रविवार, 20 मार्च 2016

झाँसी के वीरा गाँव में मुसलमान मनाते हैं होली, लगाते हैं देवी के जयकारे / Muslims celebrate Holi


हिंदू व मुसलमान एक-दूसरे को लगाते हैं तिलक
देश में इन दिनों ‘भारत माता की जय’ पर जिरह छिड़ी हुई है, इतना ही नहीं 'जय' के आधार पर ही देशभक्त और देशद्रोही तय किए जा रहे हैं, मगर बुंदेलखंड के झाँसी जिले में ‘वीरा’ एक ऐसा गाँव है, जहां होली के मौके पर हिंदू ही नहीं, मुसलमान भी देवी के जयकारे लगाकर गुलाल उड़ाते हैं। उत्तर प्रदेश में झाँसी के मउरानीपुर कस्बे से लगभग 12 किलोमीटर दूर है वीरा गाँव। यहां हरसिद्घि देवी का मंदिर है। यह मंदिर उज्जैन से आए परिवार ने वर्षों पहले बनवाया था, इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा भी यही परिवार अपने साथ लेकर आए थे। मान्यता है कि इस मंदिर में आकर जो भी मनौती (मुराद) मांगी जाती है, वह पूरी होती है। वीरा गाँव में होली का पर्व उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, यहाँ  होलिका दहन से पहले ही होली का रंग चढ़ने लगता है, मगर होलिका दहन के एक दिन बाद यहाँ की होली सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देनेवाली होती है। जिसकी मनौती पूरी होती है, वे होली के मौके पर कई किलो व क्विंटल तक गुलाल लेकर हरसिद्धि देवी के मंदिर में पहुंचते हैं। यही गुलाल बाद में उड़ाया जाता है। होली में हिंदुओं के साथ मुसलमान भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और देवी के जयकारे भी लगाते हैं। होली के मौके पर यहां का नजारा उत्सवमय होता है; क्योंकि लगभग हर घर में मेहमानों का डेरा होता है, जो मनौती पूरी होने के बाद यहां आते हैं। बुंदेलखंड सांप्रदायिक सदभाव की मिसाल रहा है। बुंदेलखंड के अन्तर्गत ही झाँसी जिला पड़ता है। यहाँ कभी धर्म के नाम पर विभाजन रेखाएं नहीं खिंची हैं। होली के मौके पर वीरा में आयोजित समारोह इस बात का जीता जागता प्रमाण है। 

यहाँ फाग (जिसे भोग की फाग कहा जाता है) के गायन की शुरुआत मुस्लिम समाज का प्रतिनिधि ही करता रहा है, उसके गायन के बाद ही गुलाल उड़ने का क्रम शुरू होता रहा है। अब सभी समाज के लोग फाग गाकर होली मनाते हैं। इसमें मुस्लिम भी शामिल होते हैं। होली के मौके पर इस गाँव के लोग पुराने कपडे़ नहीं पहनते, बल्कि नए कपड़ों को पहनकर होली खेलते हैं, क्योंकि उनके लिए यह खुशी का पर्व है। बुंदेलखंड के लोगों के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का पर्व बताते हैं। उनका कहना है कि होली ही एक ऐसा त्योहार है, जब यहाँ के लोग सारी दूरियों और अन्य कुरीतियों से दूर रहते हुए एक दूसरे के गालों पर गुलाल और माथे पर तिलक लगाते हैं। वीरा गांव तो इसकी जीती-जागती मिसाल है। बुंदेलखंड के वीरा गांव की होली उन लोगों के लिए भी सीख देती है, जो धर्म और जय के नाम पर देश में देशभक्त और देशद्रोह की बहस को जन्म दे रहे हैं। अगर देश का हर गांव और शहर ‘वीरा’ जैसा हो जाए, तो विकास और तरक्की की नई परिभाषाएं गढ़ने से कोई रोक नहीं सकेगा। 

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

shintashukumar sahayka contect no. and help me

Unknown ने कहा…

garib brahman ko samjiye aum