बुधवार, 10 जनवरी 2018

विश्व हिन्दी दिवस पर हिन्दी के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका, केन्द्रीय विद्यालयों में हिन्दी में प्रार्थना पर प्रश्न / Petition in Supreme Court Against Hindi on World Hindi Day, Questions on Prayers in Hindi in Kendriya Vidyalayas

-शीतांशु कुमार सहाय 
१० जनवरी अर्थात् विश्व हिन्दी दिवस। इस दिन विश्व स्तर पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार पर विमर्श किया जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। बुधवार, १० जनवरी २०१८ को केन्द्रीय कार्यक्रम में विदेश मामलों की मन्त्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा बताया और कहा कि भारतीय ज्ञान, संस्कृति और तकनीक आदि को जानने के इच्छुक विदेशी बड़ी संख्या में हिन्दी सीख रहे हैं। दुनिया के कई देशों के विश्वविद्यालयों में हिन्दी एक भाषा और विषय के रूप में पढ़ायी जाती है, वहाँ भारतीय विश्वविद्यालयों की तरह विधिवत् हिन्दी विभाग कार्यरत हैं। हिन्दी पर चिन्तन के इसी दिन हिन्दी की जन्मभूमि भारत में हिन्दी के विरोध में न्यायालय में स्वर गूँजा। अजब बात यह है कि हिन्दी के विरुद्ध नयी दिल्ली स्थित सर्वोच्च न्यायालय में एक हिन्दी भाषी अधिवक्ता ही अपना गला फाड़ रहा था।
वास्तव में यह सोलह आने सच है कि काँग्रेस के काल से ही देशभर के समस्त केन्द्रीय विद्यालयों में हिन्दी में प्रार्थना की जाती है, जिस में संस्कृत की कुछ पंक्तियाँ भी शामिल हैं। काँग्रेस का यह कदम सराहनीय है। भारत के एक हजार से ज्यादा केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों द्वारा सुबह की सभा में गायी जाने वाली प्रार्थना क्या किसी धर्म विशेष का प्रचार है? यह प्रश्न देश की सब से बड़ी अदालत में उठा है। इस से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इसे संवैधानिक मुद्दा माना है और कहा है कि इस पर विचार जरूरी है। न्यायालय ने इस सिलसिले में केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालयों को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
 दरअसल, एक हिन्दी भाषी अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा है कि केंद्रीय विद्यालयों में वर्ष १९६४ ईस्वी से ही हिंदी-संस्कृत में सुबह की प्रार्थना हो रही है जो कि पूरी तरह असंवैधानिक है। याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद २५ और २८ के खिलाफ बताते हुए कहा है कि इस की इजाजत नहीं दी जा सकती है। अधिवक्ता की दलील है कि सरकारी विद्यालयों में धार्मिक मान्यताओं और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय वैज्ञानिक तथ्यों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। अब हिंदी या संस्कृत बोलना क्या सनातन धर्म का प्रचार है? अधिवक्ता की दलील तो मेरे इस प्रश्न का उत्तर 'हाँ' में देता हुआ प्रतीत हो रहा है। यदि यह सच है तो अँग्रेजी बोलना ईसाई और उर्दू बोलना इस्लाम का प्रचार कहलाना चाहिए!
सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन से पूछा है कि क्या हिंदी और संस्कृत में होने वाली प्रार्थना से किसी धार्मिक मान्यता को बढ़ावा मिल रहा है। न्यायालय ने पूछा है कि विद्यालयों में सर्वधर्म प्रार्थना क्यों नहीं करायी जा सकती?
सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन को 4 सप्ताह का समय दिया है।
अब जानिये याचिकाकर्ता को। यह हैं विनायक शाह। यह स्वयं केंद्रीय विद्यालय में पढ़े हैं। उन की याचिका के अनुसार, जब केंद्रीय विद्यालय में हर धर्म के बच्चे पढ़ने आते हैं तो किसी एक धर्म से जुड़ी प्रार्थना क्यों करायी जाती है।
केंद्रीय विद्यालय में सुबह गायी जाने वाली प्रार्थना पर एक नज़र आप भी डालें :-  
असतो मा सद्गमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्मामृतं गमय

दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना
हमारे ध्यान में आओ प्रभु आंखों में बस जाओ
अंधेरे दिल में आकर के प्रभु ज्योति जगा देना
बहा दो प्रेम की गंगा दिलों में प्रेम का सागर
हमें आपस में मिल-जुल कर प्रभु रहना सिखा देना
हमारा धर्म हो सेवा हमारा कर्म हो सेवा
सदा ईमान हो सेवा व सेवक जन बना देना
वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना
वतन पर जां फिदा करना प्रभु हमको सिखा देना
दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना

ओ३म् सहनाववतु
सहनै भुनक्तु
सहवीर्यं करवावहै
तेजस्विनामवधीतमस्तु
मा विद्विषावहै
ओ३म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः

वर्ष २०१५-१६ के अनुसार, भारत में एक हज़ार १२८ केन्द्रीय विद्यालय हैं जहाँ यह प्रार्थना जारी है। दुनियाभर के देश अपनी−अपनी भाषाओं की विलक्षणता का उत्सव मनाते हैं, लेकिन अपनी ही राष्ट्रभाषा के प्रति ऐसा पूर्वाग्रहग्रस्त हेय व्यवहार भारत के अलावा और कहीं देखने को नहीं मिलेगा। वर्तमान में हिंदी की दुर्दशा के लिए हिंदी पट्टी भी कम जिम्मेदार नहीं है, जिसने अपनी भाषिक संस्कृति के विकास में अपेक्षित रुचि नहीं ली। हिंदी में रचे गए उच्च कोटि के साहित्य को विश्व पटल पर प्रशंसा मिली।


 

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