गुरुवार, 18 मई 2017

हरिद्वार में भी स्वच्छ नहीं रही गंगा / Ganga Polluted in Haridwar Also

-शीतांशु कुमार सहाय
हरिद्वार में भी गंगा का जल इतना गंदा है कि पीना तो दूर, यह नहाने लायक भी नहीं बचा है। अब वास्तव में गंगा प्रदूषित हो गयी है। कुछ समय पूर्व तक गंगा बड़े शहरों के किनारे ही प्रदूषित थी और माना जाता था कि यह उत्तर में हरिद्वार आदि स्थानों पर स्वच्छ व पवित्र है। वैसे गंगा की पवित्रता तो हमारी अन्तरात्मा से सम्बन्धित है पर इसके जल की स्वच्छता किसी भी कसौटी पर कानपुर से पटना तक सिद्ध न हो सकी है। इसके बावजूद हम सभी यही मानते थे कि कम-से-कम हरिद्वार में तो हमारी गंगा अवश्य ही स्वच्छ होगी। पर, यह भ्रम भी टूट गया। अब गंगा मैया हिमालय से धरती पर आते ही प्रदूषित हो गयीं। हिमालय के बाद हरिद्वार से मैदानी भाग में गंगा उतरती है। अतः इसे गंगाद्वार भी कहते हैं। हरिद्वार इंडस्ट्रियल और टूरिस्ट हब बन गया है, ऐसे में जब तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट इन्स्टॉल नहीं किये जाते और पानी की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी नहीं रखी जाती, घाटों का पानी प्रदूषित रहेगा। 
हरिद्वार में गंगा नदी का जल तकरीबन हर पैमाने पर असुरक्षित है। गंगा को पवित्र नदी माना जाता है। केंद्र सरकार ने गंगा को साफ करने के लिए 'नमामि गंगे' योजना भी चलायी है लेकिन इसका कोई लाभ नहीं मिला पा रहा है। गंगा में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि इसका पानी  पीने तो क्या नहाने लायक भी नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जवाब में बताया कि उत्तराखंड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक की गंगा नहाने लायक नहीं है। हर पैमाने पर इस पवित्र नदी का पानी अपवित्र और असुरक्षित है। रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार में गंगा के 20 घाटों पर हर रोज 50,000 से 1 लाख श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। हरिद्वार जाकर लोग गंगा में डुबकी लगाकर अपने सारे पाप धोते हैं। पाप दूर हो या न हो पर गंगा अवश्य गन्दी हो गयी। 
हरिद्वार के कई नाम हैं, जैसे कपिलस्थान, गंगाद्वार और मायापुरी। यह उस प्रसिद्ध स्थान पर बनाया गया है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहाँ राजा दक्ष ने उस यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सती ने खुद को भस्म कर लिया था। यज्ञ की जिस अग्नि में सती ने खुद का दाह कर लिया था, वह अग्नि अब भी जल रही है।

चार मानकों पर मापी गयी गुणवत्ता 

सीपीसीबी ने उत्तराखंड में गंगोत्री से हरिद्वार जिले तक 11 जगहों से गंगाजल के नमूने गुणवत्ता की जाँच के लिए एकत्रित किए थे। ये 11 जगह 294 किलोमीटर के इलाके में फैली हैं। आरटीआई में इन नमूनों के परीक्षण की रिपोर्ट माँगी गयी थी। सीपीसीबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरएम भारद्वाज ने बताया कि गंगाजल की गुणवत्ता चार मानकों पर मापी गयी। इनमें डिजाल्वड ऑक्सीजन (डीओ), बॉयोलॉजिक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), कोलिफॉर्म (बैक्टीरिया) और तापमान शामिल है। जाँच में पता चला कि हरिद्वार के आसपास गंगाजन में बीओडी, कोलिफॉर्म और दूसरे जहरीले पदार्थों की मात्रा बहुत ज्यादा है।

गंगा जल में मिले जहरीले तत्व

सीपीसीबी के मानकों के मुताबिक, नहाने के एक लीटर पानी में बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम से कम होना चाहिये जबकि गंगा के पानी के नमूनों में यह 6.4 मिलीग्राम से ज्यादा पाया गया। इसके अलावा, हर की पौड़ी के प्रमुख घाटों सहित गंगा के पानी में कोलिफॉर्म भी काफी ज्यादा मात्रा में पाया गया। प्रति 100 मिलीलीटर पानी में कोलिफॉर्म 90 एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) होना चाहिये, यह 1600 एमपीएन पाया गया। सीपीसीबी के मानकों के मुताबिक, नहाने के पानी में कोलिफॉर्म की मात्रा प्रति 100 मिलीग्राम में 500 एमपीएन या इससे कम होनी चाहिये। हरिद्वार के गंगा जल में डीओ भी प्रति लीटर 4 से 10.6 मिलीग्राम पाया गया जबकि यह 5 मिलीग्राम होना चाहिये।

गंगा को न करें गन्दा / Do'nt Mess With the Ganges

वर्षों से गंगा के प्रदूषण पर चिन्ता व्यक्त की जाती रही है पर ठोस पहल कभी नहीं हुई। वैसे सरकार अरबों रुपये खर्च करके भी गंगा को साफ नहीं कर सकती। गंगा तभी स्वच्छ हो सकती है जब हम उसे गन्दा करने से बाज आयेंगे। प्रत्येक भारतवासी की जिम्मेदारी है कि गंगा को प्रदूषणमुक्त करने के लिए उठ खड़े हों। इसमें कूड़ा-कचरा न डालें और दूसरों को भी स्वच्छता के लिए प्रेरित करें।
पॉलिथिन, शहर व गाँव की गन्दगियों, नालियों के गन्दे जल, प्रयोग किये गये पूजन की सामग्रियों को गंगा में कभी न फेंकें। नदियों को गन्दा करने की बात किसी भी ग्रन्थ में नहीं है। पूजन सामग्रियों को साफ भूमि को खोदकर उसमें गाड़ देना चाहिये। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है। अब तो कई बड़े मन्दिरों में प्रयोग की गयी पूजन सामग्रियों से जैविक खाद बनाये जा रहे हैं। 

बुधवार, 17 मई 2017

ऑपरेशन क्लीन मनी वेबसाइट लॉञ्च, छापेमारी की पूरी जानकारी ऑनलाइन डालेगी सरकार / Operation Clean Money Website Launched

कालेधन के खिलाफ नए सिरे से मुहिम चलाते हुए सरकार छापेमारी के रिकॉर्ड को वेबसाइट पर डालेगी इतना ही नहीं, विभिन्न श्रेणियों में अत्यधिक जोख़िम से कम जोखिमवाले डिफॉल्टरों की रेटिंग करेगी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऑपरेशन क्लीन मनी की वेबसाइट को मंगलवार 16 मई 2017 को लॉञ्च किया
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पिछले साल 8 नवंबर को ऊँचे मूल्य के नोट बंद करने के फैसले से डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन मिला है, आयकरदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है और कर राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा नकद लेन-देन में भी कमी आई है वित्त मंत्री ने बताया कि 91 लाख नये लोग कर के दायरे में आये हैं उन्हें उम्मीद है कि आगे चलकर कर रिटर्न दाखिल करनेवालों की संख्या में और वृद्धि होगी वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बाद व्यक्तिगत आयकर संग्रहण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि नये पोर्टल से ईमानदार करदाताओं को फायदा होगा
चंद्रा ने कहा कि नोटबंदी के बाद आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग में 22 प्रतिशत का इजाफा हुआ है सीबीडीटी के प्रमुख ने कहा कि नोटबंदी के बाद 17.92 लाख ऐसे लोग का पता लगाया गया है जिनके पास जमा करायीयी नकदी का हिसाब किताब नहीं है। इसके अलावा कर विभाग ने एक लाख संदिग्ध कर चोरी के मामलों का पता लगाया है उन्होंने बताया कि नोटबंदी के बाद 16,398 करोड़ रपये की अघोषित आय का पता लगाया गया है
चंद्रा ने कहा कि 17.92 लाख लोग द्वारा जमा करायीयी नकदी या नकद लेन-देन उनकी आमदनी से मेल नहीं खाता इनमें से 9.72 लाख लोग ने आयकर विभाग की ओर से भेजे गये एसएमएस और ई-मेल का जवाब दिया है
चंद्रा ने कहा, "हम कर शिकायत के मामले में गैर-कर शिकायत को बदलना चाहते हैं कर विभाग छापेमारी की खबरों को वेबसाइट पर डालेगा वेबसाइट उस प्रक्रिया की संपूर्ण जानकारी देगी जिसके चलते टैक्स डिफॉल्टर की पहचान की गयी थी

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस : 17 मई : उच्च रक्तचाप की चपेट में युवा / World Hypertension Day : May 17 : Youth in the Grip of Hypertension/High Blood Pressure

उच्च रक्तचाप (एचबीपी) या हाईपरटेंशन दुनियाभर में असामयिक मृत्यु का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इसके कारण प्रत्येक साल दुनियाभर में लगभग 9.4 मिलियन लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। विश्व स्वास्य संगठन द्वारा हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्च रक्तचाप से भारत जैसे देश में 25 वर्ष और इससे अधिक आयु के हर तीन वयस्कों में से एक को प्रभावित करता है। उच्च रक्तचाप तथा अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के कारण हार्ट अटैक, स्ट्रॉक, गुर्दे (किडनी) की विफलता तथा नेत्रों की क्षति जैसी जटिलताएँ होती हैं।
हाईपरटेंशन के कारण समय से पहले मृत्यु या अपंगता से आय की हानि होती है तथा इलाज पर भारी खर्च आता है, जिसकी वजह से परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है।
उच्च रक्तचाप की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह समस्या अधिक गंभीर है; क्योंकि यहाँ एक-चौथाई मरीजों को ही उच्च रक्तचाप की स्थिति का पता होता है। इसके अलावा हाईपरटेंशन से ग्रस्त पाँच में से सिर्फ एक ही रोगी इसके इलाज के लिए चिकित्सक तक पहुँच पा रहे हैं। उनमें से पाँच प्रतिशत से भी कम नियंत्रण की स्थिति में है। 
दरअसल, हृदय शरीर के रक्त को प्रवाहित करता है। स्वच्छ रक्त आर्टरी से शरीर के दूसरे भाग में जाता है और शरीर के दूसरे भागों से दूषित रक्त हृदय में वापस आता है। ब्लड प्रेशर खून को पम्प करने की इसी प्रक्रिया को कहते हैं लेकिन कुछ कारणों से रक्त का दबाव बढ़ जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण आज का भागम-भाग की जिंदगी तथा तनाव है। इसपर नियंत्रण के लिए उचित जीवनशैली तथा खान-पान जरूरी है।
बीपी रीडिंग सामान्य रूप से दो संख्याओं के अनुपात के रूप में दर्शाई जाती है। ऊपरी संख्या को सामान्य रूप से सिस्टोलिक बीपी और कम वाली संख्या को डायस्टोलिक बीपी कहा जाता है। सिस्टोलिक बीपी की सामान्य सीमा 110-139 एमएमएचजी के बीच और डायस्टोलिक बीपी 70-89 एमएमएचजी के बीच होती है।
हाईपरटेंशन (बीपी 140/90 से अधिक) तब होता है जब परिवार में किसी को हाईपरटेंशन रहा हो, वजन अधिक हो या मोटापे से ग्रसित हो, चालीस वर्ष से अधिक का आयु हो, नियमित रूप से व्यायाम न करता हो, भोजन में अधिक नमक का सेवन करता हो, बहुत अधिक शराब पीता हो, धूम्रपान करता हो, उसे मधुमेह हो या हमेशा तनाव में रहता हो, अत्यधिक भाग-दौड़ एवं तनावभरी जीवन शैली एवं चिंता हो।
उच्च रक्तचाप एक साथ शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है। हृदयाघात, ब्रेन हैमरेज, रेटाइनल हैमरेज (दृष्टिपटल पर रक्तस्राव) जैसी जानलेवा समस्या पैदा हो सकती है। निरंतर उच्च रक्तचाप से किडनी खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप गंभीर जटिलता पैदा करती है, जिसे 'एकलैंपशिया' कहते हैं।
कुछ मरीजों में सिर दर्द, थकान, अधिक पेशाब आना जैसे लक्षण उभर सकते हैं। पीड़ित मरीज के खून में कोलेस्ट्रॉल, ब्लड में सुगर एवं यूरिया की मात्रा की जाँच अवश्य करानी चाहिए। इसके अलावा चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार इसीजी, इक्को, एक्स-रे एवं टीएमटी टेस्ट भी करा लेनी चाहिए। उच्च रक्तचाप आँखों की रोशनी एवं किडनी को भी प्रभावित करती है, इसलिए आँखों की जाँच एवं गुर्दा से संबंधित जाँच भी करा लेनी चाहिए। 
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) या हाईपरटेंशन से बचने के लिए शारीरिक व्यायाम एवं स्वस्य जीवनशैली जरुरी है। बचाव का सबसे बेहतर तरीका योगाभ्यास तथा मेडिटेशन है। यदि मरीज समघातक या माइल्ड उच्च रक्त से पीड़ित है तब इसे अच्छे जीवनशैली, व्यायाम तथा खान-पान को नियन्त्रितकर ठीक किया जा सकता है। मध्यम एवं सीवियर मामलों में मरीज को आजीवन दवाइयाँ खानी पड़ती है। दवा छोड़ना मरीज के लिए बेहद घातक होता है। हरी सब्जियों एवं फलों में पोटैशियम होते हैं जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में बेहद कारगर साबित होते हैं।

बुधवार, 3 मई 2017

3 मई : विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस : विश्व प्रेस सूचकांक-2017 में भारत 136वें स्थान पर / 3 May : World Press Freedom Day : In the World Press Index -2017, India Ranked 136th

-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2017 में कुल 180 देशों को शामिल किया गया है। इस सूचकांक में नार्वे (स्कोर-7.60) को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है। इसके पश्चात स्वीडन (स्कोर-8.27) दूसरे फिनलैंड (स्कोर-8.92) तीसरे, डेनमार्क (स्कोर-10.36) चौथे तथा नीदरलैंड्स (स्कोर-11.28) पाँचवें स्थान पर है। इस सूचकांक में निचले पाँच स्थान प्राप्त करनेवाले देश क्रमशः हैं- उत्तर कोरिया (180वाँ स्थान), इरीट्रिया (179वाँ स्थान), तुर्कमेनिस्तान (178वाँ स्थान), सीरिया (177वाँ स्थान) तथा चीन (176वाँ स्थान)।
विश्व के देशों में प्रेस की स्थिति के बारे में ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन) द्वारा वर्ष 2002 से प्रतिवर्ष यह सूचकांक जारी किया जा रहा है। यह संगठन प्रेस स्वतंत्रता की वकालत करता है। इसकी स्थापना वर्ष 1985 में हुई थी। इसका मुख्यालय पेरिस में है। इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार की स्थिति प्राप्त है।
विश्व प्रेस सूचकांक-2017 में भारत 136वें (स्कोर-42.94) स्थान पर है। जबकि वर्ष 2016 में भारत इस सूचकांक में 133वें स्थान पर था। इस सूचकांक में भारत के पड़ोसी देशों में भूटान का 84वाँ, नेपाल का 100वाँ, अफगानिस्तान का 120वाँ, पाकिस्तान का 139वाँ, श्रीलंका का 141वाँ तथा बांग्लादेश का 146वाँ स्थान है।
ब्रिक्स देशों में दक्षिण अफ्रीका को 31वाँ, ब्राजील को 103वाँ, रूस को 148वाँ, भारत को 136वाँ तथा चीन को 176वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
इस सूचकांक में विश्व के अन्य विकसित देशों में जर्मनी को 16वाँ, ऑस्ट्रेलिया को 19वाँ, कनाडा को 22वाँ, यूनाइटेड किंगडम को 40वाँ, अमेरिका को 43वाँ, फ्रांस को 39वाँ तथा जापान को 72वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
26 अप्रैल 2017 को फ्रांस स्थित ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders) द्वारा वार्षिक ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2017’ जारी किया गया। 

3 मई : विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस और भारत / 3 MAY : WORLD PRESS FREEDOM DAY AND INDIA

-शीतांशु कुमार सहाय / Sheetanshu Kumar Sahay
आज 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है। भारत में अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा होती रहती है। पर, अफसोस की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या किसी अन्य भारतीय नेता ने मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर कुछ नहीं कहा। ऐसे में भारतीय पत्रकारों ने अपने हक को मारनेवाले अखबारों के मालिकों को दुखी दिल से ‘दुहाई’ देते हुए विश्व प्रेस स्वतन्त्रता दिवस मनाया।
3 मई को मनाए जानेवाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारत में भी प्रेस की स्वतंत्रता पर बातचीत होना लाजिमी है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है।
विश्वस्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया जिसे 'विश्व प्रेस दिवस' के रूप में भी जाना जाता है। 'अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस' या 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस' मनाने का निर्णय वर्ष 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग ने मिलकर किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। तब से हर साल '3 मई' को 'अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वीतंत्रता दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले नामीबिया में विन्डंहॉक में हुए एक सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया था कि प्रेस की आज़ादी को मुख्य रूप से बहुवाद और जनसंचार की आज़ादी की जरूरत के रूप में देखा जाना चाहिए।
यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर 'गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज' भी दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो। 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए संवाददाताओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है। पर, मीडिया अपना दायित्व ठीक तरीके से नहीं निभा रहा है। कुछ लोग को छोड़कर श्रद्धांजलि देने का काम भी मीडिया ठीक से नहीं कर रहा है।

2017 का गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार ईसाक को / Guillermo Cano World Press Freedom Award for 2017 to eisak

एरिट्रियन स्वीडिश पत्रकार दावित ईसाक को उनकी हिम्मत, प्रतिरोध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता हेतु वर्ष 2017 का गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार (US $ 25,000) के लिए चुना गया। 1997 से अब तक भारत के किसी भी पत्रकार को यह पुरस्कार नहीं मिलने की एक बड़ी वजह कई वरिष्ठ पत्रकार पश्चिम और भारत में पत्रकारिता के मानदंडों में अंतर को बताते हैं। भारतीय पत्रकारिता में हमेशा विचार हावी होता है जबकि पश्चिम में तथ्यात्मकता पर जोर दिया जाता है। इससे भारतीय पत्रकारिता के स्तर में कमी आती है। इसके अलावा भारतीय पत्रकारों में पुरस्कारों के प्रति जागरूकता की भी कमी है, वे इसके लिए प्रयासरत नहीं रहते।

प्रेस के प्रति अटल विश्वास : प्रधानमंत्री मोदी 
Unfaltering faith in the press : PM Modi


 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार, 3 मई 2017 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 'स्वतंत्र व जोशपूर्ण प्रेस' की वकालत करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण बताया। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, "यह प्रेस के प्रति अपने अटल विश्वास को दोहराने का दिन है।" प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "आज के दिन और समय में सोशल मीडिया संपर्क के एक सक्रिय माध्यम के रूप में उभरा है और इससे हमारी प्रेस की स्वतंत्रता को और मजबूती मिली है।"