लोगों ने मोदी की विदेश नीति की सफलता को नकारा है, उनकी संख्या 19 प्रतिशत दर्ज की गई। इस सवाल के जवाब में ‘‘पता नहीं’’ कहने वाले भी 19 फीसदी रहे। मध्य प्रदेश में 83 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 66, दिल्ली में 63, उत्तराखंड में 53 और राजस्थान में 52 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार की विदेश नीति को सफल बताया। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आसाम, झारखंड, पंजाब व हरियाणा में यह प्रतिशत क्रमशः 30, 32, 41, 38, 46 और 45 दर्ज किया गया। प0 बंगाल, छत्तीसगढ़ और बिहार के क्रमशः 28, 22 और 28 फीसदी लोगों ने ही मोदी की विदेश नीति को सफल माना। हालांकि इन राज्यों में अधिकतर लोगों ने भविष्य की संभावनाओं पर ज्यादा उम्मीद दिखाई।
62 प्रतिशत लोग सरकार के पहले बजट से संतुष्ट---  
सर्वे में एक सवाल मोदी सरकार के पहले बजट पर था। करीब 39 प्रतिशत लोगों ने बजट को देश की अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने वाला बताया, जबकि 23 प्रतिशत ने संतोषजनक कहा। यानि 62 प्रतिशत लोग सरकार के पहले बजट से संतुष्ट दिखे। 20 प्रतिशत लोगों ने इसे अर्थव्यवस्था के प्रतिकूल देखा। हालांकि लगभग 19 प्रतिशत लोगों को इस सवाल का जवाब देने में कठिनाई हुई तो उन्होंने ‘‘पता नही’’ कहा। ‘‘पता नहीं’’ का जवाब देने वालों में सर्वाधिक 64 प्रतिशत संख्या बिहार से दर्ज की गई। इस राज्य में बजट को नकारात्मक मानने वाले 06 प्रतिशत रहे और सकारात्मक मानने वालों की संख्या भी मात्र 02 प्रतिशत ही रही। हालांकि 28 प्रतिशत लोगों ने बजट को संतोषजनक बताया। राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, मध्य प्रदेश और हरियाणा के क्रमशः 63, 64, 65 और 57 प्रतिशत लोगों ने बजट को अर्थव्यवस्था ठीक करने वाला माना जबकि असम में यह संख्या 52 प्रतिशत, प0 बंगाल में 45, झारखंड में 40, हिमाचल में 45, पंजाब में 53, अरूणाचल में 49, उत्तर प्रदेश में 40 और महाराष्ट्र में 33 प्रतिशत दर्ज हुई।
मोदी की नीतियां और विकास---
रायशुमारी के दौरान 38 प्रतिशत लोगों ने माना कि मोदी सरकार की नीतियां देश के विकास को सही दिशा में रफ्तार देंगी। साथ ही 31 प्रतिशत लोगों ने भविष्य में ज्यादा संभावना देखी। इस तरह 69 प्रतिशत लोग इस उम्मीद में हैं कि मोदी की नीतियां देश के विकास को गति देंगी। हालांकि करीब 20 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार की नीतियों को देश के विकास के लिए उपयुक्त नहीं माना। वहीं 11 प्रतिशत ने ‘‘पता नहीं’’ का विकल्प चुना। मोदी सरकार की नीतियों के सर्वाधिक प्रशंसक असम में दिखे जहां के 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इन नीतियों से देश के विकास को सही दिशा में गति मिलेगी। इसके बाद अरूणाचल प्रदेश के 65, दिल्ली के 61, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के 60-60, राजस्थान के 53, पंजाब के 52, उत्तराखंड के 59, हरियाणा के 52, उत्तर प्रदेश के 39 और प0 बंगाल के 38 प्रतिशत लोगों ने मोदी सरकार की नीतियों के पक्ष में दिखे। इन प्रदेशों से मिली नकारात्मक राय का प्रतिशत क्रमशः 00, 07, 08, 05, 17, 19, 04, 26, 26 और 15 दर्ज किया गया।   
जनता कैसे देख रही मोदी के वादे को---
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार करीब 34 प्रतिशत लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वादों को पूरा करेंगे। इसके अलावा 31 प्रतिशत लोग इसे संभावित मानकर चल रहे हैं। इस तरह 65 प्रतिशत लोग वादे को पूरा होने को लेकर आशान्वित हैं जबकि 21 प्रतिशत का कहना है कि मोदी अपने वादे पूरा नहीं कर पायेंगे। दरअसल, मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान जनता से ढेर सारे वादे किये थे। अब सरकार बनते ही उनसे जनता की अपेक्षाएं बहुत बढ़ गयी हैं। इस संबंध में पूछे गये सवाल के जवाब में अरूणाचल प्रदेश के 82 प्रतिशत, मध्य प्रदेश के 75, उत्तराखंड के 62, राजस्थान के 61, बिहार और जम्मू-कश्मीर के 60-60, हिमाचल प्रदेश के 53, दिल्ली के 47, पंजाब के 46, हरियाणा के 45, छत्तीसगढ़ के 37, आसाम और झारखंड के 34-34, प0 बंगाल के 39, चंडीगढ़ के 32, महाराष्ट्र के 29 और उत्तर प्रदेश के 27 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मोदी अपने वादे पूरा करेंगे। हालांकि त्रिपुरा के केवल 09 प्रतिशत लोगों में ही मोदी के वादों के प्रति विश्वास दिखा। दरअसल वहां के 71 प्रतिशत लोगों ने ‘‘पता नहीं’’ विकल्प पर अपना मत दिया है।

सर्वे-एक नजर में---
1-मनमोहन की तुलना में अच्छी है मोदी सरकार- करीब 80 प्रतिशत
2-मोदी सरकार का पहला बजट-संतोषजनक- 62 प्रतिशत
3-विकास को रफ्तार देंगी मोदी की नीतियां- सही- 69 प्रतिशत
4-महंगाई को नियंत्रित करेंगी मोदी सरकार- 65 प्रतिशत
5-भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा पायेंगे मोदी- 60 प्रतिशत
6-विदेश नीति रहेगी सफल- 62 प्रतिशत
7-अच्छी और संतोषजनक है सरकार की कार्यप्रणाली- 66 प्रतिशत
8-वादे निभायेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- 65 प्रतिशत
9-अभी भी बरकरार है मोदी का आकर्षण- 67 प्रतिशत
10-पांच साल में मोदी से करें अपेक्षित परिणामों की आशा- 44 प्रतिशत

सर्वे का आकार---
मोदी सरकार के प्रति जनता का मिजाज जानने के लिए हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी ने देश के 18 राज्यों की पड़ताल की। इस दौरान 51,441 लोगों का सर्वे सैंपल लिया गया, जिसमें 63 प्रतिशत पुरुष, 37 प्रतिशत महिलाएं थीं। इन सब में करीब 52 प्रतिशत 40 वर्ष से कम के युवा थे। इसमें समाज के सभी वर्ग और क्षेत्र के लोगों की राय ली गई है। सर्वे के दौरान कुल दस सवालों के जवाब पूछे गये थे। सर्वेक्षण का यह कार्य हिन्दुस्थान समाचार के सैकड़ों कर्मठ संवाददाताओं ने कड़ी मेहनत कर 22 से 31 अगस्त के बीच पूरा किया। इसके बाद सम्पूर्ण आकड़े को संकलन प्रपत्र में इकट्ठा कर इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई।
सर्वे में जिन 18 राज्यों को आच्छादित किया गया, उनके नाम हैं-
1-उत्तर प्रदेश
2-मध्य प्रदेश
3-महाराष्ट्र
4-झारखंड
5-बिहार
6-प0 बंगाल
7-छत्तीसगढ़
8-हिमाचल प्रदेश
9-राजस्थान
10-त्रिपुरा
11-जम्मू-कश्मीर
12-आसाम
13-पंजाब
14-अरूणाचल प्रदेश
15-दिल्ली
16-चंडीगढ़
17-उत्तराखंड
18-हरियाणा


      ये थे सवाल और उनके जवाब


मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार---
उत्तर        संख्या        प्रतिशत
अच्छी        20,071        39
खराब        10,612        21
संतोषजनक    13,173        26
पता नहीं        7,585        15


मोदी सरकार का पहला बजट क्या अर्थव्यवस्था ठीक करेगा---

उत्तर        संख्या        प्रतिशत
हां        20,024        39
नहीं        10,142        20
संतोषजनक    11,726        23
पता नहीं        9,549        19


क्या मोदी सरकार की नीतियां विकास को देंगी रफ्तार---
उत्तर        संख्या        प्रतिशत
हां        19,706        38
नहीं        10,254        20
संभावना है    16,037        31
पता नहीं        5,444        11


क्या मोदी सरकार महंगाई पर नियंत्रण कर लेगी---
उत्तर        संख्या        प्रतिशत
हां        19,666        38
नहीं        10,989        21
संभावना है    13,641        27
पता नहीं        7,145        14


क्या मोदी सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा पायेगी---
उत्तर        संख्या        प्रतिशत
हां        18,314        36
नहीं        11,189        22
संभावना है    12,191        24
पता नहीं        9,747        19


क्या मोदी सरकार की विदेश नीति सफल रहेगी---
उत्तर        संख्या        प्रतिशत
हां        17,708        34
नहीं        9,631        19
संभावना है    14,414        28
पता नहीं        9,688        19

मोदी सरकार की कार्यप्रणाली कैसी है---
उत्तर        संख्या        प्रतिशत
अच्छी        19,539        38
खराब        9,048        18
संतोषजनक    14,212        28
पता नहीं        8,642        17

 
क्या प्रधानमंत्री अपने वादे पूरे कर पायेंगे---
उत्तर        संख्या        प्रतिशत
हां        17,284        34
नहीं        10,710        21
संभावना है    15,850        31
पता नहीं        7,597        15


क्या मोदी का आकर्षण अभी भी बरकरार है---
उत्तर        संख्या        प्रतिशत
अच्छी है        18,348        36
खराब है        10,936        21
बीचोबीच        15,864        31
पता नहीं        6,293        12

मोदी से अपेक्षित परिणामों की आशा कब करनी चाहिये---
उत्तर            संख्या        प्रतिशत
एक साल में        13066        25
तीन साल में        16114        31
पांच साल में        13160        26
आगामी कार्यकाल में    9101        18

मंगलवार, 2 सितंबर 2014

सांप्रदायिक सौहार्द : मुस्लिम परिवार मानता है कि भगवान गणेश ने दी समृद्धि / Communal Harmony : Muslim Family Believes That The Prosperity of Lord Ganesh



गुजरात में 47 साल का एक मुस्लिम कसाई और उसका परिवार सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल देते हुए अपने घर में गणेश उत्सव मना रहा है। इस परिवार का कहना है कि गणपति ने उन्हें खुशहाली और समृद्धि दी है। गुजरात के गोधरा से करीब 60 किलोमीटर दूर पंचमहल जिले में अपने शिवराजपुर गांव में अनीश कुरैशी, उनकी पत्नी और तीन बच्चे पिछले पांच साल से गणेश उत्सव मना रहे हैं। इस बार भी उन्होंने अपने घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की है। खुशी और समृद्धि के देव हैं भगवान गणेश। गणेश पूजन करने वाला हर व्यक्ति ऐसा ही कहता है, अगर ये बात एक मुस्लिम परिवार कहे तो इसके मायने और भी गहरे हो जाते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द की ऐसी ही मिसाल पेश करते हैं गुजरात के अनीश कुरैशी। 47 वर्षीय मुस्लिम कसाई अनीश कुरैशी और उनका परिवार अपनी सुख और समृद्धि को भगवान गणेश का आशीर्वाद मानता है। पंचमहल जिले के शिवराजपुर गांव में रहने वाला कुरैशी का परिवार अपने घर में हर साल गणेश चतुर्थी पर गणेश मूर्ति की स्थापना करता है। शिवराजपुर 2002 में दंगों की वजह बने गोधरा से महज 60 किमी की दूरी पर स्थित है।
पांच सालों से मूर्ति स्थापना--- अनीश का परिवार लंबे समय से भगवान गणेश में आस्था रखता है। पांच साल पहले उन्होंने गणेश चतुर्थी पर घर में गणेश स्थापना की शुरुआत की। तब से हर साल विधिवत तरीके से गणेश चतुर्थी पर मूर्ति स्थापना और चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं।
मान्यताओं का पालन---  अनीश बताते हैं कि इन दस दिनों के दौरान वे खुद को मांस काटने के काम से अलग रखते हैं। दसवें दिन परिवार पूरी श्रद्धा के साथ दादर नदी में गणेश जी का विसर्जन करता है। अनीश ने सावन महीने में भी मांस बेचने का काम बंद रखा था।
भगवान ने दी समृद्धि---  अनीश की 15 वर्षीय बेटी रुखसाना कहती है कि जबसे हम गणेश पूजन कर रहे हैं परिवार में बहुत बरकत हुई है। हमने अपना घर भी खरीद लिया है। यह सब भगवान गणेश की पूजा का फल है।
सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल---  गांव के सरपंच कनुभाई सोनी कहते हैं कि इस परिवार ने बंधुत्व और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम की है। पूजा के समय ¨हदू परिवार के लोग भी उनके यहां एकत्र होते हैं। हर साल गांव के सभी लोगों के साथ ही कुरैशी परिवार भी दादर में गणेश विसर्जन में हिस्सा लेता है।

सोमवार, 1 सितंबर 2014

मोदी सरकार के 100 दिन के 100 काम / Modi Government's 100-days work 100




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के 100 दिन पूरे हो रहे हैं। आपको बता रहे हैं मोदी सरकार के 100 कामों की फेहरिस्त। 100 दिन और 100 कदम। इसमें सरकार के आर्थिक, राजनीतिक, समाजिक, विदेश नीति को लेकर किए गए कार्यों का लेखा जोखा है।


1-पड़ोसी देशों से संबंध सुधारने की पहल। सार्क देशों के तमाम मुखिया शपथग्रहण समारोह का हिस्सा बनने के लिए दिल्ली में मौजूद थे। पाक सेना के इनकार के बावजूद नवाज शरीफ भी मोदी को बधाई देने के लिए यहां आए। सभी के साथ द्विपक्षीय बातचीत हुई। मोदी ने खुद कहा कि ये सही वक्त पर लिया गया सही फैसला था।

2-प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही नरेंद्र मोदी ने जनता के लिए अपने द्वार खोल दिए। पीएमओ की वेबसाइट पर एक लिंक चमकने लगा। प्रधानमंत्री के साथ करें बातचीत। मोदी ने कहा कि वो अपनी वेबसाइट के जरिए सरकार की हर जानकारी, नए कदम देश को बताते रहेंगे और ऐसा हुआ भी।

3–26 मई को ही देर रात नरेंद्र मोदी सरकार ने मंत्रालयों के पुनर्गठन पर भी मुहर लगा दी। मोदी ने 17 बड़े मंत्रालयों को मिलाकर 7 टुकड़ों में बांट दिया। ओवरसीज मंत्रालय विदेश मंत्रालय के अधीन हो गया तो कॉरपोरेट अफेयर्स वित्त मंत्रालय के। मकसद यही कि फैसलों के लिए फाइलें एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में चक्कर ना काटती रहें।

4-27 मई को नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक बुलाई। बैठक में सरकार ने पहला बड़ा फैसला किया कि कालेधन की जांच के लिए SIT बनाई जाएगी। SIT भले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनी लेकिन ये भी ध्यान देने वाली बात है कि पिछली यूपीए सरकार लगातार इस फैसले को टालती जा रही थी।

5- 28 मई को नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री कार्यालय के अफसरों से मिले। उन्हें साफ ताकीद की गई कि मोदी सरकार के काम करने का एजेंडा होगा जनता की समस्याएं दूर करना। अफसरों को हर वो फैसले लेने को कहा गया जिससे लोगों की समस्याएं दूर हों, उनकी परेशानी कम हो। अब फैसलों में देरी की गुंजाइश नहीं थी।

6– 30 मई को स्कूली किताबों में अपनी जीवनी पढ़ाने पर नरेंद्र मोदी ने रोक लगा दी। दरअसल पीएम बनने के बाद कई अखबारों में छपा कि चायवाले से पीएम बनने का सफर अब बच्चों को किताबों में पढ़ाया जाएगा। लेकिन मोदी ने खुद ट्वीट करके ये कह दिया कि जीवित व्यक्ति की जीवनी बच्चों को हरगिज ना पढ़ाई जाए।

7- 31 मई को प्रधानमंत्री ने एक झटके में सभी मंत्री समूहों या कहें GOM को खत्म कर दिया। मंत्रालयों और विभागों को मजबूत बनाने के लिए ये एक बड़ा कदम था। सरकार का तर्क था कि अब तमाम मुद्दों पर सीधे मंत्रालय ही फैसला लेंगे और अगर कोई दिक्कत हुई तो PMO की तरफ से मदद की जाएगी।

8- 4 जून को संसद का पहला दिन। सोलहवीं लोकसभा का आगाज हुआ और मेजों की थपथपाहट के साथ नरेंद्र मोदी ने पहली बार लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया। लोकसभा में अपने पहले भाषण में नरेंद्र मोदी ने देश को भरोसा दिलाया कि आम आदमी की उम्मीदों और सपनों को पूरा करने की वो हर मुमकिन कोशिश करेंगे।

9–4 जून को ही प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों के सचिवों के साथ बैठक की। ऐसी बैठक आठ साल के बाद हुई। ढाई घंटे तक चली बैठक में मोदी ने ये जानने की कोशिश की कि अफसर पूरी ताकत के साथ काम क्यों नहीं कर पा रहे हैं। बैठक के बाद मोदी ने अफसरों से कहा कि आप काम करिए। मैं 24 घंटे आपके साथ हूं।

10– 6 जून को प्रधानमंत्री ने बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में एक और सख्त फरमान दिया। ये फरमान था बीजेपी के सभी सांसदों के लिए। जितने दिन संसद की कार्यवाही चले, रोजाना आइए, पूरी तैयारी के साथ आइए, पूरी तैयारी के साथ सदन में सवाल करिए और पूरी तैयारी के साथ बहस में हिस्सा लीजिए। साफ था, मोदी को किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं।

11-7 जून को मोदी सरकार ने नौकरशाहों के लिए अहम निर्देश जारी किया। कैबिनेट सचिव ने अफसरों को 11 निर्देश भेजे जिससे काम करने का तरीका सुधरे। काम करने का माहौल सुधरे। फैसला लेने में देरी ना हो और दफ्तरों में साफ-सफाई हो। मोदी के इस आदेश के बाद अफसरों की मेजों पर लगे फाइलों के ढेर अचानक कम होने लगे।

12–8 जून को प्रधानमंत्री ने अपने घर पर गेटिंग इंडिया बैक ऑन ट्रैक, एन एक्शन एजेंडा फॉर रिफॉर्म किताब का विमोचन किया। इस किताब के जरिए मोदी ने साफ कर दिया कि देश के विकास को पटरी पर लाने के लिए उनकी सरकार का ब्लूप्रिंट क्या है। मोदी ने नीति निर्माण से लेकर स्किल डवलपमेंट पर जोर दिया।

13–10 जून को मोदी सरकार ने कैबिनेट की 4 स्टैंडिंग कमेटियों को भी बर्खास्त कर दिया। यूपीए सरकार के दौरान बनाई गई सुरक्षा, राजनीतिक मामलों, आर्थिक मामलों और संसदीय कार्य से जुड़ी अहम कैबिनेट कमेटियों का भी पुनर्गठन कर दिया गया। इसके बाद हर विभाग के मंत्री को फैसलों की ज्यादा जिम्मेदारी सौंपी जाने लगी।

14–12 जून को मोदी सरकार ने एक ऐसा फैसला किया जो आठ साल से अटका पड़ा था। ये फैसला था सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का। मोदी के मुख्यमंत्री काल से ही गुजरात सरकार ये मांग कर रही थी। नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 17 मीटर और बढ़ाई जाए, लेकिन मनमोहन सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। सरकार में आते ही तीन हफ्तों के भीतर मोदी ने फैसला लिया।

15–14 जून को नरेंद्र मोदी गोवा गए। देश के सबसे बड़े जंगी जहाज INS विक्रमादित्य को देश को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सेना से जुड़े उपकरणों और हथियार के निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनना ही होगा। यहीं पर पहली बार मोदी ने इशारा किया कि देश की वित्तीय हालत संभालने के लिए कड़े आर्थिक फैसले लेने होंगे।

16 –15 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर भूटान गए। मोदी ने भूटान नरेश और प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की और वहां की संसद को संबोधित किया। मोदी ने दो टूक संदेश दिया कि किसी भी देश में शांति तभी रह पाएगी जब उसके पड़ोसी देश से संबंध अच्छे होंगे। मोदी ने 600 मेगावॉट पनबिजली परियोजना का उद्घाटन भी किया।

17–19 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और अहम और संवेदनशील फैसला किया। ये फैसला था, अफसरों की नियुक्ति में मंत्रियों के दखल पर रोक। मोदी ने आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी से राम विलास पासवान को भी बाहर रखा। मंत्रियों को ये आदेश दिया गया कि वो यूपीए सरकार के दौरान मंत्रियों के अफसरों को अपने स्टाफ में शामिल ना करें।

18-20 जून को वो दिन आया जब नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए एक बेहद ही साहसी फैसला किया। एक झटके में रेल यात्री किराए में 14 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई। मालभाड़ा भी साढ़े 6 फीसदी बढ़ा। लोगों ने इस फैसले की आलोचना की, लेकिन ज्यादातर ऐसे थे, जिनका मानना था कि सुविधाएं देने के लिए किराया बढ़ाना सही कदम था।

19-22 जून को सरकार ने फैसला किया कि मंत्रालयों के सचिवों को और जवाबदेह बनाया जाएगा। मोदी ने तय किया कि ऐसे सचिवों को और ज्यादा जिम्मेदार बनाया जाएगा जो अलग-अलग मंत्रालयों में अटकी हुई फाइलों को निकलवाने में अहम भूमिका निभाएंगे। साथ ही ऐसे मामलों में जब फंडिंग दूसरे मंत्रालयों से हो।

20-23 जून को सरकार संभाले हुए मोदी सरकार को लगभग एक महीना होने को था। एक और कड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क 15 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इससे चीनी की कीमत बढ़ेगी, लेकिन सरकार का तर्क था कि इस फैसले से घरेलू चीनी उद्योग मजबूत होगा।

21-23 जून को ही मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग को देश के तमाम न्यूक्लियर सेंटर की तहकीकात और निगरानी की इजाजत दे दी। अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील के वक्त भारत ने इस प्रस्ताव पर हामी भरी थी। इस इजाजत के साथ ही मोदी सरकार ने दुनिया को ये संदेश भी दिया कि नई सरकार परमाणु मामलों को लेकर गंभीर और जिम्मेदार है।

22-24 जून को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को तीन मंत्र दिए। पहला, लोगों की शिकायतों पर जल्द कार्रवाई हो। दूसरा, राज्यों और केंद्र सरकार के बीच रिश्ते और मजबूत करने के लिए काम हो और तीसरा, सेना की सारी जरूरतों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। तमाम मंत्रालयों से संपर्क के दौरान इन तीन मंत्रों पर खास ध्यान दिया जाता है।

23-मोदी के लिए बेहद अहम है देश के युवाओं को रोजगार। 25 जून को मोदी सरकार ने अपने गुजरात में कामयाबी के साथ चले रोजगार कार्यक्रम NEPAM को केंद्र की तरफ से भी लागू करने की मंजूरी दे दी। इस कार्यक्रम के तहत उद्योगों की जरूरत के मुताबिक युवाओं को नौकरी में रहते हुए ट्रेनिंग और नौकरी पाने के लिए स्किल डवलपमेंट का कोर्स कराया जाता है।

24-26 जून को मोदी सरकार को केंद्र में एक महीना हुआ। इस दिन सीधे जनता से जुड़े कई कई आदेश एक साथ दिए गए। शहरी विकास मंत्रालय ने सारे मंत्रियों और अफसरों से अपील की कि जितना संभव हो सके दिल्ली में आने-जाने के लिए मेट्रो का ही इस्तेमाल करें। सरकार ने उन्हें समझाया कि इससे वक्त बचेगा। ट्रैफिक पर असर पड़ेगा और पर्यावरण का भी फायदा होगा।

25-फिजूलखर्ची रोकने के लिए एक और फैसला हुआ। 26 जून को मोदी सरकार ने अपने सभी मंत्रियों और अफसरों को नई कार खरीदने पर रोक लगा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब भी नई कार के बजाय उसी बुलेटप्रूफ कार का इस्तेमाल करते हैं जिससे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चला करते थे। मंत्रियों को ये भी कहा गया कि एक लाख रुपए से ज्यादा खर्च करने से पहले उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से इजाजत लेनी होगी।

26–छब्बीस जून को सरकार का एक महीना पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग लिखकर देश से मिले समर्थन के लिए आभार जताया। ये कहा कि उनकी सरकार का हर फैसला सिर्फ और सिर्फ देश हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। पीएम ने ये भी कहा कि पिछली सरकारों को हनीमून पीरियड मिलता रहा है लेकिन उन पर तो पहले दिन से ही सियासी हमले होने लगे।

27-सरकार बनने के एक महीने के भीतर मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जो सिर्फ कागजी नहीं थे। संसद में राष्ट्रपति के भाषण के जरिए मोदी सरकार ने ये साफ कर दिया कि वो कश्मीरी पंडितों के मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है। कश्मीरी पंडियों को ये भरोसा दिया गया कि ना सिर्फ उनकी जमीन वापस की जाएगी बल्कि उनको दोबारा बसाने का भी पूरा इंतजाम किया जाएगा।

28-जिस चीन के साथ रिश्ते हमेशा तल्ख रहे। एक महीने के भीतर मोदी सरकार ने उस पर भी मेहनत की। चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान इंडस्ट्रियल पार्क पर सहमति बनी। ये भी तय हुआ कि छोटे चीनी निवेशकों से कम टैक्स वसूलने का तरीका खोजा जाए। सरकार के इस फैसले से भारत और चीन, दोनों को आर्थिक फायदा होने की उम्मीद है।

29-रूस के साथ भी रिश्तों में गर्माहट लाने की कोशिश हुई। रूस के उप प्रधानमंत्री ने मोदी से मुलाकात की। कुडनकुलम में रूस के साथ मिलकर दो और न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने पर समझौता हुआ। दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी समझौते पर दस्तखत किए गए।

30-कम मॉनसून की आशंका का असर महंगाई दर पर दिखा, लेकिन इसे कम करने के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए। आलू और प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में कर दिया गया। राज्य सरकारों को सख्त ताकीद की गई कि वो कालाबाजारियों पर नकेल कसे। छापेमारी करे। आम जनता से जुड़ी चीजों के निर्यात पर पाबंदी लगाकर कीमतों को काबू में करने की कोशिश की गई।

31-सरकार में एक महीना पूरा होने के बाद मोदी ने एक बार फिर अपने सांसदों की नकेल कसी। बाकायदा क्लास लगाकर पहली बार बीजेपी के टिकट पर सांसद बने नेताओं को काम करने का तरीका सिखाया गया। ये भी ताकीद की गई कि वो सदन के भीतर अपना बर्ताव दुरुस्त रखें। मोदी की इस क्लास का असर था कि सालों बाद संसद में इतना काम होता नजर आया।

32-मोदी ने अपनी सरकार के मंत्रियों और अफसरों को एक और नसीहत दी। आप जो काम कर रहे हैं वो अपने लोगों तक पहुंचाएं। मोदी ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर जोर दिया। हर मंत्री और अफसर को अपना ट्विटर अकाउंट खोलकर उसे लगातार अपडेट करने को कहा। मोदी ने प्रशासन में ट्विटर और फेसबुक के इस्तेमाल पर लगी रोक भी हटा दी।

33-30 जून को प्रधानमंत्री ने एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए श्रीहरिकोटा का रुख किया। उन्होंने PSLV C-23 रॉकेट लॉन्चर से 5 उपग्रहों की लॉन्चिंग देखी। इसरो के वैज्ञानिकों को इस कामयाबी की बधाई देने के बाद मोदी ने उनसे ये भी कहा कि सार्क देशों के लिए भी एक सैटेलाइट बनाई जाए जो सभी देशों को विकास में मदद करे।

34-छोटे और सस्ते घरों का सपना पूरा करने के लिए नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर से मदद मांगी। सिंगापुर के विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान मोदी ने उनसे कहा कि सिंगापुर वो तकनीक भारत को दे जिससे हमारे यहां भी सस्ते और मजबूत घर बनाए जा सकें। आपको याद दिला दें कि 2022 तक मोदी सरकार का सपना हर भारतीय को एक घर देने का है।

35-2 जुलाई को मोदी सरकार ने तय किया कि देश के ढाई लाख गावों में ब्रॉडबैंड सर्विस मुहैया कराकर, सभी गावों को एक दूसरे से जोड़ दिया जाए। सरकार की कोशिश डेढ़ लाख गावों में इंटरनेट सेंटर स्थापित करने की है। इन सेंटरों को स्थापित करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि क्षेत्रीय भाषाओं की वजह से ये फ्लॉप ना हों और ज्यादा से ज्यादा लोग इनसे जुड़ें।

36-3 जुलाई को मोदी सरकार ने अहम फैसला करते हुए तय किया कि अब भारत के बच्चों को रोटा वायरस की वैक्सीन समेत तीन नए वैक्सीन दिए जाएंगे। मोदी सरकार का लक्ष्य साल 2015 तक शिशु मृत्यु दर को दो-तिहाई तक घटाने का है। साथ ही सरकार ने ये भी तय किया कि जिन इलाकों में जापानी इंसेफिलाइटिस फैला है वहां बड़ों को भी इसकी वैक्सीन दी जाएगी।

37-प्रधानमंत्री बनने के बाद 4 जुलाई को पहली बार नरेंद्र मोदी जम्मू और कश्मीर गए। उरी में उन्होंने 240 मेगावॉट वाली पनबिजली योजना देश को समर्पित की। मोदी ने देश से फिर वायदा किया कि उनकी सरकार देश से अंधेरा दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां मोदी ने ये भी कहा कि देश में बिजली ट्रांसमिशन लाइनों के नेटवर्क पर भी ध्यान दिया जाएगा।

38- 4 जुलाई को नरेंद्र मोदी ने वैष्णो देवी के भक्तों को तोहफा दिया। कटरा उधमपुर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर नरेंद्र मोदी ने भक्तों को देवी के और करीब ला दिया। मोदी के सुझाव के बाद अब इस ट्रेन का नाम श्रीशक्ति एक्सप्रेस कर दिया गया है। मोदी के उस सुझाव पर भी काम हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि कटरा रेलवे स्टेशन को सौर ऊर्जा आधारित बनाया जाए।

39-देश के घरेलू मुद्दों के अलावा मोदी सरकार एक और मोर्चे पर लगातार काम करती रही। ये था इराक में फंसे भारतीयों को वापस लाना। मोदी सरकार की लगातार कोशिशों का नतीजा था कि तिकरित में फंसी केरल की 46 नर्सें 5 जुलाई को सुरक्षित वापस लौट पाईं। इराक संकट से निपटने में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की भी जमकर तारीफ हुई।

40-मनमोहन सरकार के सबसे अहम प्रोजेक्ट में से एक आधार परियोजना को मोदी सरकार ने 5 जुलाई को जीवनदान दे दिया। इस आशंका को दरकिनार करते हुए कि बीजेपी सरकार आने के बाद ये योजना बंद हो जाएगी। नरेंद्र मोदी ने ना सिर्फ आधार के लिए बजट दिया बल्कि ये भी सुनिश्चित किया कि ये प्रोजेक्ट उनकी निगरानी में जारी रहेगा।

41-मोदी सरकार ने बुजुर्गों की सेहत पर भी खास ध्यान दिया। तय किया गया कि केंद्र की तीन योजनाओं, ओल्ड एज पेंशन स्कीम, आम आदमी बीमार योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को मिलाकर एक कर दिया जाए। देश के 20 जिलों में स्मार्ट कार्ड के जरिए इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की तैयारी जोरों पर चल रही है।

42-रेल बजट से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने रेल मंत्रालय को आदेश दिया कि देश में चलने वाली लंबी दूरी की सभी ट्रेनों में फ्री वाई-फाई की सुविधा मुहैया कराई जाए। लोगों को सहूलियत देने की मुहिम में मोदी सरकार ने रेलवे के इस ऐतराज को भी खारिज कर दिया कि सभी ट्रेनों में वाई-फाई का खर्च बहुत ज्यादा होगा और इससे रेलवे को नुकसान होगा।

43-7 जुलाई को ही नरेंद्र मोदी सरकार ने कर्मचारी पेंशन स्कीम में भी बदलाव कर दिया। तय किया गया कि अब एक महीने में कम से कम एक हजार रुपए पेंशन के तौर पर मिला करेगा। मोदी सरकार के इस फैसले का सीधा फायदा देश के 28 लाख लोगों को हुआ।

44-मोदी सरकार का पहला रेल बजट आया आठ जुलाई को। बजट में सबसे अहम था मुंबई-अहमदाबाद के बीच 300 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली बुलेट ट्रेन के सर्वे का प्रस्ताव। मोदी सरकार ने ये भी ऐलान किया कि देश के 9 बड़े रूटों पर 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हाई स्पीड ट्रेन भी चलाई जाएगी।

45-मोदी सरकार ने ऐलान किया कि अब इंटरनेट से प्रति मिनट 7200 टिकट बुक हो सकेंगे। रेलवे की वेबसाइट पर एक साथ 1 लाख 20 हजार लोग लॉग इन कर सकेंगे। मकसद यही कि इंटरनेट से टिकट बुकिंग कराते वक्त लोगों को होने वाली मुश्किल कम हो सके। रेल बजट में हुए इस वायदे पर अमल भी किया जा चुका है।

46-लोगों को एक और दिक्कत आती है प्लेटफॉर्म टिकट लेते वक्त। मोदी सरकार ने तय किया कि पार्किंग और प्लेटफॉर्म टिकट अब ऑनलाइन भी बुक हो सकेंगे। यही नहीं इंटरनेट के जरिए वेटिंग रूम बुक करने की सुविधा भी लोगों को मुहैया कराने की कोशिश हो रही है।

47-लंबी दूरी की ट्रेनों को वाई-फाई करने के अलावा मोदी सरकार ने ये भी तय किया कि अहम ट्रेनों में कंप्यूटर वर्क स्टेशन भी दिया जाएगा। यानि आपको दफ्तर का कोई काम हो तो अब आप ट्रेन में चलते-फिरते दफ्तर से भी अपना काम कर सकते हैं।

48-रेल बजट में मोदी सरकार ने लोगों की सहूलियत बढ़ाने वाला एक और कदम उठाया। आने वाले दिनों में रेल सफर के दौरान आपका मोबाइल आपका दोस्त बनेगा।मोबाइल पर वेक-अप कॉल आएगी। मोबाइल पर स्टेशन आने से पहले सूचना आएगी और जो स्टेशन गुजरेंगे, उनकी भी जानकारी दी जाएगी। ऐसे में इस बात का भी खतरा नहीं रहेगा कि स्टेशन गुजर जाए और आप उतर ही ना पाएं।

49-मोदी सरकार ने रेल में खाने-पीने की दिक्कतों को दूर करने के लिए भी बड़े फैसले लिए। हर ट्रेन में पहले से तैयार खाना देने का प्रोजेक्ट शुरू किया। यही नहीं, अब खाने पर यात्रियों से फीडबैक लिया जाएगा और अगर लोग संतुष्ट ना हुए तो ठेकेदार का लाइसेंस रद्द होगा। इसके अलावा अब खाने का ऑर्डर भी आनलाइन देने की सुविधा दी जाएगी।

50-सफाई पर पहले दिन से मोदी सरकार का जोर है और हमारी ट्रेनें गंदगी के लिए बदनाम। इसलिए रेल बजट में सफाई का खर्च इस बार 40 फीसदी बढ़ा दिया गया। ट्रेन में बायो टॉयलेट बनाने की योजना भी शुरू की गई। मोदी सरकार ने ये भी वायदा कि अब सभी स्टेशनों पर शौचालयों की सुविधा होगी।

51-नाम छोटे और दर्शन बड़े। मोदी सरकार की कोई भी योजना का नाम लंबा-चौड़ा नहीं है। पुराने दौर के राष्ट्रीय भूमि रिकॉर्ड सुधार कार्यक्रम जैसे कठिन और लंबे नामों के बजाय मोदी सरकार के कार्यक्रमों के नाम छोटे रखे जाते हैं। जैसे जन-धन योजना। ये फैसला हुआ रेल बजट वाले दिन, यानि 8 जुलाई को।

52-10 जुलाई को मोदी सरकार का पहला बजट आया। नौकरीपेशा लोगों को राहत देते हुए टैक्स में छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर ढ़ाई लाख कर दी गई। 80 सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा को भी एक लाख से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए कर दिया गया। पीपीएफ में भी निवेश की सीमा एक लाख रुपए से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए कर दी गई।

53-मोदी सरकार ने ऐलान किया कि देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनाए जाएंगे। इसके लिए बजट में 7600 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी रखा गया। स्मार्ट सिटी के लिए विदेशी निवेश के जरिए पैसा जुटाया जाएगा। सरकार का तर्क है कि अगले दस साल में शहरी आबादी दस फीसदी बढ़ जाएगी और लोगों को सभी सुविधाएं देने के लिए 100 नए शहर जरूरी हैं।

54-गंगा के लिए अपना वायदा निभाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने 2 हजार करोड़ रुपए के साथ नमामि गंगा प्रोजेक्ट शुरू करने का ऐलान किया। सरकार ने ऐसी सैकड़ों फैक्ट्रियों की पहचान कर उन पर रोक लगा दी जो गंगा के पानी को प्रदूषित कर रहीं थीं। बनारस में गंगा घाटों की सफाई का भी अभियान शुरू किया गया है।

55-गंगा को साफ करने के साथ ही पर्यटन के बड़े केंद्र के तौर पर भी विकसित करने का ऐलान किया गया। बजट में सरकार ने 4200 करोड़ रुपए इस काम के लिए अलग से रखे। सरकार की योजना है कि अगले 6 साल में इलाहाबाद से हल्दिया तक पानी के जहाजों के लिए जलमार्ग विकसित किया जाए।

56-सरकार ने देश के बड़े हवाई अड्डों पर 6 महीने के भीतर ही ई वीजा की सुविधा शुरू करने का ऐलान किया। यानि दूसरे देशों से आने वाले टूरिस्टों को वीजा मिलने के नियम और आसान हो जाएंगे। टूरिस्टों की संख्या बनाने के लिए मोदी सरकार ने 5 टूरिस्ट सर्किट बनाने का भी फैसला किया।

57-मोदी सरकार ने तय किया कि देश के सभी राज्यों में दिल्ली के एम्स जैसे अस्पताल खोले जाएंगे। यही नहीं, आंध्र प्रदेश, पूर्वांचल, पश्चिम बंगाल और विदर्भ में एम्स की चार शाखाएं खुलेंगी। सरकार ने इस बात का भी फैसला किया कि देश में 12 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे।

58-मोदी सरकार का इरादा महिला और बाल कल्याण विकास पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने का है। सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की भी शुरुआत की। निर्भया कोष से मदद लेकर दिल्ली में महिलाओं के लिए संकट प्रबंधन केंद्र खोलने का भी फैसला किया गया।

59-सभी तरह के निवेश के लिए अब होगा एक ही KYC यानि KNOW YOUR CUSTOMER फॉर्म। यही नहीं मोदी सरकार के निर्देश के बाद रिजर्व बैंक ने ये भी तय कर दिया कि बैंक अकाउंट खोलने के लिए सिर्फ एक ही दस्तावेज काफी होगा। यानि पहचान के लिए अलग, पते के लए अलग दस्तावेज देने के झंझट से मुक्ति मिली।

60-किसानों पर मोदी सरकार ने तोहफों की बरसात की। इस साल के अंत तक किसान टीवी चैनल शुरू होगा। खेत में मिट्टी की जांच के लिए हेल्थ कार्ड की योजना भी शुरू करने का ऐलान किया गया। इस जांच के लिए 100 से ज्यादा चलती-फिरती प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी।

61-पूर्वोत्तर पर भी खास ध्यान। पूर्वोतर में रेल संपर्क बढ़ाने के लिए एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया गया। इसके अलावा अरुण प्रभा नाम से 24 घंटे का एक टीवी चैनल शुरू करने की भी तैयारी है। वाजपेयी सरकार की परंपरा पर चलते हुए पूर्वी राज्यों के लिए अलग से बजट भी आवंटित किया गया।

62-चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के बुनकरों को वायदा किया था कि उनके विकास के लिए योजनाएं शुरू होंगी। ये वायदा पूरा करते हुए बनारस के बुनकरों के लिए अलग से 50 करोड़ का फंड बनाया गया। बनारस में हथकरघा व्यापार सुविधा केंद्र और शिल्प संग्रहालय भी बनेगा।

63-अफसरों के विदेश दौरे पर नरेंद्र मोदी की नजर। मोदी सरकार ने अफसरों की विदेश यात्रा पर नकेल कसते हुए ये नियम बना दिया कि अफसरों को पहले सरकार को पूरी तरह संतुष्ठ करना होगा कि आखिर उनकी विदेश यात्रा जरूरी क्यों है? उनकी विदेश यात्रा से प्रशासन और लोगों को क्या फायदा होगा।

64-मोदी सरकार करेगी भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की कोशिश। मोदी सरकार राज्यों से इस बारे में बात कर रही है कि क्या जमीन अधिग्रहण के लिए 70 के बजाय 50 फीसदी किसानों की मंजूरी को ही जरूरी माना जाए।सरकार का तर्क है कि ये फैसला किसानों के साथ ही उद्योगों के विकास में भी मददगार साबित होगा।

65-हिंदी भाषा का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने अहम कदम उठाया। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से हिंदी भाषी राज्यों के दफ्तरों को निर्देश दिया गया कि वो सरकारी काम हिंदी में ही करें। सोशल मीडिया में भी हिंदी का उपयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। विवाद से बचने के लिए सरकार ने ये भी कहा कि वो सारी भाषाओं के विकास पर काम कर रही है।

66-ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने ब्राजील गए नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर सबका ध्यान खींचा। मोदी ने कहा कि ब्रिक्स देशों को स्थिरता, शांति और विकास के लिए काम करना चाहिए। मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति अपनाने पर भी जोर दिया।

67-ब्रिक्स बैंक का अध्यक्ष बना भारत। दो साल की माथापच्ची के बाद आखिरकार ब्रिक्स देश एक अंतरराष्ट्रीय बैंक बनाने पर राजी हो गए। ये बैंक 100 अरब डॉलर की पूंजी से शुरू होगा। इस बैंक का मुख्यालय शंघाई में होगा। बैंक का मकसद होगा अहम योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसे की कमी को दूर करना।

68-ब्राजील में चीन के राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात भी दिलचस्प रही। ये मुलाकात सिर्फ 40 मिनट के लिए होनी थी, लेकिन जब दोनों नेता आपस में बात करने लगे तो 80 मिनट तक एक दूसरे से बात करते रहे। दोनों देश के नेताओं में सीमा विवाद, आर्थिक रिश्ते और कैलाश मानसरोवर यात्रा के दूसरे रूट को लेकर बातचीत हुई।

69-सोलह जुलाई को मोदी सरकार ने पर्यावरण की रक्षा के लिए बड़ा आदेश दिया। मंत्रालयों को आदेश दिया गया कि किसी भी प्रोजेक्ट के लिए जमीन साफ करते वक्त पेड़ नहीं काटे जाएंगे। अगर पेड़ काटना बहुत जरूरी होगा तो उस पेड़ को वहां से निकालकर दूसरी जगह लगाया जाएगा। मोदी की कमान में गुजरात सरकार ऐसा पहले भी करती रही थी।

70-18 जुलाई को मोदी सरकार ने दिल्ली का बजट पेश किया। बजट में लोगों पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया। बिजली संकट से जूझते देश की राजधानी के लोगों को 260 करोड़ रुपए सब्सिडी भी दी गई। सरकार ने ये भी ऐलान किया कि दिल्ली में एक नया आधुनिक अस्पताल भी बनेगा।

71- मोदी सरकार हिंदी के साथ ही संस्कृत के विकास पर भी गंभीर नजर आई। CBSE ने अपने सभी स्कूलों को निर्देश दिया कि वो भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत सप्ताह मनाएं। हालांकि कुछ राज्यों ने इसका विरोध भी किया।

72- मोदी सरकार ने लक्ष्य रखा कि अगले 3 से 4 साल के भीतर देश के हर गांव में टेलीफोन कनेक्शन होगा। हर गांव में इटंरनेट पहुंचाने की मुहिम की कामयाबी के लिए ये होना बहुत जरूरी भी है। मौजूदा वक्त में देश के सिर्फ 44 फीसदी गावों में ही टेलीफोन कनेक्शन है।

73-महंगाई से जूझते लोगों को बड़ी राहत देते हुए मोदी सरकार ने ऐलान किया कि वो रसोई गैस और केरोसीन ऑयल की कीमत में इजाफा नहीं करेगी। यही नहीं सरकार ने एक महीने में सब्सिडी वाला सिलेंडर सिर्फ एक बार ही मिलने की बाध्यता भी खत्म कर दी।

74-मोदी सरकार ने तय किया कि वो भ्रष्टाचार का खुलासा करने वालों को सुरक्षा देगी। तमाम मंत्रालयों और विभागों के चीफ विजिलेंस ऑफीसर्स को ये आदेश दिया गया कि वो भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले को सुरक्षा देने के लिए गृह मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं।

75-24 जुलाई को सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक कड़ा संदेश दिया। अमेरिकी दबाव के बावजूद मोदी सरकार ने WTO प्रोटोकॉल रूल के समर्थन से साफ इनकार कर दिया। मोदी सरकार ने कहा कि इस प्रोटोकॉल का समर्थन करने के बाद देश में गरीबों के लिए चल रहे खाद्य कार्यक्रमों में अड़चनें आतीं।

76-बीमा सेक्टर में बड़ा कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बड़ाकर 49 फीसदी कर दी। सरकार ने ये भी तय किया कि बीमा कंपनियों का मैनेजमेंट भारतीय प्रमोटरों के ही पास रहेगा। इस फैसले ने देश की बीमा कंपनियों को नया जीवनदान दिया। इसे मोदी सरकार के पहले बड़े आर्थिक फैसले के तौर पर देखा गया।

77-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया कि वो सांसदों पर चल रहे आपराधिक केसों की पड़ताल एक साल के भीतर निपटाएं। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने दागी नेताओं पर सख्त कार्रवाई करने का भरोसा दिया था। आपको बता दें कि ADR नाम की संस्था के मुताबिक मौजूदा लोकसभा के 34 फीसदी सांसदों पर आपराधिक केस चल रहा है।

78-देश के हवाई यात्रियों को राहत देते हुए मोदी सरकार ने एक साथ 6 नई एयरलाइंस के लाइसेंस को हरी झंडी दिखाई। इन एयरलाइंस को लाइसेंस देने की प्रक्रिया महीनों से अटकी हुई थी। 6 नई एयरलाइंस में से 3 घरेलू रूट पर उड़ेंगी जबकि 3 अंतरराष्ट्रीय रूट पर।

79-28 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने MYGOV नाम से वेबसाइट लॉन्च की। इस वेबसाइट के जरिए मोदी सरकार गंगा सफाई, डिजिटल क्रांति जैसे जैसे अहम मुद्दों पर देश के लोगों की राय मांग रही है। इस वेबसाइट पर अब तक देश के हजारों लोग अपनी राय दे चुके हैं।

80-सेना में महिलाओं को ज्यादा अधिकार देते हुए मोदी सरकार ने फैसला किया कि अब महिला अफसरों को पूरी बटालियन की कमांड भी सौंपी जाएगी। पहल ऐसा नहीं था। सरकार के फैसले के बाद अब एविएशन, सिग्नल और इंजीनियर्स बटालियन की कमान महिला अफसर भी संभाल सकेंगी।

81-कभी मोदी को वीजा देने से मना करने वाला अमेरिका और झुकता नजर आया। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी से मुलाकात की मोदी के मुरीद जॉन केरी ने हिंदी में सबका साथ-सबका विकास बोलकर सबका ध्यान खींचा। सितंबर में मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले इस मुलाकात को बेहद अहम माना गया।

82-दस्तावेजों को Attested कराने के झंझट से मुक्ति दिलाते हुए मोदी सरकार ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया कि वो सेल्फ सर्टिफिकेशन पर जोर दे। सरकार ने कहा कि तमाम सरकारी कार्रवाइयों में हलफनामों को भी कम से कम करने के तरीके खोजे जाएं। सरकार ने कहा कि गजटेड ऑफिसर से अटेस्ड कराने में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

83-4 अगस्त को नरेंद्र मोदी नेपाल यात्रा पर गए। 17 साल बाद कोई भारतीय पीएम द्विपक्षीय वार्ता के लिए नेपाल पहुंचा। भारत ने पन-बिजली योजनाओं के लिए नेपाल सरकार के साथ समझौता किया। भारत ने इस बात पर भी सहमति जताई कि वो 1950 में हुई भारत-नेपाल ट्रीटी पर बातचीत के लिए तैयार है।

84-CSAT परीक्षा पर अहम फैसला लेते हुए सरकार ने तय किया कि अब मेरिट लिस्ट में अंग्रेजी पेपर के नंबरों को नहीं जोड़ा जाएगा। सरकार ने 2011 में सिविल सर्विसेस की परीक्षा देने वाले छात्रों को एक और मौका दिए जाने की भी बात कही। इस फैसले ने हिंदी भाषा के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बड़ी राहत दी।

85-मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद मोदी सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। राज्यपाल के तौर पर कमला बेनीवाल का कार्यकाल खत्म होने में दो महीने बाकी रहते उन्हें हटाया गया था। ऐसे में विपक्ष ने सरकार पर बदले की राजनीति करने का भी आरोप लगाया।

86-जुवैनाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव को मंजूरी देते हुए सरकार ने तय कर दिया कि अब गंभीर अपराधों के मामले में 16 साल से बड़े किशोरों को भी वयस्क की तरह सजा दी जा सकेगी। ये फैसला लेने की जिम्मेदारी सरकार ने जुवैनाइल जस्टिस बोर्ड पर छोड़ दी कि आरोपी पर मुकदमा बालिग के तौर पर चलाएं।

87-पीएम बनने के बाद 12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। लद्दाख में पन बिजली परियोजना का उद्घाटन करते हुए मोदी ने प्रकाश, पर्यावरण और पर्यटन का नारा दिया। यहीं पर मोदी ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वो आतंक के नाम पर छद्म युद्ध में लगा हुआ है।

88-जजों की नियुक्ति के लिए राज्यसभा में न्यायिक नियुक्ति आयोग बिल पास होते ही पुराना कॉलेजियम सिस्टम खत्म हो गया। न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता में कमी के आरोप के चलते कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना हो रही थी। अब नए सिस्टम के तहत न्यायिक आयोग सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति करेगा।

89-सरकार ने तय किया कि नक्सल प्रभावित सभी 10 राज्यों में मोबाइल की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए करीब दो हजार नए टॉवर भी लगाए जाएंगे। प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी बीएसएनएल को दी गई है जो पहले ही इन इलाकों में साढ़े तीन सौ टॉवर लगा चुकी है।

90-मोदी ने 15 अगस्त को ही देश से ये वायदा किया कि अगले साल 15 अगस्त तक कोई भी स्कूल ऐसा नहीं होगा जहां बच्चों के लिए शौचालय ना हो। प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से ये भी कहा कि वो सांसद निधि का इस्तेमाल स्कूलों में शौचालय बनवाने में करें। ताकि बच्चे शौचालय ना होने की वजह से पढ़ाई बीच में ना छोड़ें।

91-डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत मोदी सरकार का लक्ष्य 2019 तक हर भारतीय के हाथ में स्मार्टफोन देने का है। मकसद ये कि मोबाइल फोन के जरिए देश का हर नागरिक सरकार की हर योजना के साथ सीधे जुड़ा हो। सरकार की तैयारी ढ़ाई लाख पंचायतों और स्कूलों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने की है।

92-मोदी ने ऐलान किया कि इसी साल 2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया जाएगा। मोदी ने देश से ये वायदा लिया कि 2019 तक देश का हर शहर, हर सड़क और हर गली साफ-सुथरी होगी। उन्होंने कहा कि ये काम सिर्फ सरकार से नहीं हो सकता इसमें लोगों की मदद की भी जरूरत है।

93-मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना का भी ऐलान किया। इस योजना के तहत 2016 तक हर सांसद को अपने इलाके में एक आदर्श गांव बनाना होगा। इसके बाद सांसद को 2019 तक दो और गावों को आदर्श गांव में बदलना होगा। इस योजना का औपचारिक ऐलान 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण की जयंती पर होगा।

94-मोदी सरकार ने तय किया कि वो रामसेतु के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं होने देगी। रामसेतु के बीच से जहाजों के लिए रास्ता बनवाने का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस समुद्री रास्ते के पक्ष में दलील ये दी जाती है कि इससे वक्त और पैसे दोनों की बचत होगी। लेकिन सरकार ने कहा कि लोगों की भावनाओं को दरकिनार नहीं किया जाएगा।

95-मना करने के बावजूद कश्मीर के अलगाववादियों से बातचीत के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की बैठक रद्द कर दी। मोदी सरकार ने पाकिस्तान से टो दूक कहा कि वो या तो अलगाववादियों से बात कर ले या फिर भारत सरकार से। इस फैसले से मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ये संदेश दिया कि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं किया जाएगा।

96-तबादलों के दौरान ऐसी महिलाओं को तरजीह मिले जो अपने परिवार से अलग, दूसरे शहरों में रह रही हैं। केंद्र सरकार ने खासतौर पर बैंकों को निर्देश दिया कि महिला कर्मचारियों की तैनाती उनके घर के नजदीक ही की जाए ताकि उनमें असुरक्षा की भावना कम हो।

97-योजना आयोग के दिन खत्म होने का ऐलान करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के लोगों से नई संस्था के बारे में सुझाव मांगा। सरकार का कहना था कि 64 साल पुराना, योजना आयोग वक्त के हिसाब से खुद को बदल नहीं पाया। इसलिए एक नई संस्था की जरूरत है। अब ये नई संस्था 21वीं सदी के मुताबिक विकास से जुड़े सुझाव देगी।

98-मोदी सरकार ने तय किया कि उत्तर पूर्वी राज्यों में जमीन से आसमान में मार करने वाली आकाश मिसाइल की 6 स्क्वैड्रन तैनात की जाएगी। ऐसा चीन के लड़ाकू विमानों और ड्रोन की तैनाती के बाद किया गया। सरकार पहले ही तेजपुर और छाबुआ में सुखोई-30 विमान की तैनाती कर चुकी है।

99-देश के हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेल वेबसाइट फ्लिपकार्ट के साथ अहम समझौता किया। अब केंद्र सरकार की मदद से हथकरघा उद्योग का बनाया सामान फ्लिपकार्ट पर बेचा जाएगा। इस नई पहल से बुनकरों का तो फायदा होगा ही, उद्योग की कमाई भी बढ़ेगी।

100-पंद्रह अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से ‘जन-धन योजना’ का ऐलान किया था। इस योजना के तहत देश के हर नागरिक के पास बैंक अकाउंट होने का लक्ष्य रखा गया। दो हफ्ते के भीतर ही ये योजना पूरे देश में शुरू कर दी गई। 28 अगस्त को योजना के पहले दिन ही एक करोड़ से ज्यादा नए लोगों के बैंक अकाउंट खुले।