गुरुवार, 21 सितंबर 2017

पुराणों में नवरात्र / Navaratra in the Puranas

-शीतांशु कुमार सहाय
मान्यता है कि नवरात्र में महाशक्ति की पूजा कर श्रीराम ने अपनी खोयी हुई शक्ति पायी थी। अतः इस समय आदिशक्ति की आराधना पर विशेष बल दिया गया है। ‘मार्कण्डेयपुराण’ के अन्तर्गत ‘दुर्गा सप्तशती’ में स्वयं भगवती ने इस समय (नवरात्र) शक्ति पूजा को ‘महापूजा’ बताया है। कलश स्थापना, दुर्गा की स्तुति, सुमधुर घण्टियों की आवाज, धूप व बत्तियों की सुगन्ध- यह नौ दिनों तक चलनेवाले साधना पर्व नवरात्र का चित्रण है। 
भारतीय संस्कृति में नवरात्र की साधना का विशेष महत्त्व है। नवरात्र में ईश-साधना और अध्यात्म का अद्भुत संगम होता है। इस अवधि में रामलीला, रामायण पाठ, रामचरितमानस पाठ, श्रीमद्भागवत पाठ, अखण्ड कीर्तन जैसे सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। यही वजह है कि नवरात्र के दौरान प्रत्येक व्यक्ति नये उत्साह और उमंग से भरा दिखायी पड़ता है। 
वैसे तो ईश्वर का आशीर्वाद हम पर सदा ही बना रहता है। पर, कुछ विशेष अवसरों पर उन के प्रेम व कृपा का लाभ हमंे अधिक मिलता है। पावन पर्व नवरात्र में सृष्टि की सभी रचनाओं पर माता दुर्गा की कृपा समान रूप से बरसती है। इस के परिणामस्वरूप ही मनुष्य को लोक-मंगल के कार्यकलापों में आत्मिक आनन्द की अनुभूति होती है।

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