सोमवार, 6 नवंबर 2017

पैराडाइज पेपर्स : भ्रष्टाचार के खात्मे के संकल्प को झटका / Paradise Papers : Shock the Resolution of the end of Corruption





अमिताभ बच्चन व जयंत सिन्हा
-शीतांशु कुमार सहाय
भ्रष्टाचार के खात्मे का संकल्प लेकर ही नरेन्द्र मोदी ने प्रधान मंत्री पद की शपथ ली थी। पर, अब तो ऐसा लगने लगा है कि उन के दल (भारतीय जनता पार्टी) और सरकार के सहयोगी ही उन के संकल्प की ऐसी-की-तैसी करने में लगे हैं। मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी लागू करने के एक साल पूरे होने के दो दिन पूर्व ही पनामा पेपर्स के बाद काले धन को लेकर अब पैराडाइज पेपर्स (Paradise Papers) के रूप में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। मालूम हो कि पैराडाइज पेपर्स में 1 करोड़ 34 लाख दस्तावेज हैं जिन में दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोग के गुप्त निवेश की जानकारी है। विश्व के  96 मीडिया संस्थानों ने साथ मिलकर इंटरनेशनल कॉन्सोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स International Consortium of Investigative Journalists (आईसीआईजे) ने ‘पैराडाइज पेपर्स’ दस्तावेजों की छानबीन की है। पैराडाईज पेपर्स के खुलासे में कई नामचीन हस्तियों के नाम सामने आये हैं। इस के जरिये उन फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है जो दुनिया भर में अमीर और ताकतवर लोग के धन विदेशों में भेजने में उन की मदद करते हैं। इन पेपर्स में कई भारतीय राजनेता, अभिनेता और बड़े कारोबारी भी शामिल हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अधिकतर लेन-देन में किसी तरह की कोई क़ानूनी गड़बड़ी नहीं है। पनामा पेपर्स के बाद यह बड़ा खुलासा हुआ है जिन में कई भारतीय कंपनियों के नाम हैं।
मालूम हो कि पिछले साल 8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने कालेधन पर कड़ा कदम उठाते हुए पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट बंद कर दिए थे। तब उम्मीद की जा रही थी की काला धन बाहर आएगा लेकिन इस के बाद भी उम्मीद से काफी कम मात्रा में काला धन बाहर आया और इस के बड़े हिस्से की हेरा-फेरी होने की बात सामने आयी।
पैराडाइज पेपर्स खुलासा इस बात की तस्दीक करता है कि कैसे ताकतवर लोग, नेता, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ  और अमीर लोग फ़र्ज़ी कंपनियों, ट्रस्ट या फाउंडेशन के जरिये कर अधिकारियों से अपनी संपत्ति और सौदों को छिपाकर कर अदा करने से बचते हैं और बड़े पैमाने पर पैसा बनाते हैं।
पैराडाइज पेपर्स में 180 देशों के लोग की जानकारियाँ मिली हैं। इन में ब्रटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई मंत्रियों, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूंडो के मुख्य फंडरेजर के नाम भी शामिल है। रूस की ऊर्जा फर्म में व्लादिमीर पुतिन के दामाद का नाम भी सामने आया है। इस में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज सहित दुनिया के 120 नेताओं के नाम हैं।
दस्तावेजों के अनुसार, अरबपति निवेशक रॉस की 'नेविगेटर होल्डिंग्स' में 31 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस कंपनी की रूस की ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी कंपनी 'सिबर' से साझेदारी है जिस का आंशिक तौर पर मालिकाना हक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दामाद और उन के दोस्त के पास है।
पनामा पेपर्स की ही तरह ये दस्तावेज जर्मन अख़बार 'ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग' को हासिल हुए थे, जिन की पड़ताल  आईसीआईजे ने की है। अखबार इस संबंध में 40 लेख प्रकाशित करेगा, जिन में विस्तार से जानकारियाँ दी जायेंगी।
रिपोर्ट में ओमिदयार नेटवर्क का जिक्र है, जिस से केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा भी जुड़े थे। ओमेदियार नेटवर्क नरेन्द्र मोदी की जीत के लिए काम कर रहा था। 2009 में ओमेदियार नेटवर्क ने भारत में सबसे अधिक निवेश किया, इस निवेश में इस के निदेशक जयंत सिन्हा की बड़ी भूमिका थी। 2013 में जयंत सिन्हा ने इस्तीफा देकर मोदी के विजय अभियान में शामिल होने का एलान कर दिया। जब मोदी जीते थे तब ओमेदियार नेटवर्क ने ट्वीट कर बधाई दी थी। 

ब्रिटेन की महारानी व कनाडाई प्रधानमंत्री के सलाहकार

 
व्यापक पैमाने पर लीक हुए पैराडाइज़ दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस के रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबियों से जुड़ी कंपनी के साथ कारोबारी संबंध हैं जबकि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने विदेशों में कर से बचाव करने वाले स्थानों पर निवेश किया हुआ है। इसमें यह भी खुलासा किया गया है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदू के लिए कोष जुटाने वाले और वरिष्ठ सलाहकार स्टीफन ब्रॉन्फमैन ने पूर्व सीनेटर लियो कोल्बर के साथ मिलकर विदेशों में कर पनाहगाहों में करीब 6 करोड़ डॉलर का निवेश कर रखा है। बहरहाल, इन खुलासों से ऐसे संकेत नहीं मिले हैं कि रॉस, ब्रान्फमैन या महारानी की निजी कंपनी ने गैरकानूनी रूप से निवेश किया। एलिजाबेथ की निजी कंपनी के मामले में आलोचक यह सवाल उठा सकते हैं कि क्या ब्रिटेन की महारानी द्वारा विदेशी कर पनाहगाहों में निवेश करना उचित है? दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि महारानी की करीब एक करोड़ 30 लाख डॉलर की निजी धनराशि को केमैन द्वीप और बरमुडा में निवेश किया गया। पैराडाइज़ दस्तावेजों में कानून कंपनी एप्पलबी के मुख्यत: 1.34 करोड़ दस्तावेज हैं। इस कंपनी के कार्यालय बरमूडा और अन्य जगहों पर हैं।

714 भारतीयों के नाम

पैराडाइज़ दस्तावेजों में भारत 19वें नंबर पर है। नरेन्द्र मोदी सरकार में मौजूदा विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा और केंद्रीय राज्यमंत्री व बिहार से राज्यसभा सांसद रवीन्द्र किशोर (आरके) सिन्हा के नाम की भी चर्चा है। पैराडाइज पेपर्स में अभिनेता अमिताभ बच्चन, उद्योगपति विजय माल्या के नाम शामिल हैं। अमिताभ बच्चन के बरमूडा में एक कंपनी में शेयर्स होने का भी खुलासा हुआ है। इस में संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त का भी नाम है। जालंधर के पवितार सिंह उप्पल, कोटा के रवीश भडाना, गाजियाबाद की नेहा शर्मा और मोना कलवानी, हैदराबाद के वेंकटा नरसा रेड्डी अतुनूरी और पार्थ सारथी रेड्डी बंदी, मुजफ्फरपुर से अल्पना कुमारी, अंजना कुमारी और अर्चना कुमारी, मुंबई से दीपेश राजेंद्र शाह के नाम शामिल हैं। कुछ महीने पहले पनामा पेपर्स में नाम सामने आने के कारण पाकिस्तान में नवाज शरीफ सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था। उस में भी अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन आदि के नाम शामिल थे।

जानिये पैराडाइज पेपर्स को

बताया जा रहा है कि जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung ने बरमूडा की कंपनी एप्पलबी, सिंगापुर की कंपनी एसियासिटी ट्रस्ट और कर चोरों के स्वर्ग समझे जाने वाले 19 देशों में करायी गयी कार्पोरेट रजिस्ट्रियों से जुड़े करीब एक करोड़ 34 लाख दस्तावेज लीक करके हासिल किए थे। इस लीक का केंद्र एप्पलबी नामक एक लॉ फर्म है जो बरमूडा, ब्रिटेन के वर्जिन आईलैंड, केमैन आईलैंड, आइल ऑफ मैन, जर्सी में स्थित है। इस अखबार ने ये करोड़ों दस्तावेज आईसीआईजे के साथ साझा किये। आईसीआईजे में दुनियाभर की 96 मीडिया कंपनियां शामिल हैं। इन सभी ने 10 महीने तक सभी दस्तावेजों की पड़ताल की। वहीं भारतीय अंग्रेजी अखबार 'इंडियान एक्सप्रेस' ने भारत से जुड़े हुए सभी दस्तावेजों की पड़ताल की जो आईसीआईजे का सदस्य है।

जयंत सिन्हा की सफाई

पैराडाइज़ दस्तावेजों में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम आने पर उन्होंने कहा कि निजी उद्देश्य से कोई लेन-देन नहीं किया गया। नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सफाई देते हुए कहा है कि सितंबर २००९ में वह ओमिद्यार नेटवर्क से बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर जुड़े थे। वह दिसंबर २०१३ तक कंपनी में रहे। जनवरी २०१४ से नवंबर २०१४ तक वह डिलाइट के स्वतंत्र निदेशक रहे। उन्होंने कहा कि मंत्री बनने से पहले ही उन्होंने ये कंपनी छोड़ दी थी और इस से मिली फीस व डिलाइट के शेयर पहले ही सार्वजनिक कर रखे हैं। उन्होंने कहा-- सभी लेन-देनों को आवश्यक नियामकीय जानकारियों के तहत संबद्ध प्राधिकारियों के समक्ष सार्वजनिक ही रखा गया था। ओमिदयार नेटवर्क को छोड़ने के बाद मुझ से डी. लाइट डिजाइन के निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशक बने रहने के लिए कहा गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद मैंने डी. लाइट डिजाइन के निदेशक मंडल से तत्काल इस्तीफा दे दिया था और कंपनी से अपने संबंध तोड़ दिए थे। सिन्हा पहले वित्त राज्य मंत्री थे। सिन्हा भारत में ओमिदयार नेटवर्क के प्रबंध निदेशक रहे हैं और ओमिदयार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी. लाइट डिजाइन में निवेश किया था। डी. लाइट डिजाइन की केमैन द्वीप में अनुषंगी कंपनी है। 

विदेश में धन भेजने का कानून 

भारतीय रिजर्व बैंक के नियमानुसार वर्ष २०१३ तक भारत का कोई नागरिक देश से बाहर कंपनी शुरू नहीं कर सकता था। २००४ में पहली बार आरबीआई ने २५ हजार डॉलर वार्षिक विदेश में निवेश या खर्च करने की छूट दी। यह रकम आज ढाई लाख डॉलर वार्षिक है। मतलब यह कि कोई भारतीय एक वर्ष में अधिकतम ढाई लाख डॉलर विदेशी कंपनियों के शेयर खरीदने, ज्वाइंट वेंचर या किसी को गिफ्ट देने में इस्तेमाल कर सकता है। २००४ में जब भारतीय रिजर्व बैंक ने २५ हजार डॉलर विदेशी निवेश का विकल्प दिया तो कुछ लोग ने इसे विदेश में कंपनी खड़ी करने का सिग्नल समझ लिया। तब रिजर्व बैंक ने सितंबर २०१० में सफाई दी और स्पष्ट किया कि इस का मतलब यह नहीं है कि भारतीय नागरिक विदेश में कंपनी शुरू कर सकते हैं। अगस्त २०१३ में भारत ने सहायक कंपनी शुरू करने या ज्वाइंट वेंचर में निवेश करने का नियम बनाया।

सीबीडीटी को जाँच का जिम्मा

भारत सरकार ने पैराडाइज पेपर्स मामलों की जाँच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) प्रवर्तन निदेशालय, रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई का बहुविभागीय समूह बनाने का निर्देश दिया है। वित्त मंत्रालय की ६ नवंबर २०१७ को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस बहुविभागीय समूह का नेतृत्व केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष करेंगे तथा इस का काम पैराडाइज पेपर्स में आने वाले नामों से जुड़े मामलों की जाँच की निगरानी करना होगा। आयकर विभाग की जाँच इकाई को हर मामले पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए चेताया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि पैराडाइज पेपर्स के अनुसार, विदेशी कंपनियों के आँकड़ों में 180 देशों के लोग के नाम आये है। इन में 714 भारतीयों के नाम हैं और पैराडाइज पेपर्स की सूची में भारत का स्थान 19वाँ है। इन पेपर्स में विदेशी लॉ फर्म 'एप्पलबाय' के पिछले 50 साल के 70 लाख ऋण समझौतों, वित्तीय बयानों तथा अन्य दस्तावेजों को जारी किया गया है। मंत्रालय ने बताया कि अभी कुछ ही भारतीयों के नाम मीडिया में आये हैं। पैराडाइज पेपर्स जारी करने वाले 'इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स' ने भी अपनी वेबसाइट पर सभी नाम सार्वजनिक नहीं किये गये हैं। वेबसाइट पर संकेत दिया गया है कि बाकी के नाम चरणबद्ध तरीके से सार्वजनिक किये जायेंगे और आयकर विभाग की जाँच इकाई को नाम सार्वजनिक होते ही कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं।
टैक्स चोरों के स्वर्ग पनामा, बहमास या ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड जैसे देशों में कंपनी शुरू करने, कंपनी खरीदने या खाता खोलने वाले भारतीय हस्तियों का नाम पनामा पेपर्स या पैराडाइज पेपर्स लीक में आने का मतलब ये नहीं है कि ये ऐसा खुलासा है कि हफ्ते या महीने भर में ये सारे लोग गिरफ्तार ही कर लिए जायेंगे। टैक्स बचाने या चुराने के इस खेल में फँसे लोग के साथ क्या होगा, यह इस बात से तय होगा कि किस ने किस कानून का उल्लंघन कब किया। पनामा पेपर्स लीक और पैराडाइज पेपर्स लीक मिलाकर भारत के मशहूर लोग में अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, केपी सिंह, विनोद अडाणी, जयंत सिन्हा, आरके सिन्हा, मान्यता दत्त वगैरह के नाम सामने आये हैं।

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